लखनऊ (ब्यूरो)। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में जैव प्रौद्योगिकी विभाग के डॉ। यूसुफ अख्तर और गरिमा सिंह ने डीबीटी नेशनल ब्रेन रिसर्च सेंटर, गुरुग्राम और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजूकेशन भुवनेश्वर के शोधकर्ताओं के साथ मिलकर कैटेस्टैटिन (सीएसटी) पेप्टाइड पर शोध किया है। उन्होंने इसके प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले वेरियेंट सीएसटी-364एस और कोशिका झिल्ली के बीच होने वाली जटिल क्रिया-प्रतिक्रिया विषय पर अनुसंधान किया है। विवि के कुलपति आचार्य संजय सिंह ने डॉ। यूसुफ अख्तर व गरिमा को इस उपलब्धि पर शुभकामनाएं दीं।
हाई बीपी, हार्ट डिजीज का खतरा कम
कैटेस्टैटिन मानव कोशिका में बनने वाला एक पेप्टाइड है, जो ह्रदय रोग, ऑटोइम्यूनिटी एवं मधुमेह जैसी बीमारियों के इलाज के लिए कारगर है। इसके अतिरिक्त इसमें रोगजनक रोगाणुओं के खिलाफ काम करने की क्षमता है। शोधकर्ताओं ने मानव कैटेस्टैटिन और इसके प्राकृतिक रूप से पाये जाने वाले वेरियेंट में से एक सीएसटी-364एस के व्यवहार की जांच की है, जिसकी मानव आबादी में उच्च एलीलिक आवृत्ति बहुत अधिक पायी जाती है। यह वेरियेंट विशेष रूप से पुरुषों में उच्च रक्तचाप के खतरे को कम कर देता है। शोध के अनुसार, यह कोशिका झिल्ली को भेदकर उसके अंदर प्रवेश कर सकता है। इस शोध के परिणाम बताते हैं कि सीएसटी क्रम तरलता, झिल्ली क्षमता और मोटाई जैसे लिपिड गुणों को प्रभावित करके कोशिका झिल्ली की संरचनाओं में प्रवेश और आंतरिककरण को बढ़ावा देता है।
नई दवाओं की खोज में मददगार
शोध के नतीजे अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका बायोकैमिका एट बायोफिजिका एक्टा-बायोमैम्ब्रें में प्रकाशित हुए हैं। डॉ। यूसुफ अख्तर ने कहा, कि इन निष्कर्षों का जीव विज्ञान के माध्यम से हमारी समझ पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। यह नई दवाओं के खोज के क्षेत्र में मददगार साबित होगा। इन आणविक अंत: क्रियाओं को डिकोड करके हम ह्रदय रोगों, ऑटोइम्यूनिटी, मधुमेह और रोगाणुरोधी प्रतिरोध के खिलाफ चिकित्सा संभावनाओं में नयी खोज कर सकते हैं।
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कैंसर की नई थेरेपी पर काम करेगा सीडीआरआई
सीएसआईआर-सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के सहारे कैंसर के इलाज के लिए नई थेरेपी विकसित करने की राह पर है। संस्थान ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित औषधि अनुसंधान में भारतीय स्टार्टअप कंपनी, श्रावती एआई टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड के साथ एमओयू साइन किया है। इस सहयोग में श्रावती एआई, कैंसर रोधी गुणों वाले नवीन रासायनिक इकाइयों (अणुओं) (एनसीई) को डिजाइन करने में उनके द्वारा विकसित उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता व कम्प्यूटेशनल टूल्स से मदद करेगा। वहीं, सीएसआईआर-सीडीआरआई इन नवीन रासायनिक इकाइयों (न्यू केमिकल एंटिटी या एनसीई) को संश्लेषित करके आवश्यकतानुसार इन विट्रो/इन विवो टेस्ट्स के द्वारा इनका मूल्यांकन एवं पुष्टि करेगा। दोनों संस्थाएं इस प्रकार चुने हुए सक्रिय यौगिकों (एनसीई) को परखने के बाद नवीन कैंसर रोधी प्रत्याशी दवा के तौर पर इनका चयन कर नैदानिक मूल्यांकन के लिए मिलकर काम करेंगी।
लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मददगार
श्रावती एआई के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक डॉ। किशन गुर्रम ने कहा, हमारा मानना है कि हमारी कृत्रिम बुद्धिमत्ता या एआई की तकनीक को सीडीआरआई की क्षमताओं के साथ जोड़कर, इस दिशा में औषधि अनुसंधान को और अधिक प्रभावी, सुरक्षित, तेज एवं कम लागत वाला बनाया सकता है। यह संस्थान, सीएसआईआर के पैन-कैंसर मिशन कार्यक्रम की नोडल लैब है, जिसका उद्देश्य ट्रिपल नेगेटिव ब्रेस्ट जैसे महत्वपूर्ण व अति महत्वपूर्ण कैंसर के इलाज के लिए दवाएं बनाना है। सीएसआईआर-सीडीआरआई निदेशक डॉ। राधा रंगराजन ने कहा यह सहयोग पैन-कैंसर मिशन के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगा।