लखनऊ (ब्यूरो)। कम्प्रेस्ड नेचुरल गैस, सीएनजी के बढ़ते दामों के चलते राजधानी में प्रदूषण बढ़ रहा है। निजी क्षेत्रों में लोगों की रुचि सीएनजी वाहनों के प्रति तेजी से कम होती जा रही है। सीएनजी और पेट्रोल की कीमतों में अधिक अंतर न होने के कारण लोग पेट्रोल वाहनों को ही प्राथमिकता दे रहे हैं। सीएनजी वाहनों की तुलना में पेट्रोल वाहन से अधिक धुंआ निकलता है, जो वातावरण को प्रदूषित करता है। सीएनजी के बढ़ते दाम के चलते लोग इससे किनारा कर रहे हैं। बीएस 6 वाहनों में भी सीएनजी किट लगवाने की छूट एक महीना पहले मिल चुकी है लेकिन अब तक एक भी बीएस 6 वाहन मालिक ने अपने वाहन में सीएनजी किट नहीं लगवाई है। आलम यह है कि पिछले महीने तक शहर में सीएनजी की खपत एक लाख 40 हजार किलो तक थी, जो घट कर अब एक लाख 25 हजार किलो रह गई है।

दाम बढऩे से लोगों ने बढ़ा ली दूरी

विभागीय अधिकारियों के अनुसार, राजधानी में निजी और व्यवसायिक क्षेत्रों को मिलाकर करीब 50 हजार वाहन हैं। जब सीएनजी के दाम पेट्रोल के दाम की तुलना में खासे कम थे, तब सीएनजी वाहनों की मांग अधिक थी। अधिकांश वाहन मालिकों ने अपने वाहनों में अलग से सीएनजी किट लगवाई। लेकिन अब सीएनजी 92 रुपए प्रति किलो बिक रही हैं वहीं पेट्रोल का दाम 96.57 रुपए प्रति लीटर है। बीच में सीएनजी दामों में लगातार हुई बढ़ोतरी के चलते लोगों ने इससे दूरी बना ली है। बाजार में नए सीएनजी वाहनों की बिक्री घटने के साथ ही पुराने वाहनों में भी लोग सीएनजी किट नहीं लगवा रहे हैं। बताते चलें कि सीएनजी वाहनों की कीमत पेट्रोल वाहनों की तुलना में अधिक होती है। पुराने वाहनों में किट लगवाने पर भी 50 हजार रुपए तक खर्च आता है।

सीएनजी वाहनों के पंजीकरण पेट्रोल वाहनों की तुलना में कम हो गए हैं। पहले पेट्रोल के दाम सीएनजी की तुलना में कम थे तो लोग इस अपने वाहनों में सीएनजी किट लगवा रहे थे। दाम में अधिक अंतर न होने के कारण लोग सीएनजी वाहनों से दूरी बना रहे हैं।

-अखिलेश कुमार द्विवेदी, एआरअीओ प्रशासन, लखनऊ