- बिजली के तारों का संजाल बना खतर-ए-जान
LUCKNOW:
चौक शहर का सबसे पुराना बाजार है। जो यूं तो महज दो फलांग की एक पतली और आम सी दिखने वाली सड़क है जो गोल दरवाजे से शुरू होकर अकबरी दरवाजे की हद तक जाती है। गोल दरवाजे के भीतर घुसते ही दोनों तरफ मौजूद गहनों की दुकानें सराफा बाजार के नाम से जानी जाती हैं। डेढ़ सौ साल पुराना इतिहास है चौक बाजार का लेकिन विकास के नाम में आज भी वर्षो पीछे की व्यवस्था संग-संग चल रही है। न सीवर लाइन है और न सफाई व्यवस्था, तारों का जंजाल इलाके में बना है खतरा-ए-जान।
परिचय
चौक सराफा बाजार
जनसंख्या - 70 हजार से 1 लाख
ऐतिहासिक धरोहर
- 1905 की बनी चौक कोतवाली
- कल्ली जी राम मंदिर, राम दरबार
- चांदी व सोने का कारोबार
- चिकन के कपड़ों व कारीगरी
स्वाद में भी दमदार
- टूंडे कवाबी
- इदरीश बिरयानी
मीठा व नमकीन
- राम आसरे स्वीट्स
- परंपरा स्वीट हाउस
- सेवक हलवाई
गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल
जानकारों की माने तो गोल दरवाजे से लेकर अकबरी दरवाजों के बीच दुकानों के ऊपरी हिस्से में तवायफों के कोठे राजशाही और अमीर लोगों के लिए काफी मायने रखते थे। ये कथक और शास्त्रीय संगीत के साथ-साथ गजल गायिकी में भी महारत रखती थीं। यह एरिया अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है।
नाम बड़े और दर्शन छोटे
चौक का जितना पुराना इतिहास है, उसके विकास की रफ्तार उतनी ही धीमी है। हर दिन लाखों करोड़ों का कारोबार करने वाली इस बाजार में अव्यवस्था हर जगह दिखाई दे जाती है। जगह-जगह बिजली के तारों का जाल खतरा-ए-जान बना हुआ है।
न सीवर न नालियों की सफाई
यहां आज तक सीवर लाइन पहुंची ही नहीं है। लोगों ने मकान व दुकानों के पीछे गली में डक्ट बनवाया है। यही नहीं बाजार में रोड पर भले ही झाडू लगती है और कूड़ा उठान भी होता है लेकिन हकीकत में चौक बाजार की नालियां बजबजा रही हैं।
ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त
चौक बाजार से चंद कदमों की दूरी पर एक मल्टी लेबल पार्किग बनवाई गई है। पार्किग की क्षमता चार पहिया 6 सौ व दो पहिया ढाई गाडि़यों की है लेकिन न तो वहां दुकानदार व कर्मचारी अपनी गाडि़यां खड़ी करते हैं और न ही वहां आने वाले ग्राहक। आलम यह है कि पतली गलियों में दुकानदार व कर्मचारी अपनी गाडि़यां खड़ी करते है जिससे हर वक्त वहां जाम की स्थिति बनी रहती है।
गोल दरवाजे से फूलवाली गली तक चौक बाजार लगता है। यहां की सोने चांदी की ज्वैलरी के साथ चिकन कारीगरी पूरी दुनिया में फेमस है। बिजली के तार व नालियों की समस्या से यहां सब परेशान हैं।
डॉ। राजकुमार कुमार वर्मा
ये बाजार लखनऊ नहीं बल्कि पूरे देश में फेमस है। सुविधा के नाम पर किसी तरह का विकास नहीं हुआ है। आज भी पुरानी परंपरा की तरह लोग खुद जिम्मेदारी उठाकर इस इतिहास को संवारने में लगे हैं।
विनोद महेश्वरी
चौक में ट्रैफिक समस्या ज्यादा है। यहां न तो ट्रैफिक पुलिस कोई अभियान चलाती है और न ही ई-रिक्शा व टैंपो के लिए कोई स्टैंड है। यहां हर समय जाम की समस्या का सामना करना पड़ता है।
अनूप मिश्रा
इलाके में मच्छरों का बहुत प्रकोप है और नगर निगम द्वारा अंदर के एरिया में फॉगिग तक नहीं कराई जाती है। कई खाली पड़े मकान अब कुड़ा घर में तब्दील हो गए हैं, जिससे परेशानी होती है।
अभिषेक खरे
पुराना इलाका होने के चलते विकास की रफ्तार धीरे है। इलाके की भौतिक संरचना भी इसके लिए जिम्मेदार है। यहां बिजली के तारों का जंजाल है जो कभी भी खतरनाक हो सकता है।
सुशील अग्रवाल