लखनऊ (ब्यूरो)। श्री श्री रविशंकर ने सीएम योगी के नेतृत्व में जलवायु परिवर्तन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि पौधरोपण और सकारात्मक मानसिकता रखने से भी जलवायु परिवर्तन को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। पानी की सफाई न सिर्फ जलवायु और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि देवी लक्ष्मी को भी आकर्षित करती है। आध्यात्मिक गुरु ने प्लास्टिक को जलाकर खतरनाक उत्सर्जन पर भी विचार-विमर्श किया।
विनाशकारी प्रभावों को देखा है
मनोज सिंह, अपर मुख्य सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, यूपी ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया ने जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों को देखा है। जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का प्रभावी ढंग से सामना करने के लिए स्थानीय स्तर पर इसके प्रभावों को कम करने और श्री श्री रविशंकर द्वारा दिए गए निर्देशों को आत्मसात करने के प्रयास शुरू करना महत्वपूर्ण है।
2017 से हो रहे प्रयास
केंद्रीय इस्पात और ग्रामीण विकास राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने दो दिवसीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि योगी सरकार ने 2017 से इस दिशा में सराहनीय कार्य किया गया है। पौधरोपण हो या नदियों की सफाई उप्र हाल के वर्षों में जादुई रूप से बदल गया है, उन्होंने कहा कि आजकल नागरिकों में जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता कई गुना बढ़ी है और सामूहिक प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने सम्मेलन के दौरान विशेषज्ञों द्वारा की गई सिफारिशों का एक विस्तृत सेट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया।
11 सत्र आयोजित
कांक्लेव में 11 सत्र आयोजित किए गए। पहले दिन पांच और दूसरे एवं अंतिम दिन छह सत्र आयोजित हुए। सभी सत्रों का मुख्य फोकस जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण एवं सुधार से जुड़ा रहा।
ये रहे मौजूद
सुनील पांडेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष, लखनऊ, पवन शर्मा, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव, लखनऊ, मुकेश कुमार, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, योजना एवं कृषि वानिकी, उप्र, लखनऊ, कल्पना अवस्थी, प्रमुख सचिव, ग्रामीण इंजीनियरिंग सेवा और खेल विभाग, आशीष तिवारी, सचिव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग मौजूद रहे। इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स के चेयरमैन मुकेश सिंह ने गेस्ट का वेलकम करते हुए हर सेशन के आयोजन की जिम्मेदारी संभाली।
प्लास्टिक वेस्ट फर्नीचर की काफी डिमांड
एग्जिबिशन का मुख्य आकर्षण प्लास्टिक वेस्ट से निर्मित फर्नीचर रहा। इस एग्जिबिशन में एक निजी कंपनी की ओर से स्टॉल लगाया गया है। जिसमें प्लास्टिक वेस्ट से निर्मित फर्नीचर को रखा गया है। फर्नीचर में मुख्य रूप से बच्चों की स्टडी टेबल, सिटिंग टेबल, हिरन इत्यादि आकर्षण का केंद्र रहे। खास बात यह है कि इस फर्नीचर का निर्माण पॉलीथिन, बोतलों के ढक्कन इत्यादि से किया गया है। इनकी कीमत भी कम है। बच्चों की स्टडी टेबल करीब 2500 रुपए की है।
घर से ही प्रयास जरूरी
गुडग़ांव से कांक्लेव में आईं एक एनजीओ की डायरेक्टर सोनिया गर्ग ने कहा, जीरो वेस्ट लाइफ स्टाइल जरूरी है। इसकी शुरुआत घर से करनी होगी। घर के अंदर दो डस्टबिन रखने होंगे, जिससे पता चले कि रोज कितना वेस्ट निकल रहा है। जब यह कम होगा तभी वेस्ट प्लांट पर लगने वाले ढेरों में कमी आएगी और इसका सकारात्मक असर जलवायु परिवर्तन पर दिखाई देगा।