ऐसे होता है ब्लड डोनेशन

कोई भी संस्था जब ब्लड डोनेशन कैम्प कराती है तो ब्लड बैंक सभी डोनर्स के नाम पर एक-एक डोनेशन कार्ड देती हैइस एक कार्ड के बदले डोनर अगले एक साल के दौरान अपने लिए, परिवार या दोस्तों को इमरजेंसी में जरूरत पडऩे पर एक यूनिट ब्लड बिना डोनेशन के ले सकता है, लेकिन ब्लड डोनेशन करने वाली संस्थाएं ज्यादा होशियार निकलीउन्होंने ये कार्ड अपने पास ही रखने शुरूकर दिए और डोनर्स को कुछ नहीं मिला

मिल रहीं थीं शिकायतें

पिछले कुछ महीनों के दौरान ब्लड बैंक को इसकी शिकायतें मिली कि ब्लड डोनेशन कैम्प कराने वाली कुछ संस्थाएं डोनर कार्ड का गलत इस्तेमाल कर रही हैंकुछ लोग डोनर कार्ड लेकर ब्लड लेने आए जब उनसे इसके सोर्स के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने बताया कि इस कार्ड के लिए उन्होंने 1500 से 2500 रुपए तक पे किया हैजिसके बाद ब्लड बैंक ने निर्णय लिया कि इस पर लगाम लगानी जरूरी है

अब सीधे डोनर को मिलेगा कार्ड

केजीएमयू में ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी डॉतूलिका चन्द्रा ने बताया कि अब किसी संस्था को ब्लड डोनर कार्ड नहीं दिए जाएंगेये कार्ड अब ब्लड डोनेट करने के तुरंत बाद डोनर को ही दे दिया जाएगाप्रत्येक डोनर की यूनीक आईडी होगीजिसका डेटा ब्लड बैंक के पास होगा

इसमें पहले की ही तरह की फैसिलिटी होंगीअगर डोनर या रक्तदाता को कभी अपने या रिश्तेदार या दोस्त के लिए इमरजेंसी में ब्लड की जरूरत पड़ती है तो वह स्वयं अपना कार्ड लेकर ब्लड बैंक आएगासाथ ही उसे एक आइडेंटिटी दिखानी होगीउसके पश्चात उसे एक यूनिट रक्त दे दिया जाएगाइसके लिए उसे दोबारा ब्लड डोनेशन नहीं करना पड़ेगा

संस्थाओं का भी रख जाएगा ख्याल

डॉतूलिका चन्द्रा के अनुसार ब्लड डोनेशन कैम्प कराने वाली संस्थाओं का भी ख्याल रखा जाएगाजितने ब्लड डोनेशन वह कराएंगी उसका 10 परसेंट संख्या में ब्लड सप्लाई कार्ड संस्था को भी दिए जाएंगेये डोनर कार्ड से अलग होंगेहर कार्ड के बदले संस्थाओं को ब्लड देंगेकुछ संस्थाओं को इस व्यवस्था से दिक्कत हो सकती कै, लेकिन जो वास्तव में नेक काम के लिए रक्तदान करा रही हैं उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगीहमारा सिर्फ एक मकसद है कि स्वैच्छिक रक्तदान का लाभ जरुरतमंद लोगों को ही मिले

कहां जाता है ब्लड

डॉतूलिका चन्द्रा ने बताया कि स्वैच्छिक रक्तदान से आया हुआ रक्त इमरजेंसी में बच्चों को, प्रसव के लिए आई महिलाओं के लिए और ट्रामा सेंटर में मरीजों के लिए प्रयोग किया जाता हैसाथ ही बेसहारा मरीजों और उन मरीजों को जिनके परिजन ब्लड नहीं दे सकते या रक्तदान करने के लिए एलिजिबल नहीं है उन्हें दिया जाता हैविभाग 200 यूनिट से ज्यादा रक्त हर माह इन मरीजों को फ्री में उपलब्ध कराता हैमरीज का इलाज कर रहे डॉक्टर ही यह तय करते हैं कि किस मरीज को बिना डोनेशन रक्त की जरूरत हैयह इमरजेंसी में मरीजों की की सहायता के लिए है ताकि उनकी जान बचाई जा सकेइसके अलावा हीमोफीलिया और एचआईवी पेशेंट्स को भी ज्यादातर बिना डोनेशन के ब्लड देना होता हैइन मरीजों की इस स्तर पर सहायता तभी सम्भव है जब लोग ज्यादा से ज्यादा रक्तदान के लिए आगे आएंउन्होंने बताया कि 2013 में 84 संस्थाओं की मदद से कुल 78 हजार यूनिट रक्त मरीजों को दिया गयावही 2012 में 67 संस्थाओं रक्तदान कराया

क्या कहते हैं अधिकारी

पिछले कुछ महीनों में डोनर कार्ड के मिसयूज की शिकायतें मिली हैंजिसके बाद डोनर कार्ड सीधे डोनर को ही देने का निर्णय लिया गया हैडोनर को जब जरुरत होगी उसे ब्लड दिया जाएगासंस्था को भी ब्लड सप्लाई कार्ड दिए जाएंगे।