लखनऊ (ब्यूरो)। अब अगर आप वार्ड में व्याप्त किसी समस्या से परेशान होते हैैं, तो आपको जनप्रतिनिधि के स्थान पर सीधे संबंधित अधिकारी से संपर्क करना होगा और अपनी शिकायत दर्ज करानी होगी। इसकी वजह यह है कि गुरुवार से मेयर व सभी पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो गया और प्रशासक काल शुरू हो गया है। इस साल होने वाले निकाय चुनाव के परिणाम आने और शहर सरकार द्वारा शपथ लेने के बाद ही अब आप जनप्रतिनिधियों के समक्ष अपनी बात रख सकेंगे।

तीन सदस्यीय कमेटी देखेगी कामकाज

प्रशासक काल लागू होने के बाद साफ है कि तीन सदस्यीय कमेटी की ओर से कामकाज देखा जाएगा। कमेटी के सदस्यों के नामों की घोषणा डीएम की ओर से की जाएगी। इस कमेटी की ओर से ही पूर्व से चल रही विकास योजनाओं पर नजर रखी जाएगी। हालांकि, यह भी साफ है कि इस कमेटी द्वारा नए विकास कार्य की घोषणा नहीं की जा सकेगी।

नगर आयुक्त अकेले कामकाज नहीं देखेंगे

शासन की ओर से पहले आए आदेश में साफ था कि प्रशासक काल शुरू होने के बाद नगर निगम में नगर आयुक्त ही प्रशासन होंगे और उनके द्वारा ही सभी कामकाज देखा जाएगा, लेकिन बाद में इस आदेश में संशोधन किया गया। बाद में जो आदेश आया उसमें साफ था कि नगर आयुक्त अकेले प्रशासक के तौर पर कामकाज नहीं देखेंगे। डीएम की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकारों का निर्वहन करेगी। प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय एवं नगर आयुक्त के संयुक्त हस्ताक्षर से आहरण वितरण का काम होगा।

नीतिगत फैसले नहीं लेगी समिति

जो आदेश प्रमुख सचिव नगर विकास की ओर से जारी किया गया है, उससे साफ है कि समिति की ओर से सिर्फ दैनिक प्रशासनिक कार्यों का संचालन किया जाएगा। समिति की ओर से कोई भी नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सकेगा। समिति की मुख्य जिम्मेदारी पहले से चल रही परियोजनाओं की मॉनीटरिंग करना रहेगा।

नौ महीने का था प्रशासक काल

वरिष्ठ पार्षद गिरीश मिश्रा ने बताया कि वर्ष 2005 में नौ महीने का प्रशासक काल रहा था, जबकि 11 सालों में तीन नगर आयुक्त प्रशासक रहे हैैं। वहीं, अन्य प्रशासक काल तीन से चार महीनों के ही रहे हैैं। इस बार 20 जनवरी से प्रशासक काल लग जाएगा, लेकिन नगर आयुक्त मुख्य प्रशासन की भूमिका में नहीं होंगे। वरिष्ठ पार्षद ने यह भी बताया कि जब तक नए मेयर और पार्षद नहीं चुने जाते हैैं, तब तक वर्तमान मेयर और पार्षद निवर्तमान कहलाएंगे।

ये होंगे बदलाव

1-जनप्रतिनिधि कोई आश्वासन नहीं दे सकेंगे

2-नए विकास कार्यों की घोषणा नहीं होगी

3-कोई वित्तीय निर्णय नहीं होगा

4-तीन सदस्यीय कमेटी देखेगी कामकाज

5-निवर्तमान कहलाएंगे जनप्रतिनिधि

अधिकारियों की बढ़ेगी जिम्मेदारी

अभी तक जनप्रतिनिधियों की ओर से वार्डों की समस्याएं जैसे गंदगी, नाली टूटना, रोड या मृत पशु उठाना इत्यादि की शिकायतें निगम के अधिकारियों तक पहुंचाई जाती थीं, लेकिन अब जनप्रतिनिधि ऐसा नहीं कर सकेंगे। अब जनता को खुद ही अपनी शिकायतें संबंधित अधिकारियों तक पहुंचानी होंगी। वहीं, यह भी स्पष्ट है कि लोक मंगल दिवस नियमित रूप से आयोजित होता रहेगा।