लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश की पहली ड्रोन चौकी राजधानी लखनऊ में बनेगी। इसके लिए तैयारियों पूरी कर ली गई हैं। शासन के ग्रीन सिग्नल मिलते ही शहर की निगरानी आसमान से भी की जाएगी। कमिश्नरेट के पांचों सर्किल में ड्रोन चौकी बनाई जाएगी। जिसमें एक ड्रोन के साथ एक सब इंस्पेक्टर व दो कांस्टेबल के साथ ड्रोन एक्टपर्ट से मदद ली जाएगी। ड्रोन चौकी से क्राइम कंट्रोल, लॉ एंड आर्डर और ट्रैफिक सिस्टम को सुधारने में मदद मिलेगी। पढें़ मयंक श्रीवास्तव की स्पेशल रिपोर्ट
पहले खास मौके पर ही की जाती थी निगरानी
ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था अमित वर्मा ने बताया कि अब तक हमारे पास पहले से मौजूद पांच ड्रोन कैमरों से प्रमुख मौकों पर जैसे मोहर्रम, जुलूस, धरना या किसी बड़े आयोजन के दौरान नजर रखी जाती थी। इन्हें सिर्फ उसी दौरान यूज किया जाता था। पर बीते कुछ समय में अपराधियों के अपराध करने के तरीके बदले हैं। शहर का क्षेत्रफल भी बढ़ा है। चेन स्नेचिंग की घटनाएं करने के बाद अपराधी संकरी गलियों से भाग जाते हैं। इसके अलावा, कई बार लंबा ट्रैफिक जाम भी लगता है। कई बार दबिश के दौरान पुलिस टीम पर हमले की घटनाएं भी होती हैं। अब ड्रोन की मदद से दबिश देने से पहले उस एरिया की ड्रोन से पूरी तरह से मॉनीटरिंग की जाएगी। इनसे निपटने के लिए पुलिसिंग को हाईटेक करने की जरूरत थी।
पुलिस गश्त की तरह ड्रोन से होगी पेट्रोलिंग
ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था के मुताबिक, एक प्रापोजल तैयार कर पुलिस कमिश्नर को भेजा गया है। जिसे शासन को भी उनके स्तर से भेजा जाएगा और फिर राजधानी में पांच ड्रोन चौकियां बनाई जाएंगी। इनमें शुरुआती स्तर पर एक ड्रोन कैमरा, एक सब इंस्पेक्टर और दो कांस्टेबल मौजूद रहेंगे। ये पांचों ड्रोन चौकियां सभी जोन में एक-एक स्थापित होंगी। उन्होंने बताया कि जैसे पुलिसकर्मी और अफसर फील्ड पर गश्त पर रहते हैं, वैसे ही ड्रोन चौकी के कर्मी और ड्रोन पेट्रोलिंग करेंगे और फील्ड पर भ्रमण शील रहेंगे। इसके लिए रोजाना चौकी प्रभारी ड्यूटी चार्ट बनायेगा। इसके अलावा ये सभी पांच चौकियों को एक प्राइवेट ड्रोन स्पेशलिस्ट कंसल्ट करेंगे।
ड्रोन चौकी से तीन तरह से पुलिस को मिलेगी मदद
ड्रोन चौकी, तीन प्रमुख व्यवस्थाओं को सुधार करने के लिए बनाई जा रही हैं। कई बार ऐसे एरिया पुलिस की गश्त से छूट जाते है जहां पर पुलिस के व्हीकल नहीं जा पाते। तंग गलियों के साथ दूर दराज वाले एरिया में ड्रोन चौकी की मदद से निगरानी रखी जा सकेगी। इसके अलावा पुलिस की दबिश के दौरान सबसे ज्यादा ड्रोन चौकी से मदद मिलेगी। दबिश से पहले पूरे एरिया से ड्रोन से निगरानी करने के बाद कार्रवाई की जाएगी। हाईवे पर लगे लंबे जाम का मुख्य वजह भी ड्रोन की मदद से पता लगाने में आसानी होगी।
क्राइम कंट्रोल में मददगार होगी
राजधानी में मोबाइल, पर्स व चेन स्नेचिंग की घटनाओं में लगातार बढ़ रही है। स्नेचिंग की घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी बाइक से पतली गलियों से होते हुए फरार हो जाते हैं। इसी तरह अलग-अलग अपराधों को अंजाम देने के बाद अपराधियों के फरार होने पर उनके गिरफ्तार करने पुलिस को समस्या आती है। यदि ड्रोन चौकी हर जोन में होगी और वह भ्रमण शील भी रहेगी ऐसे में यदि अपराधी संकरी गलियों से होते हुए भी फरार हो रहा है तो ड्रोन चौकी के कर्मी कम समय में ड्रोन को एक्टिवेट कर अपराधियों को ट्रेस कर सकते हैं।
लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने में मददगार
राजधानी में पुलिस के सामने लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। इसी को व्यवस्थित करने में ड्रोन चौकी अहम भूमिका निभा सकती है। बीते दिनों लखनऊ के आंबेडकर पार्क के पास बारिश के दिन हुए हुड़दंग में यदि ड्रोन कैमरा की व्यवस्था होती तो ड्रोन की पेट्रोलिंग के दौरान वो पुलिस के जानकारी में जल्द आ जाते जिससे समय पर प्रभावी ढंग से कार्रवाई हो सकती थी। इतना ही नहीं किसी धरना, प्रदर्शन, दंगे की तैयारी कर रहे लोगों को ट्रेस करना भी इस ड्रोन चौकी बनने से आसान हो जाएगा और समय की भी बचत होगी।
ट्रैफिक कंट्रोल में रहेगी अहम भूमिका
राजधानी में पीक अवर में जैसे सुबह 9 से 11 और शाम 5 से 9 बजे तक लगभग सभी प्रमुख मार्गों पर जाम की स्थिति होती है। ये जाम इतने लंबे होते हैं कि चौराहे पर खड़े ट्रैफिक कर्मी को पता ही नहीं चल पाता है। ऐसे में ड्रोन चौकी बनने और फिर उसके पेट्रोलिंग करने से आसानी से यह जानकारी जुटाई जा सकेगी कि जाम कितना लंबा है, उसके लगने के क्या कारण है और उसे कैसे हटाया जाए। इसके अलावा ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों पर भी ड्रोन से नजर रखी जा सकेगी।