लखनऊ (ब्यूरो)। 'वेस्ट टू वंडर' अभियान के तहत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से 'एक्स' पर चलाए गए सर्वे से लोग भारी संख्या में जुड़े और वेस्ट निस्तारण से जुड़े कई बिंदुओं पर सुझाव देने के साथ-साथ इसको लेकर भी आश्वस्त किया कि वे घर से निकलने वाले वेस्ट से खाद बनाने को तैयार हैैं, बस उन्हें नगर निगम का साथ चाहिए। ज्यादातर लोगों ने यह भी कहा है कि जो लोग वेस्ट को सही तरह से निस्तारित नहीं करते हैैं, उनके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए।
यह पूछा गया था सवाल
घरों से निकलने वाले वेस्ट को लेकर अवेयरनेस न के बराबर है। इस चूक से सोसाइटी संग इनवॉयरमेंट को भी चोट पहुंच रही है। ऐसे में वक्त है सबके अवेयर होने का। घरों के वेस्ट का सही इलाज हो, इसके लिए आपकी राय बेहद जरूरी है।
ये ऑप्शन दिए गए थे
घर में दो डस्टबिन जरूरी-20 फीसदी
लापरवाही पर जुर्माना लगे-23 फीसदी
वेस्ट से खाद बनाना सिखाएं-35 फीसदी
मॉनिटरिंग सिस्टम सख्त हो-22 फीसदी
35 प्रतिशत लोग वेस्ट से खाद बनाने के पक्षधर
सर्वे में शामिल हुए करीब 35 फीसदी लोगों का कहना है कि वे घर से निकलने वाले वेस्ट से खाद बनाना सीखना चाहते हैैं। वे खुद चाहते हैैं कि घर से जो गीला वेस्ट निकलता है, उसका सही यूज किया जा सके। हालांकि, गीले वेस्ट से खाद किस तरह से बनेगी, उन्हें इसकी प्रॉपर जानकारी नहीं है। ऐसे में उनका कहना है कि वे लोग वेस्ट से खाद बना सकते हैैं, लेकिन नगर निगम की ओर से उन्हें इस संबंध में प्रॉपर जानकारी दी जाए।
23 फीसदी जुर्माना चाहते हैैं
सर्वे में शामिल 23 फीसदी लोगों का कहना है कि जो लोग वेस्ट फेंक देते हैैं और उसका सही से निस्तारण नहीं करते हैैं, ऐसे लोगों के खिलाफ जुर्माना लगाया जाना चाहिए। लोगों का कहना है कि पहले तो दो बार चेतावनी दी जानी चाहिए और इसके बाद भी अगर कोई सुधार नहीं होता है तो लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ ठोस एक्शन लिया जाना चाहिए। जिससे उनकी आदत में सुधार हो और वे लोग भी घर से निकलने वाले वेस्ट का प्रॉपर निस्तारण करें।
22 फीसदी मॉनीटरिंग सिस्टम के साथ
सर्वे में सामने आए 22 फीसदी लोगों का मानना है कि सबसे पहले तो वेस्ट कलेक्शन और उसके निस्तारण को लेकर प्रॉपर मॉनीटरिंग सिस्टम डेवलप किया जाना चाहिए। लोगों का मानना है कि जब तक प्रॉपर मॉनीटरिंग नहीं होगी, तब तक स्थिति में कोई सुधार देखने को नहीं मिलेगा। लोगों का यह भी सुझाव है कि निगम के वरिष्ठ अधिकारी भी समय-समय पर फील्ड में जाएं और लोगों को वेस्ट टू वंडर से जुड़ी जानकारियां साझा करें, जिससे लोग इस संबंध में अवेयर हो सकें।
20 फीसदी दो डस्टबिन कांसेप्ट के साथ
20 फीसदी लोगों का मानना है कि सबसे पहले तो हर घर में कम से कम दो डस्टबिन रखा जाना चाहिए। जिससे घर से निकलने वाले सूखे-गीले वेस्ट को अलग-अलग रखा जा सके। इसके बाद गीले वेस्ट के माध्यम से खाद बनाई जा सके। लोगों का यह भी सुझाव है कि दो या तीन डस्टबिन कांसेप्ट से पब्लिक को अवेयर कराया जाना चाहिए। जिससे लोग जान सकें कि घर में दो या तीन डस्टबिन रखा जाना क्यों जरूरी है। अभी तो लोगों को यह नहीं पता है कि हरा और नीले रंग के डस्टबिन का क्या फायदा है। लोगों को अवेयर किया जाना बेहद जरूरी है।
सर्वे में ये सुझाव भी आए
जब तक कानून का भय नहीं होगा, हमारी आदत नहीं बदलेगी। इंदौर में अगर आप सूखा और गीला वेस्ट अलग-अलग नहीं देते हैैं तो आपकी फोटो खींचकर एप पर डाल दी जाती है, जिसके बाद जुर्माना लगता है।
मनीष मिश्रा
जागरूकता के माध्यम से ही लोगों को सूखा और गीला वेस्ट अलग-अलग रखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। नगर निगम को इस दिशा में तत्काल कदम उठाने चाहिए।
वेद प्रकाश
हम तो पहले से ही गमलों में खाद बनाते हैैं। इसके लिए किचन से निकलने वाले गार्बेज का यूज किया जाता है। हर किसी को दो डस्टबिन जरूर रखने चाहिए।
इंद्रा शर्मा
वेस्ट का सही से निस्तारण न होने की स्थिति में जनता के साथ-साथ जिम्मेदार अफसरों पर भी एक्शन लिया जाना चाहिए।
धर्मेंद्र तिवारी
घर से निकलने वाले वेस्ट को फेंकने के लिए किचन के पास दो डस्टबिन रखे हुए हैं। किचन से जो सूखा और गीला वेस्ट निकलता है, उसे अलग-अलग डस्टबिन में डालते हैं। इसका फायदा यह है कि नगर निगम कर्मी आसानी से दोनों तरह के वेस्ट कलेक्ट कर लेते हैं।
अमित श्रीवास्तव
हर किसी को साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए। हमने तो अपने घर में दो डस्टबिन रखे हुए हैैं और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करते हैैं।
अमित श्रीवास्तव
घर के साथ-साथ अपनी शॉप में भी दो डस्टबिन रखे हुए हैं। एक डस्टबिन में शॉप से निकलने वाले सूखे वेस्ट को डालते हैैं, जबकि दूसरे में पानी की बोतल या पॉलीथिन इत्यादि को। अन्य व्यापारियों को भी इस बाबत जागरुक कर रहे हैं।
राजेश सोनी