- वर्ष 2014 में गोरखपुर रेलवे स्टेशन से की गई थी गिरफ्तारी
- अदालत ने कहा, सभी सजाएं एक साथ चलेंगी
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: वर्ष 2014 में गोरखपुर से दबोचे गए और वर्तमान में लखनऊ जेल में बंद दो तालिबानी आतंकियों को स्पेशल जज पद्माकर मणि त्रिपाठी ने विभिन्न आरोपों में अधिकतम 10 वर्ष कठोर कारावास और एक लाख नौ हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है।
दो आरोपों से दोषमुक्त
अदालत ने दोनों आरोपियों तालिबानी आतंकवादी व पाकिस्तानी नागरिक अब्दुल वलीद रिन्द उर्फ मुर्तजा उर्फ अफरोज एवं फहीम उर्फ ओवैस उर्फ उमर उर्फ सलाम उर्फ शादाब खान को अधिकतम 10 वर्ष की सजा सुनाई। अदालत ने स्पष्ट किया है कि दोनों आरोपियों को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप अधिनियम की धारा 16, 18 एवं 23 की प्रत्येक धारा में दोषी ठहराया गया है। प्रत्येक धारा में 10-10 वर्ष का कठोर कारावास, 25-25 हजार जुर्माना, विदेशी अधिनियम के आरोप में पांच वर्ष का कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपये जुर्माना, आयुध अधिनियम की धारा तीन में तीन वर्ष का कारावास एवं तीन हजार जुर्माना, धारा सात में सात वर्ष का कारावास एवं पांच हजार रुपये जुर्माना, धोखाधड़ी के आरोप में पांच वर्ष का कारावास एवं तीन हजार रुपये तथा कूट रचित प्रपत्र तैयार करने के आरोप में पांच वर्ष का कारावास एवं तीन हजार रुपये अर्थ दंड लगाया है। अदालत ने दोनों आरोपियों को देशद्रोह अधिनियम एवं राज्य के विरुद्ध विभिन्न आरोपों का षडयंत्र रचने के आरोप में दोष मुक्त कर दिया है।
बरामद हुआ था हथियारों का जखीरा
अभियोजन की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता एमके सिंह का तर्क था कि दोनों आरोपियों की अरेस्टिंग एटीएस द्वारा 26 मार्च, 2014 को करीब आठ बजे रात्रि में गोरखपुर रेलवे स्टेशन से की गई थी। तब अभियुक्त अब्दुल वलीद के कब्जे से एके 47 रायफल, 20 कारतूसों वाली मैगजीन और पिट्ठू बैग के अंदर से एक 30 बोर की चायनीज स्टार मार्का पिस्टल व 10 कारतूस भरी मैगजीन के अलावा काफी मात्रा में कारतूस बरामद हुए थे। जबकि फहीम उर्फ ओवैस के पास से भी एके 47 रायफल, मैगजीन और पिट्ठू बैग में जीवित दर्जनों कारतूस, नेपाली अखबार, भारत निर्वाचन आयोग का फर्जी परिचय पत्र, फोटोग्राफ तथा अन्य दस्तावेज बरामद हुए थे। अदालत ने कहा है कि सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। वहीं जेल में बिताई गई अवधि इस सजा में समायोजित की जाएगी।