17 मई को होनी है सुनवाई
10 प्रतिशत तक लग सकता रेगुलेटरी सरचार्ज
3 करोड़ उपभोक्ता हैं प्रदेश में
10 लाख उपभोक्ता राजधानी में
- प्रस्ताव हुआ पास तो हर माह के बिल में दस प्रतिशत तक का इजाफा
LUCKNOW: बिजली उपभोक्ताओं को महंगी बिजली का करंट लग सकता है। वजह यह है कि बिजली कंपनियों ने देर रात चोर दरवाजे से उपभोक्ताओं पर रेगुलेटरी सरचार्ज लागू कराने के लिए नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर दिया है। यह प्रस्ताव 17 मई को होने वाली सुनवाई में पास हो गया तो अगले 5 साल तक बिजली उपभोक्ताओं के हर महीने के बिजली बिल में 10 प्रतिशत तक का इजाफा हो जाएगा। फिलहाल उपभोक्ता परिषद की ओर से इसका विरोध शुरू कर दिया गया है।
उपभोक्ताओं पर निकल रहा 49827 करोड़
बिजली कंपनियों ने प्रस्ताव दाखिल करते हुए कहाकि उपभोक्ताओं पर उनका 49827 करोड़ रुपये निकल रहा है। जिससे रेगुलेटरी सरचार्ज लागू किया जाना चाहिए। 17 मई को होने वाली बिजली दरों की सुनवाई में इस पर अंतिम निर्णय होगा। उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में अपनी याचिका दाखिल कर मांग उठाई है की सभी पक्षों को सुनने के बाद वर्ष 2017-18 तक नियामक आयोग ने बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का उदय व ट्रूअप में 13337 करोड़ रुपये निकाला था, जिसे आगे उपभोक्ताओं को देने बात कही गई थी। जो अब सब मिलाकर 2020-21 तक लगभग 19537 करोड़ हो गया है। परिषद ने एकमुश्त 25 प्रतिशत अथवा 3 वर्षो तक 8 प्रतिशत बिजली दरों में कमी करने अथवा रेगुलेटरी लाभ देने की मांग उठाई है।
नया खेल कर दिया
बिजली कंपनियों ने नियामक आयोग में प्रस्ताव दाखिल कर सरकार के एक पुराने पत्र का हवाला देते हुए जानकारी दी है कि उदय व ट्रूअप के समायोजन पर जो निर्णय पूर्व में लिया गया है, वह ठीक नहीं है और आयोग उस पर पुनर्विचार करे। बिजली कंपनियों का वर्ष 2000 से अब तक ट्रूअप के आंकड़ों पर पुनर्विचार किया जाय तो ब्याज सहित उपभोक्ताओं पर वर्ष 2020.21 तक 49827 करोड़ निकल रहा है। जिसके आधार पर उपभोक्ताओं पर पुन: रेगुलेटरी सरचार्ज लागु किया जाए।
आपदा में अवसर तलाश रहीं कंपनियां
उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि प्रदेश के उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर जो लगभग 19537 करोड़ निकल रहा है, उस पर कंपनियां अपटेल इत्यादि सब जगह गईं, जहां से कोई अंतरिम आर्डर नहीं मिला। जब प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी की बात हो रही तो अचानक बिजली कंपनियां यूपी सरकार के एक पत्र का हवाला देते हुए तीन साल बाद यह कह रही हैं कि उदय का जो लाभ प्रदेश सरकार ने दिया था। वो अतिरिक्त सब्सिडी के रूप समायोजित किया है।
व्यापारियों में भी आक्रोश
विद्युत मूल्य में वृद्धि की आशंका से व्यापारी भी आक्रोशित हैं। उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष संजय गुप्ता ने प्रदेश सरकार से नियामक आयोग में 17 मई को होने वाली सुनवाई में हस्तक्षेप कर यूपीपीसीएल को प्रस्ताव वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि इस कठिन दौर में यदि सरकार ने बिजली मूल्य वृद्धि होने दी तो किसी भी प्रकार से क्षमा नहीं करेंगे।
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राशि के हिसाब से चार्ज
परिषद अध्यक्ष ने बताया कि हर महीने जेनरेट होने वाले बिल में रेगुलेटरी सरचार्ज बिल की राशि के हिसाब से लगाया जाता है। अभी तक यह सरचार्ज 4.2 प्रतिशत के आसपास था लेकिन जो प्रस्ताव बिजली कंपनियों ने दिया हैए अगर वो लागू होता है तो हर महीने कम से कम 10 प्रतिशत रेगुलेटरी सरचार्ज लगेगा और वो भी अगले पांच साल तक।