-तंबाकू उत्पादों को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े, फिर भी पाबंदी नहीं
-कोटपा के तहत जुर्माना वसूली में लखनऊ और कानपुर ही गंभीर
31 मई: वर्ल्ड नो टोबैको डे
तीन साल में कमाई 3562.02 करोड़
एक ही साल में खर्च 7335.4 करोड़
बोले अब नो टोबैको
40 प्रकार के कैंसर
25 प्रकार की बीमारियां
10वां आदमी जान गंवा रहा
60 से 70 लाख की हर वर्ष मौत
8 से 9 लाख पैसिव स्मोकर्स हैं
sunil.yadav@inext.co.in
LUCKNOW: अक्सर आपने भी सुना होगा कि शराब और टोबैको प्रोडक्ट्स पर बैन इसलिए नहीं लग पाता, क्योंकि ये सीधे सरकारी राजस्व से जुड़ा मामला है। लेकिन अगर हम सिर्फ टोबैको प्रोडक्ट्स की ही बात करें तो आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि इनसे होने वाली कमाई से कई गुना अधिक सरकार इनसे होने वाली बीमारियों पर खर्च कर देती है। आंकड़े बताते हैं कि बीते तीन साल में टोबैको प्रोडक्ट्स से यूपी को 3562.02 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला। वहीं इन उत्पादों के सेवन से होने वाली बीमारियों के इलाज में सरकार का 2011 में ही 7335.4 करोड़ का खर्च कर दिए।
केंद्र ने कराया था सर्वे
केंद्र सरकार ने 2011 में पूरे देश में तंबाकू जनित रोगों पर होने वाले खर्च पर सर्वे कराया था। जिसकी रिपोर्ट में कहा गया था कि अकेले उत्तर प्रदेश सरकार ने तंबाकू जनित रोगों के इलाज पर 7335.4 करोड़ रुपए खर्च किया। एक वर्ष में ही सरकार द्वारा किया जाने वाला बहुत बड़ा खर्च था। उधर दूसरी तरफ यूपी सरकार ने एक आरटीआई में जवाब दिया कि 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में 3562.02 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हुआ है।
40 प्रकार के कैंसर, 25 बीमारियां
डॉक्टर्स के मुताबिक, तंबाकू और तंबाकू उत्पादों के सेवन से 40 प्रकार के कैंसर और 25 प्रकार की बीमारियां होती हैं। इनके कारण देश में हर वर्ष बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गंवाते हैं। केजीएमयू के डॉ। अजय वर्मा के अनुसार हर 10वां आदमी किसी न किसी तंबाकू जनित रोग के कारण अपनी जान गंवा रहा है। लगभग 60 से 70 लाख लोगों की हर वर्ष मौतें हो रही हैं। इसमें 8 से 9 लाख पैसिव स्मोकर्स हैं (जो स्मोकिंग नहीं करते, 30 परसेंट बच्चे)। भारत में 37 से 45 परसेंट लोग किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। जबकि 10 से 20 परसेंट ऐसे हैं जो तंबाकू चबाने के साथ ही स्मोकिंग भी करते हैं। वहीं राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य सलाहकार सतीश त्रिपाठी ने बताया कि तंबाकू के इस खतरे को कम करने के लिए ही सिगरेट एंड अदर टोबैको प्रोडक्ट्स एक्ट 2003 (कोटपा) लाया गया जिसे 2008 में लागू किया गया। जिसके तहत स्कूल कॉलेजों के आस पास तंबाकू , सिगरेट की बिक्री पर रोक है। खुले में स्मोकिंग नहीं की जा सकती और खुली सिगरेट भी नहीं बेची जा सकती।
कोटपा पर जिलों में कार्रवाई शून्य
डीजीपी ने प्रदेश के सभी जिलों के एसपी को कोटपा के तहत कार्रवाई और रिपोर्ट महानिदेशालय स्थित तंबाकू नियंत्रण प्रकोष्ठ को भेजे जाने के आदेश दिए थे। लेकिन अभी सिर्फ लखनऊ और कानपुर की ही रिपोर्ट प्राप्त हो रही है। जिलों से रिपोर्ट तो आती हैं लेकिन कार्रवाई के कॉलम में 'जीरो' ही रहता है। हालांकि, सरकार कोटपा की कार्रवाई के लिए स्टेट लेवल पर बनी सेल के पास कोई अधिकार भी नहीं दिए गए, प्रभावी कार्रवाई पर इसका भी असर पड़ता है।
सभी जिलों में लागू नहीं प्रोग्राम
कोटपा अधिकनियम को लागू हुए 10 वर्ष हो रहे हैं लेकिन यूपी के सभी जिलों में अभी तक जिला स्तरीय कमेटियां तक नहीं बन सकी हैं जो कार्रवाई को मानीटर कर सकें। जिम्मेदारों के मुताबिक, अब तक सिर्फ 25 जिलों में ही लागू किया जा सका है। आगे के लिए सरकार की ओर से भर्तियों पर सभी प्रकार की रोक के कारण इसे रोक दिया गया है। एक्ट के प्रभावी ढंग से लागू न हो पाने के लिए यह भी बड़ा कारण है।
वर्ष 2015-16- वर्ष -2016-17
जिला लोग=जुर्माना लोग=जुर्माना
लखनऊ 471= 1,93095--- 3340 =1825,530
कानपुर नगर 8434=9,12,053--- 1235 = 99418
झांसी-- 22 =480 - -237=13925
फर्रुखाबाद- -183 =8805 - --126 =10260
इलाहाबाद- 74 =5210 --
ललितपुर- 34 =2005 --3 =200
जालौन - -00--- - 3 =450
कन्नौज- 00----- 88 =13,250
मैनपुरी- 00----- 115=592
नोयडा -00----- 225 =49940
मुरादाबाद- 00------ 12 =1270
रामपुर-- 154 =13270 - --249 =17190
(जुर्माना रुपये में)
कोट
पुलिस या अन्य विभागों की प्रियारिटी लिस्ट में तंबाकू पर रोक लगाना सबसे नीचे है। जिलों के एसपी और विभागों के हेड को कार्रवाई करने के अधिकार दिए गए हैं लेकिन रिपोर्ट तो हर माह शून्य ही आती है।
-सतीश त्रिपाठी, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के राज्य सलाहकार