- केंद्रीय आयुष विभाग ने बनाए दो तरह के काढ़ा कैप्सूल

- केजीएमयू में जल्द किया जाएगा इन कैप्सूल का ट्रायल

anuj.tandon@inext.co.in

LUCKNOW: कोरोना वायरस पर जीत हासिल करने के लिए देश-विदेश में दवा बनाने की कोशिश की जा रही है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय भी लगातार इस पर काम कर रहा है। इसी के तहत आयुर्वेदिक काढ़ा को प्रमोट किया जा रहा है। आयुष विभाग अब इसी काढ़ा को कैप्सूल के रूप में लांच करने की तैयारी कर रहा है। केजीएमयू जल्द इस काढ़ा कैप्सूल का ट्रायल करेगा। अगर ट्रायल सफल रहा तो मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी।

दो तरह का कैप्सूल बनाया

कई गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में कोरोना पेशेंट्स और हॉस्पिटल स्टाफ की इम्युनिटी पॉवर बढ़ाने के लिए आयुर्वेदिक काढ़ा दिया जा रहा है। इसी को देखते हुए आयुष विभाग ने दो तरह का काढ़ा कैप्सूल तैयार करने का दावा किया है। ये कैप्सूल कोरोना पेशेंट्स के ट्रीटमेंट में सहायक होंगे और उनकी इम्युनिटी पॉवर को भी बढ़ाएंगे। इसके ट्रायल के लिए केजीएमयू से संपर्क किया गया है। फिलहाल ट्रायल के लिए एथिक्स कमेटी से मंजूरी मिलनी बाकी है।

आयुर्वेदिक औषधियों से बना

केजीएमयू के संक्रामक रोग विभाग के इंचार्ज डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि केंद्रीय आयुष विभाग ने कोरोना वायरस के इलाज के लिए बनाए गए काढ़ा कैप्सूल के ट्रायल के लिए संपर्क किया है। इसमें दो तरह के कैप्सूल हैं। पहला ट्रीटमेंट कैप्सूल है जो कोरोना पॉजिटिव मरीजों को दिया जाएगा और दूसरा हेल्थ केयर वर्कर प्रोटेक्शन कैप्सूल है जो हॉस्पिटल स्टाफ की इम्युनिटी को बूस्ट करेगी। दोनों कैप्सूल में जरूरत के अनुसार औषधियां मिलाई गई हैं। सभी औषधियों के बारे में अभी नहीं बताया जा सकता है।

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इन जड़ी बूटियों को मिलाकर बनाया गया

- अश्वगंधा

- गिलोय

- दालचीनी

नोट- कुछ अन्य जड़ी बूटियां भी मिलाई गई हैं

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जल्द किया जाएगा ट्रायल

डॉ। हिमांशु के अनुसार इस काढ़ा कैप्सूल के ट्रायल का प्रस्ताव एथिकल कमेटी के पास आ चुका है। मंजूरी मिलते ही सभी गाइडलाइन का फॉलो करते हुए इसका ट्रायल किया जाएगा। एथिकल कमेटी ही तय करेगी कि ट्रायल कब और कैसे किया जाना है। देखा जाएगा कि कैप्सूल का मरीज पर कितना असर हो रहा है। ट्रायल के बाद ही कहा जा सकेगा कि यह दवा कोरोना के मरीजों पर कितनी कारगर है। फिलहाल कोरोना वायरस की कोई दवा नहीं आई है।

कोट

इस काढ़ा कैप्सूल के ट्रायल के लिए एथिक्स कमेटी से मंजरी मिलना बाकी है। मंजूरी मिलते ही ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।

डॉ। डी। हिमांशु, इंचार्ज, संक्रामक रोग विभाग