लखनऊ (ब्यूरो)। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के पावन प्रेम का प्रतीक होता है, जिसका इंतजार उन्हें पूरे साल बेसब्री से रहता है। जरूरत पड़ने पर भाई-बहन एक-दूसरे की मदद का हर संभव प्रयास करते हैं। बात जब किसी मेडिकल इमरजेंसी की हो तो वे उनकी जान बचाने के लिए अपनी किडनी या ब्लड डोनेट करने तक में भी पीछे नहीं रहते। ऐसे तमाम उदाहरण हैं जहां भाई-बहन ने अपनों के लिए जान की बाजी लगाई और उनका यह प्रेम सभी के लिए प्रेरणा बन गया। पेश है अनुज टंडन की स्पेशल रिपोर्ट

राखी से कुछ दिन पहले भाई को दी किडनी

मेरे भाई संदीप कुमार, जो आईआरएस सेवा में है, का 2012 में किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका है। करीब 8 साल बाद उन्हें फिर दिक्कत शुरू हो गई। पहले पत्नी ने किडनी देने की कोशिश की, लेकिन मैच नहीं हुई। परिवार के बाकी सदस्यों के साथ भी मैच नहीं हुई। आखिरी में मेरे से मैच हो गई तो मैंने भी खुशी-खुशी किडनी डोनेट करने को हामी भर दी। यह बात जब मैंने अपने पति, जो खुद डॉक्टर हैं, को बताई तो वह भी इसके लिए राजी हो गये। रक्षाबंधन से कुछ दिन पहले ही भाई का किडनी ट्रांसप्लांट हुआ, जो सफल रहा। मैंने अस्पताल में ही उनको राखी बांधी। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं भाई का जीवन बचाने में मदद कर सकी। मैं और मेरा भाई दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं। राखी का त्योहार हम दोनों के लिए विशेष महत्व रखता है।

-डॉ। सुजाता देव

खून देकर बनाया बहन का रिश्ता

जब मैं एमबीबीएस कर रहा था तो काफी बीमार हो गया था। हालत इतनी खराब थी कि कई दिनों क भर्ती होना पड़ा था। उसी दौरान मुझे ब्लड ट्रांसफ्यूजन की जरूरत पड़ी। चूंकि परिवार बाहर था, ऐसे में साथ की क्लासमेट आकांक्षा मिश्रा ने मुझे ब्लड दिया, जिसके बाद मेरी जान बचाई जा सकी। कुछ दिन के बाद राखी का पर्व आया। मेरी कोई बहन नहीं है इसलिए मैंने उससे राखी बांधने की गुजारिश की। तब से लेकर आजतक वह मुझे राखी बांधती आ रही है। हमारा भले ही पारिवारिक रिश्ता न हो, लेकिन खून का रिश्ता हमेशा के लिए बन गया है। मेरी पूरी कोशिश रहती है कि रक्षाबंधन वाले दिन उसके पास जाकर राखी बंधवा सकूं।

-डॉ। अनिल गंगवार

बहन को दिया लिवर

मेरी बहन सरिता की तबियत 2005 में बेहद खराब हो गई थी। जांच में पता चला कि उसे लिवर सिरोसिस हो गया है। केवल लिवर ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प है। यह सुनकर परिवार वाले चिंतित हो उठे। पिताजी ने लिवर डोनेट को कहा, लेकिन टेस्ट में लिवर मैच नहीं हुआ। मेरा टेस्ट मैच हो गया। मैंने भी लिवर डोनेट करने के लिए तुरंत हामी भर दी, जिसके बाद उसका ट्रांसप्लांट कराया गया, जो सफल रहा। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ है। आज हम दोनों हर सुख-दुख में एक-दूसरे का साथ देते हैं। उसकी शादी हो चुकी और बच्चे भी हैं। राखी का त्योहार हम दोनों के इस पवित्र रिश्ते को और मजबूत करने का काम कर रहा है।

-हरिओम मिश्रा

तब से कर रहा ब्लड डोनेट

मेरी छोटी बहन निशा की 2001 में मौत हो गई थी, क्योंकि उसे समय पर ब्लड नहीं मिल पाया था। हमारे पूरे परिवार को इसका गहरा धक्का लगा था। जिसके बाद मुझे लगा न जाने ऐसी कितनी बहनें होंगी जिनको समय पर ब्लड नहीं मिल पाया होगा। यही सोच कर मैंने जरूरतमंद महिलाओं को अपनी बहन की तरह मानकर ब्लड डोनेट करने की ठानी ताकि मेरी तरह कोई और भाई अपनी बहन को न खोए। तब से लेकर अबतक मैं 10 बार ब्लड डोनेट कर चुका हूं। जिसका मुझे गर्व भी है कि मैं किसी की जिंदगी बचाने का का आ रहा हूं। राखी का पर्व भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करने का दिन होता है। इसीलिए यह दिन मेरे लिए हमेशा खास रहेगा।

-रोहित सिंह

दोपहर 1:25 के बाद शुभ घड़ी में बांधें राखी

रक्षाबंधन पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जिसका इंतजार सभी भाई-बहन पूरे साल करते हैं। ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय के मुताबिक, इस वर्ष श्रावण शुक्ल पूर्णिमा 19 अगस्त दिन सोमवार को रात्रि 12:28 तक है, लेकिन 1:25 तक भद्रा है। इसलिए भद्रा के बाद ही रक्षाबंधन का पुनीत पर्व इस बार मनाया जाएगा। भद्रा काल में रक्षाबंधन का पुनीत पर्व मनाना वर्जित है। ऐसे में सोमवार को 1:25 बजे के बाद ही रक्षाबंधन का पुनीत पर्व मनाया जाना शुभ रहेगा। इसबार इस दिन सावन का सोमवार भी होने से विशेष शुभ संयोग बन रहा है।