लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिली है। दरअसल, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किया गया है कि बिजली उपभोक्ताओं से स्मार्ट मीटर खर्च की भरपाई नहीं की जाएगी। उपभोक्ता परिषद की ओर से लंबे समय से इसको लेकर आवाज उठाई जा रही थी। खास बात यह है कि इस आदेश के आने के बाद टैरिफ में भी कोई इजाफा नहीं होगा।
900 से 1350 रुपये प्रति मीटर अनुदान
पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 20 से 25 हजार करोड़ की लागत वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद का खर्च किसी भी रूप में प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर ना पड़े, इसके लिए उपभोक्ता परिषद लंबे समय से लड़ाई लड़ रहा था। अंतत: केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खुशखबरी का रास्ता खोल दिया है। ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सभी विद्युत नियामक आयोग के लिए आदेश जारी कर दिया है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर पर आने वाला खर्च किसी भी रूप में उपभोक्ताओं पर पास नहीं किया जाएगा। यह पूरी योजना आत्मनिर्भर योजना के अंतर्गत आता है, जिस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय 900 से 1350 रुपए प्रति मीटर अनुदान देगा और जो भी इस पूरे परियोजना में अतिरिक्त खर्च आएगा, उसकी भरपाई प्रदेश की बिजली कंपनियां मीटर रीडिंग बिलिंग में सुधार और कलेक्शन एफिशिएंसी में सुधार करके करेंगी।
टैरिफ से करना चाह रहीं थीं
अभी तक जो बिजली कंपनियां आरडीएसएस स्कीम के तहत इस पर होने वाले खर्च की भरपाई प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के टैरिफ से करना चाह रही थीं, अब उस पर पूरी तरह से विराम लग गया है। ऊर्जा मंत्रालय का आदेश आते ही बिजली कंपनियों ने आदेश जारी करना शुरू कर दिया है कि भुगतान को बोझ किसी भी रूप में प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जाएगा। केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने अपने आदेश में यह भी लिखा है कि उत्तर प्रदेश में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगे हैं, उससे बिजली कंपनियों को 18 से 40 रुपया प्रति मीटर फायदा हो रहा है।
चार सालों से लगातार खारिज
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ताओं के पक्ष में विद्युत नियामक आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरपी सिंह ने मजबूती से अपना पक्ष रखा। नियामक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने पिछले चार वर्षों से हमेशा अपने कार्यकाल के सभी टैरिफ आदेश में यह पारित किया था कि यह बिजली कंपनियों की आत्मनिर्भर स्कीम है, इसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ता नहीं भुगतेंगे और बिजली कंपनियों के स्मार्ट मीटर प्रोजेक्ट के खर्च को पिछले 4 वर्षों से लगातार खारिज किया था। उपभोक्ता परिषद की जनहित की इस मांग को लगातार फोरम आप रेगुलेटर में उठाया था।
वरना लग सकता था झटका
अगर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से आदेश न जारी किया गया होता तो साफ है कि प्रदेश के उपभोक्ताओं की जेब जरूर ढीली होती। टैरिफ में स्मार्ट मीटर खर्च को पास ऑन करने से टैरिफ बढ़ जाता और इसका सीधा असर उपभोक्ताओं के बिलों में पड़ता। हालांकि, अब उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिल चुकी है।