लखनऊ (ब्यूरो)। शहर में आए दिन रोड एक्सीडेंट में लोग अपनी जान गवां रहे हैं, जिसके चलते कई परिवार पल भर में ही बिखर रहे हैं। इन हादसों पर रोक लगाने के लिए हर साल 11 से 17 जनवरी तक 'नेशनल रोड सेफ्टी' वीक मनाया जाता है। गुरुवार को रोड सेफ्टी वीक का पहला दिन है। इस दौरान लोगों को अवेयर किया जाता है कि ट्रैफिक नियमों को उल्लंघन न करें, क्योंकि इससे आपकी और दूसरों की जिंदगी खतरे में पड़ सकती है। रोड सेफ्टी वीक को देखते हुए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने भी 'मुद्दा ये जिंदगी का है' अभियान शुरू किया है, जो पुलिस की कार्यशैली से लेकर आंकड़ों के जरिये रोड एक्सीडेंट में होने वाली मौत से लेकर ट्रैफिक सिस्टम और पुलिस की कार्यशैली से रूबरू कराएगा।
ट्रैफिक रूल्स का नहीं हो रहा पालन
शहर में सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए हर साल तकरीबन 20 लाख रुपये का बजट खर्च किया जाता है। इसमें ट्रैफिक रूल्स का पालना करवाने के लिए अलग-अलग इक्यूप्मेंट खरीदे जाते हैं, ताकि शहर की सड़कों को लाल होने से बचाया जा सके। ट्रैफिक पुलिस के इस सख्त कदम के बावजूद अधिकतर वाहन चालक नियमों का पालन नहीं करते हैं, नतीजन आए दिन सड़क हादसा होना आम हो गया है। जिसकी वजह से रोजाना किसी न किसी की मौत हो जाती है। पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, साल 2023 में शहर के अलग-अलग हिस्सों में तकरीबन 405 से अधिक मौतें सड़क हादसे में हो गई थीं।
हिट एंड रन के काफी मामले
एनसीआरबी के आंकड़ों पर नजर डालें तो हिट एंड रन की घटनाओं में भी राजधानी का आंकड़ा काफी बढ़ा है। वर्ष 2022 में यहां हिट एंड रन में 355 लोगों की जानें गईं थी, जोकि 2021 के मुकाबले कम हुई। वर्ष 2021 के एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, लखनऊ में कुल 442 जानें हिट-एंड-रन में गई थीं।
चालान से लगेगी रोक
ट्रैफिक पुलिस विभाग सड़क हादसों पर रोक लगाने के लिए रोड सेफ्टी वीक में सबसे ज्यादा चालान काटने के टारगेट को लेकर चलती है। इसके पीछे का मकसद वाहन चालकों में नियमों का पालन कराना होता है। अगर नियमों का उल्लंघन नहीं होगा, तो रोड एक्सीडेंट पर काफी हद तक कंट्रोल पाया जा सकेगा। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2023 में दो लाख से अधिक वाहनों के चालान काटे गए थे।
हादसों पर ऐसे कंट्रोल पाने का प्लान
अधिकतर सड़क हादसे ओवरस्पीड, डिवाइडर कट, स्पीड ब्रेकर, आदि कई कारणों से होते हैं। ऐसे में 15 से 31 दिसंबर तक चले सड़क सुरक्षा पखवाड़ा के दौरान सड़क हादसों पर लगाम लगाने के लिए निर्देश दिया गया था। इसके तहत रोड इंजीनियरिंग पर फोकस, ब्लैक स्पॉट खत्म करने से लेकर सीसीटीवी कैमरों पर फोकस करने का आदेश दिया गया था। इस दौरान कई जगहों ब्लैक स्पॉट के हालत तो सुधरे हैं, लेकिन अधिकतर स्पॉट पर हालात जस के तस हैं।
ये भी लिया गया था फैसला
- शराब की समस्त दुकानों (ठेके, मॉडल शॉप, बार) पर नशे की हालत में वाहन न चलाने के होर्डिंग लगाना।
- कोहरे के दौरान प्रभावी पेट्रोलिंग और यातायात नियम तोड़ने वालों से सख्ती बरतना।
- जिन जगहों पर ओवरस्पीड से गाड़ियां भागती हैं, उस रोड पर जगह-जगह बैरिकेडिंग करना।
- बार, क्लब और मुख्यमार्ग पर लेट नाइट सड़क पर बैरिकेडिंग कर वाहनों की चेकिंग करना।
इन वजहों से सबसे अधिक मौतें
- रेड लाइट जंपिंग।
- ओवरस्पीडिंग।
- वाहन चालते समय मोबाइल पर बात करना।
- नशे में ड्राइविंग।
- हेलमेट का यूज न करना।
- बिना सीटबेल्ट के कार चलाना।
- रांग साइड ड्राइविंग करना।
इस तरह ओवरस्पीड पर लग रही लगाम
- 10 मुख्य मार्गो पर स्पीड सेंसर कैमरे लगाए गए।
कुछ मुख्य सड़कों पर तय स्पीड
- 60 किमी प्रति घंटा आईआईएम से दुबग्गा
- 40 किमी प्रति घंटा तेलीबाग से मोहनलालगंज
- 40 किमी प्रति घंटा सुल्तानपुर रोड पर
- 40 किमी प्रति घंटा लोहिया पथ पर
शहर में हुए हादसे
घटनाएं मौतें
938 401
परिवहन विभाग के आंकड़े
- 137 ओवरस्पीड से मौत हुईं
- 92 बिना हेलमेट के मौत हुईं
- 187 लोगों की चौराहों पर मौत
एक नजर में यूपी के आंकड़े
साल मौतें
(नोट- एनसीआरबी के आंकड़े)
यह भी जानिये
पहली बार नेशनल रोड सेफ्टी वर्ष 1989 में मनाया गया था। मार्च 2010 को सुंदर समिति द्वारा अनुशंसित राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति को मंजूरी मिलने के बाद हर साल इसे यातायात नियमों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जाने लगा।
शहर में सड़क हादसे को रोकने के लिए टीम लगातार प्रयासरत रहती है। इसके अलावा चालकों को ट्रैफिक रूल्स को लेकर आए दिन जागरूक किया जाता है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं पर रोक लग सके।
हृदेश कुमार, डीसीपी ट्रैफिक