लखनऊ (ब्यूरो)। नशे का कारोबार करने वालों अपराधियों के खिलाफ पुलिस ने 'एलान-ए-जंगÓ कर दिया है। लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट से लेकर एसटीएफ व एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू कर दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद पुलिस एक्शन मोड में हैै। पांच दिन में एक दर्जन से ज्यादा ड्रग पैडलर्स को सलाखों के पीछे भेजा गया है। अब पुलिस केवल ड्रग पैडलर्स नहीं बल्कि नशे का कारोबार करने वाली बड़ी मछलियों पर भी शिकंजा कंसने की तैयारी में है।
हेरोइन और गांजा की ज्यादा डिमांड
राजधानी में नशे का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रहा है। ताबड़तोड़ कार्रवाइयों के बावजूद इसके बढऩे की अहम वजह इसके शौकीनों की तादाद है। यही वजह है कि नशे के सौदागरों में पुलिस और एनसीबी का खौफ खत्म होता जा रहा है। अगर राजधानी में नशे के चलन की बात करें तो यहां युवाओं की पहली पसंद हेरोइन है। साथ ही, इसका सस्ता विकल्प गांजा भी उन्हें अपनी ओर खींच रहा है। अफीस व चरस का यूज करने वालों की भी कमी नहीं है।
बड़े कॉलेजों के स्टूडेंट्स हैं ग्राहक
एसटीएफ और एनसीबी की संयुक्त कार्रवाई में बीते दिनों एक ड्रग रैकेट का खुलासा हुआ था। यह रैकेट आलमबाग स्थित मकान से चल रहा था। रैकेट के मास्टरमाइंड को दबोचा गया तो एसटीएफ व एनसीबी कर्मियों के होश उड़ गए। दरअसल, यह मास्टरमाइंड एक रिटायर्ड पीसीएस का बेटा था। वह एक प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई भी कर रहा था। उसके कब्जे से टीम ने 1200 से ज्यादा नशे की गोलियां व हेरोइन बरामद की थी। पूछताछ में उसने बताया था कि उसके ग्राहक तमाम हायर व प्रोफेशनल स्टडीज के स्टूडेंट हैं और वह उन्हें डिमांड पर नशे की खेप सप्लाई करता था।
यंगस्टर्स के बीच व्हाइटनर व सीरप पॉपुलर
पिछले एक दशक में युवाओं के साथ-साथ किशोरों की जिंदगी में भी नशे के लत ने दस्तक दी है। किशोरों के पास पैसे कम होते हैं, इसलिए वे महंगा नशा नहीं कर पाते। उन्होंने इसका तोड़ निकाल लिया है। वे कफ सीरप पीकर या व्हाइटनर सूंघकर नशा करते हैं। ये दोनों ही नशे बेहद आसानी से मुहैया हो जाते हैं और इन्हें खरीदने के लिये कोई मशक्कत भी नहीं करनी पड़ती।
इन चीजों की सबसे ज्यादा डिमांड
- हेरोइन
- गांजा
- चरस
- अफीम
- कफ सीरप
- व्हाइटनर
यहां से आती है नशे की खेप
राजधानी में नशीले पदार्थों की सप्लाई देश के विभिन्न हिस्सों से होती है। जहां हेरोइन पंजाब, हिमाचल प्रदेश व हरियाणा से आती है, तो गांजा उड़ीसा व असम से सप्लाई होता है। अफीम की सप्लाई बाराबंकी से की जाती है। चरस की खेप नेपाल व पूर्वोत्तर के राज्यों से राजधानी में पहुंचती है। प्रदेश भर में मादक पदार्थों के अवैध व्यापार के 6006 मुकदमे दर्ज किए गए हैं
यूपी में 7 महीनों में कार्रवाई
- 50615 मुकदमे दर्ज
- 50094 अभियुक्तों को गिरफ्तार
- 3 लाख 32 हजार 881 लीटर अंग्रेजी शराब बरामद
- 11 लाख 48 हजार 928 लीटर देशी शराब बरामद
- 23 लाख 51 हजार 154 किलोग्राम लहन व 3781 अवैध शराब भ_ियों को नष्ट की गई
- 3 अरब 41 करोड़ 86 लाख 45 लाख 362 रूपये की सम्पत्ति कुर्क की गई
- 42898 किलोग्राम गांजा
- 610 किलोग्राम चरस
- 144 किलोग्राम अफीम
- 13 किलोग्राम हेरोइन
- 79 किलोग्राम स्मैक
- 13 किलोग्राम मारफीन
- 200 ग्राम कोकीन
- 3333 किलोग्राम डोड़ा व 14 किलोग्राम सिंथेटिक नारकोटिक्स साइकोट्रोपिक ड्रग्स बरामद किया गया
एसटीएफ का एक्शन
- मादक पदार्थ तस्करी गैैंग के 12 अपराधी गिरफ्तार
- 549 किलोग्राम गांजा, दो किलोग्राम अफीम और 210 ग्राम मारफीन बरामद
- बरामद ड्रग की कीमत करीब साढ़े पांच करोड़
लखनऊ कमिश्नरेट का पांच दिन में एक्शन
25 अगस्त- मोहनलालगंज थाना- 10 लीटर अवैध शराब के साथ लाली देवी गिरफ्तार
- बिजनौर थाना- 20 पुडिय़ा के साथ अजय कुमार बाजपेई गिरफ्तार
24 अगस्त-थाना हसनगंज- गीता नाम की महिला 22.5 ग्राम स्मैक पाउडर के गिरफ्तार
23 अगस्त-बंथरा थाना- 20 लीटर कच्ची शराब के साथ सतीश कुमार व नगराम में 10 लीटर अवैध शराब के साथ मैकुलाल गिरफ्तार
22 अगस्त- आशियाना थाना- कुलदीप पांडेय व ध्रुव रावत को पुलिस ने 2 किलो 200 ग्राम गांजा के साथ गिरफ्तार किया
20 अगस्त-बंथरा थाना- 20 लीटर अवैध शराब के साथ ममता और 20 लीटर कच्ची शराब के साथ रावेंद्र को गिरफ्तार
नशे के सौदागरों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। सप्लायरों के साथ-साथ उन लोगों पर भी शिकंजा कसा जा रहा है, जो इस कारोबार से जुड़े हुए हैं।
-अर्पणा रजत कौशिक, डीसीपी सेंट्रल