लखनऊ (ब्यूरो)। सीट आरक्षण की तस्वीर लगभग साफ हो गई है। कुछ सीटों को लेकर आपत्ति जरूर सामने आ रही है, लेकिन इतना स्पष्ट है कि सीट आरक्षण में बहुत कुछ बदलने वाला नहीं है। वहीं, नए परिसीमन और सीट आरक्षण की तस्वीर साफ होने के बाद प्रत्याशियों के साथ-साथ वोटर्स भी खासे कंफ्यूजन में नजर आ रहे हैैं। वोटर्स के सामने दोहरी चुनौती आकर खड़ी हो गई है। एक तरफ तो उनका चिर परिचत चेहरा चुनावी मैदान में नजर नहीं आएगा, वहीं जो नए प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैैं, उन पर उन्हें भरोसा करना होगा। ऐसे में वोटर्स अभी से ही गुणा-भाग करने में लगे हैैं, ताकि उनका वोट बर्बाद न हो।
नए वार्डों में चुनौती ज्यादा
नए परिसीमन के सामने आने के बाद चार से पांच नए वार्ड बने हैैं। इनमें ज्यादातर वार्ड महिलाओं के लिए आरक्षित हैैं। यह भी साफ है कि ज्यादातर महिला प्रत्याशियों के चेहरे नए होंगे। ऐसे में वोटर्स के सामने इनमें से किसी एक को चुनना खासा चुनौती भरा होगा।
दिखाएंगे अपना कमाल
इस बार जो नए प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरने का मन बना रहे हैैं, उनकी ओर से वोटर्स को साथ लाने के लिए नए-नए वादे भी किए जा रहे हैैं। इसमें एक तरफ रोड, नाली का मुद्दा तो शामिल है ही साथ ही पार्कों के सौंदर्यीकरण पर भी विशेष फोकस किया जा रहा है। इसके साथ ही उनकी ओर से जनता को भी भरोसा दिलाया जा रहा है कि अगर उनकी जीत होती है तो वह वार्ड की तस्वीर कुछ इस तरह से बदलेंगे कि अगले 10 साल तक जनता को किसी भी प्रकार की समस्या नहीं होगी।
वोटर्स को भी नुकसान
परिसीमन आने के बाद जितना नुकसान प्रत्याशियों को हुआ, उतना ही वोटर्स को भी हुआ है। पहले वोटर्स उन्हीं प्रत्याशी को वोट दे देते थे, जो लगातार उनके वार्ड से जीत रहे होते थे, लेकिन इस बार तस्वीर बदली-बदली नजर आएगी। इस बार वार्ड का अधिकांश भाग कट गया है और दूसरे वार्ड में शामिल हो गया है। ऐसे में वोटर्स के सामने यह चुनौती रहेगी कि वे किस प्रत्याशी को अपना वोट दें। जो प्रत्याशी उनका दिल जीत लेगा, जाहिर है कि उसका जीत का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
प्रचार में नजर आने लगा जोश
सीट आरक्षण की तस्वीर साफ होते ही वार्डों में एक बार फिर से प्रचार में तेजी नजर आ रही है। जगह-जगह पंपलेट्स और साइन बोर्ड फिर से नजर आने लगे हैैं। अभी तक सीट आरक्षण साफ न होने से प्रचार थम सा गया था लेकिन अब फिर से जोर पकड़ लिया है। सबसे ज्यादा जोश नए प्रत्याशियों में देखने को मिल रहा है। अभी तक नए प्रत्याशी बिल्कुल शांत नजर आ रहे थे लेकिन सीट आरक्षण आते ही उनका जोश सातवें आसमान पर पहुंच गया है। उनकी ओर से वोटर्स को साथ लाने के लिए कवायदें भी शुरू कर दी गई हैैं। उनका प्रयास यही है कि अधिक से अधिक वोटर्स को साथ ला सकें, जिससे उनकी जीत तय हो सके।
अनुभव आएगा काम
कई प्रत्याशियों की ओर से पुराने दिग्गजों को साथ लाने की कवायद की जा रही है। जिससे उनका अनुभव उनके काम आ सके। कई पुराने पार्षद भी नए चेहरों को आगे करने में जुटे हुए हैैं। वहीं जिन पार्षदों को इस बार सीट आरक्षण में झटका लगा है, उनकी ओर से भी नए चेहरों को चुनावी समर्थन देने की तैयारी की जा रही है। उनकी ओर से नए प्रत्याशियों को बताया जा रहा है कि वे किस तरह से जनता के बीच में जाएं और उनका विश्वास जीतें। इसके साथ ही उनकी ओर से नए प्रत्याशियों को यह भी बताया जा रहा है कि उनके चुनावी एजेंडे में कौन कौन से मुद्दे शामिल हों। वहीं जो दिग्गज पार्षद फिर से चुनावी मैदान में उतर रहे हैैं, उनका एजेंडा पूरी तरह से साफ है और वो उन्हीं मुद्दों के आधार पर फिर से जनता के बीच में जाने की तैयारी कर रहे हैैं।