लखनऊ (ब्यूरो)। भाई-बहन के पवित्र प्रेम के त्योहार रक्षाबंधन का विशेष महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधकर उनसे रक्षा का वादा लेती हैं। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा इस वर्ष 30 अगस्त बुधवार सुबह 10:13 से प्रारंभ होकर 31 अगस्त गुरुवार को सुबह 7:46 तक है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार 31 अगस्त गुरुवार को सुबह 5 बजे से 7:46 के बीच ही रक्षांबधन का पुनीत पर्व मनाया जायेगा। क्योंकि 30 अगस्त बुधवार को सुबह 10:13 से रात 8:57 बजे तक भद्रा है। चूंकि भद्रा काल में रक्षाबंधन का पुनीत पर्व वर्जित है। ऐसे में 31 अगस्त गुरुवार को सुबह 5बजे से लेकर सुबह 7:46 के बीच ही सर्वोत्तम मुहूर्त के साथ रक्षाबंधन का पुनीत पर्व मनाया जाना शुभ होगा। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने दी।
भगवान गणेश का करें ध्यान
ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने बताया कि बहनों को चाहिए कि वे भाई को रक्षासूत्र बांधते समय भगवान गणेश का ध्यान करें और उनसे मंगल की कामना करें। रक्षाबंधन सनातन धर्मियों के लिए वर्ष का प्रथम त्योहार माना गया है। इस दिन कुल पुरोहित अपने यजमान को तथा बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांध व तिलक लगाकर चिरंजीवी व सर्वत्र विजयी होने की कामना करती हैं।
रक्षा मंत्र जरूर बोलें
रक्षासूत्र बांधने का एक मंत्र सर्व प्रचलित है 'येन बद्धो बली राजा दान वेंद्रो महा बलरू तेन त्वां प्रति बद्धनामि रक्षे माचल माचल', इसी मंत्र से प्राचीन काल में द्रोपदी ने श्री कृष्ण को व देव गुरु वृहस्पति ने इंद्र को रक्षासूत्र बांधा था। इसी दिन श्रावणी का उपाकर्म ब्राह्मणों द्वारा किया जाता है। जिसमें वेद पाठी ब्राह्मण शुक्ल यजुर्वेद के मंत्रों द्वारा यज्ञोपवित की शुद्धि व प्रतिष्ठा करते हैं। जिससे वह यज्ञोपवीत पूरे वर्ष भर तेज व ज्ञान प्रदान करता है।