लखनऊ (ब्यूरो)। गर्भावस्था के दौरान टीबी होने पर आम तौर पर महिलाएं अपने शिशु को लेकर चिंतित रहती हैं। उन्हें भ्रम रहता है कि प्रसव के बाद यदि उन्होंने अपने शिशु को स्तनपान कराया तो उसे भी टीबी हो सकती है। हकीकत यह है कि यदि मां को टीबी है तो भी वह अपने शिशु को स्तनपान करा सकती है। बशर्ते वह स्तनपान कराने से तीन सप्ताह पहले से टीबी की दवा ले रही हो, क्योंकि तीन सप्ताह लगातार दवा के सेवन के बाद टीबी के बैक्टीरिया संक्रामक नहीं रह जाते। यह जानना भी जरूरी है कि टीबी बाल और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है। लेकिन केवल फेफड़े की टीबी ही संक्रामक होती है। यह जानकारी संजय गांधी पीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। पियाली भट्टाचार्य ने टीबी जागरूकता कार्यक्रम के दौरान दी।
गर्भवती को टीबी के खतरे से बचाना जरूरी
डॉ। पियाली बताती हैं कि शिशु को स्तनपान कराने से पहले साफ -सफाई पर ध्यान देने के साथ ही मास्क भी पहनना जरूरी होता है। शिशु को छूने से पहले और बाद में अपना हाथ धोना चाहिए और नियमित रूप से आसपास की सतहों को साफ और संक्रमणमुक्त करना चाहिए। आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान टीबी के लक्षण स्पष्ट नहीं दिखते जिसकी वजह से इसकी पहचान करने में चुनौतियां आती हैं। गर्भावस्था के दौरान टीबी मां के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु, नवजात या बच्चे पर कम या लंबे समय के लिए प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है। इससे प्रजनन स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है, मां बनने में दिक्कत हो सकती है, गर्भस्थ शिशु की सेहत पर असर पड़ सकता है और समय से पहले जन्म या शिशु को टीबी संक्रमण भी हो सकता है। स्थिति गंभीर हो तो मां या बच्चे की जान भी जा सकती है। इसे रोकने के लिए क्षय उन्मूलन की राष्ट्रीय रणनीति के तहत विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम और मातृ स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा संयुक्त रूप से टीबी ग्रसित गर्भवतियों के प्रबंधन के लिए गाइडलाइन जारी की गई है। जिसके तहत मौजूदा मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में टीबी स्क्रीनिंग को भी जोड़ा गया है।