- प्रदेश में 22 लाख से ज्यादा छात्र होंगे लाभांवित
- करीब 14 लाख अनुसुचित जाति के छात्र होंगे
- करीब 8 लाख 40 हजार छात्र सामान्य जाति के होंगे
- 15 से 20 हजार छात्र अनुसुचित जनजाति के होंगे
- इस साल 2476 करोड़ रुपए का बजट इस वित्तिय वर्ष में स्कॉलरशिप के लिए आवंटित
- 1615 करोड़ रुपए केवल अनुसुचित जाति के छात्रों के लिए आवंटित
- 825 करोड़ रुपए सामान्य जाति के छात्रों के लिए आवंटित
- 36.36 करोड़ रुपए अनुसुचित जनजाति के छात्रों के लिए आवंटित
- सभी जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को वेबसाइट पर मुहैया कराया जाएगा आय प्रमाण पत्र
- जांच में आय प्रमाणपत्रों की जांच पूरी होने के बाद ही दी जाएगी स्कॉलरशिप
- सॉफ्टवेयर के जरिए अभिभावकों के आय की सूची होगी अपलोड, डीएम करायेंगे सत्यापन
shyamchandra.singh@inext.co.in
LUCKNOW: सरकार की मंशा के विपरित गलत दस्तावेजों के सहारे सरकारी राजस्व को चूना लगाने वालों की अब खैर नहीं। ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए समाज कल्याण विभाग उन स्टूडेंट्स के पैरेंट्स के इनकम सर्टिफिकेट की जांच कराने जा रहा है, जिन्हे विभाग की तरफ से पढ़ाई के नाम पर स्कॉलरशिप दी जा रही है। विभाग का मानना है कि जांच के दौरान काफी संख्या में ऐसे पैरेंट्स के मिलने के आसार हैं जो निर्धारित आय सीमा के बाहर होने के बावजूद पढ़ाई के नाम पर गलत दस्तावेजों के सहारे सरकारी सुविधा का लाभ ले रहे हैं। समाज कल्याण विभाग 26 जनवरी को एक कार्यक्रम में इस योजना के तहत लाभांवित होने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप योजना का वितरण करने जा रहा है। उससे पहले ही यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
गलत आय प्रमाण पत्र बनवाकर ले रहे लाभ
समाज कल्याण विभाग द्वारा दी जा रही स्कॉलरशिप सुविधा के तहत अनुसूचित जाति के छात्रों (परिवार की आय सीमा 2.5 लाख होनी चाहिए) और सामान्य वर्ग के छात्रों (परिवार की आय सीमा 2 लाख होनी चाहिए) को पढ़ाई के नाम पर आर्थिक मदद दी जाती है। इसके पीछे सरकार की मंशा यह है कि पढ़ाई की राह में आर्थिक तंगी बाधा न बन सके। इसके लिए समाज कल्याण विभाग की तरफ से हर साल भारी-भरकम बजट स्कॉलरशिप के नाम पर छात्रों के खाते में ऑनलाइन ट्रांसफर की जाती है, लेकिन इस सुविधा का लाभ ले रहे छात्रों में काफी संख्या में ऐसे भी छात्र हैं, जिनके परिवार की आय सीमा निर्धारित आय सीमा से काफी ऊपर है। इसके बावजूद जाति के नाम पर या अपने रसूख के बल पर उनके पैरेंट्स तहसील के माध्यम से गलत आय प्रमाण पत्र बनवाकर सुविधा का लाभ ले रहे हैं। इस बारे में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि विभाग के उद्देश्य का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे पैरेंट्स की संख्या काफी है, जो गलत तरीके से इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए विभाग ने आय प्रमाण पत्र की जांच कराने का निर्णय लिया है।
अब कर रहे अनुशासनात्मक समिति का सामना
समाज कल्याण विभाग की तरफ से दी जा रही स्कॉलरशिप को लेकर सूत्रों का कहना है कि एक जिला समाज कल्याण विभाग के अधिकारी ने खुद की गलत आय दिखाकर सुविधा का लाभ ले लिया था, बाद में शिकायत के आधार पर जब जांच कराई गई तो मामला सही निकला। इसके बाद उससे रिकवरी कराई गई, वर्तमान में वह रिटायर भी हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद वह विभाग की अनुशासनात्मक समिति का सामना कर रहे हैं।
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इस तरह होगी जांच
अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए एक सा टवेयर तैयार कराया जायेगा। जिस पर एनआईसी के जरिए प्राप्त दस्तावेजों में आय प्रमाण पत्र के दस्तावेज अपलोड कर दिये जायेंगे। उसके बाद संबंधित जिलों के डीएम व समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों के माध्यम से जांच कराई जायेगी। संबंधित जिलों के डीएम तहसीलों के माध्यम से आय प्रमाण पत्र की जांच करायेंगे।
जांच में फर्जी मिले तो होगी रिकवरी
अधिकारियों का कहना है कि आय प्रमाण पत्र की जांच के दौरान यदि पैरेंट्स के इनकम सर्टिफिकेट फर्जी मिले तो संबंधित से पूरी धनराशि की रिकवरी की जायेगी।
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स्कॉलरशिप के लिए फर्जी आय प्रमाण पत्रों को लेकर विभाग काफी गंभीर है। फर्जी प्रमाण पत्र लगाकर सुविधा पाने वालों के खिलाफ जांच कराकर कार्यवाही की जायेगी।
सिद्धार्थ मिश्र, स्टेट नोडल ऑफिसर, स्कॉलरशिप, समाज कल्याण निदेशालय