लखनऊ (ब्यूरो)। वजन काम करने के लिए लोग डायटिंग का सहारा लेते हैं। खासतौर पर लड़कियां डायटिंग अधिक करती हैं। पर ओवर डायटिंग करने के कारण टीबी की समस्या हो सकती है। क्योंकि अधिक डायटिंग की वजह से इम्युनिटी कमजोर हो जाती है। ऐसे में डायटिंग करने वालों में टीबी का खतरा 10 गुना अधिक रहता है। केजीएमयू में हर माह ऐसे 2-3 मामले आ रहे हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, डायटिंग की जगह डायट माड्यूलेशन करना बेहद जरूरी है।
पोषण नहीं मिलता है
केजीएमयू के रेस्पेरेट्री मेडिसिन विभाग के एचओडी प्रो। डॉ। सूर्यकांत ने बताया कि टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से होती है। अगर एक टीबी मरीज के बीच 100 लोग हों और मरीज खांस दे तो करीब 30 लोग संक्रमण की जद में आएंगे और 3 को एक्टिव बीमारी होगी। क्योंकि जब इम्युनिटी कमजोर होगी तो टीबी का खतरा होगा। ऐसे में टीबी होने का पहला कारण न्यूट्रीशन की कमी होता है। क्योंकि पोषक तत्व जैसे विटामिन, मिनरल्स आदि बॉडी में नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में देखा गया है कि जो लोग लंबे समय तक डायटिंग करते और शाम को कुछ भी खा लेते है, इससे लीवर, ब्रेन व हार्मोन आदि में तनाव आ जाता है। इससे वे हार्मोन निकलते हैं जो इम्युनिटी कमजोर करते हैं, क्योंकि डायटिंग वाले सुबह का नाश्ता नहीं करते और इससे उनका पोषण बुरी तरह से प्रभावित होता है।
10 गुना टीबी का खतरा ज्यादा
प्रो। सूर्यकांत के मुताबिक, जो लोग लंबे समय तक डायटिंग पर होते हैं उनको टीबी का खतरा 10 गुना अधिक रहता है। इसके अलावा डायटिंग के दौरान कुछ लोग फल खाते है तो कुछ दिनभर भूखे रहने के बाद शाम को फास्ट फूड खा लेते हैं। जिससे उनके टीबी का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। डायटिंग का चलन लड़कियों में ज्यादा देखने को मिलता है, इसलिए लड़कियों में मामले ज्यादा होते हैं। महीने में ऐसे 2-3 केस आ जाते हैं।
डायट मॉडिफिकेशन करें
अगर किसी को वजन कम करना है तो डायटिंग की जगह डायट मॉडिफिकेशन करे। इसमें कैलोरी इनटेक कम करें। खाने में हरी सब्जी, दूध, फल का सेवन करें। रात का खाना जल्दी और हल्का करें। इसके अलावा वॉकिंग करें, 10 हजार कदम रोज चलें, फॉस्ट फूड का प्रयोग न करें। वहीं, नींबू पानी, सत्तू का पानी, नारियल पानी पिएं, जूस का प्रयोग न करें।