लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में हड्डी संबंधित बीमारियों का इलाज से लेकर रिसर्च का तो काम होगी ही। साथ में बेजान अंगों और नसों में जान डालने का भी काम होगा। क्योंकि संस्थान में आर्थोपेडिक और फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग शुरू होने जा रहा है। ऐसे में मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी और उनको दूसरे संस्थानों के चक्कर नहीं लगानी पड़ेंगे।

30-30 बेड के होंगे दोनों विभाग

पीजीआई में दो नए विभाग को शुरू करने के लिए शासन से मंजूरी मिल चुकी है। जिसके तहत आर्थोपेडिक विभाग में स्पाइन सर्जरी, हिप एंड नी सर्जरी समेत हड्डी से जुड़ी सभी बीमारियों का इलाज एक ही जगह पर हो सकेगा। वहीं, फजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन में हादसे के दौरान सिर और रीढ़ की चोट लगने, ब्रेन स्ट्रोक के बाद हाथ, पैर व दूसरे अंग बेजान व कमजोर होने अथवा नसों के कमजोर होने का इलाज हो सकेगा। दोनों विभागों में 30-30 बेड होंगे। दोनों विभाग को जल्द से जल्द शुरू करने की कवायद तेज हो गई है। जिसके लिए जल्द ही डॉक्टर, रेजिडेंट और अन्य स्टाफ की भर्ती प्रकिया शुरू होगी। विभाग शुरू होने के बाद मरीजों को दूसरे संस्थान नहीं भटकना पड़ेगा। ऐसे में केजीएमयू और लोहिया में मरीजों का भार भी कम होगा और मरीजों को जल्द इलाज का लाभ मिल सकेगा।

मरीजों को मिलेगा फायदा

पीजीआई निदेशक प्रो। आरके धीमान ने बताया कि एपेक्स ट्रामा सेंटर में आर्थो सर्जरी की सुविधा उपलब्ध है। यहां सिर्फ सड़क व अन्य हादसे के घायलों को इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है। आर्थोपेडिक विभाग न होने से मरीजों को केजीएमयू, लोहिया समेत दूसरे अस्पतालों जाना पड़ता है। ऐसे में संस्थान में ही आर्थो रोग विभाग शुरू होने से हड्डी, मांसपेशियों, घुटना, स्पाइन व अन्य जोड़ों का आधुनिक उपचार मिलेगा। विभाग का ऑपरेशन थियेटर अलग होगा। सर्जरी के लिए उपकरण व अन्य जरूरी संसाधनों की खरीद की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। वहीं, फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर खुलने से मरीजों में दवा के अलावा स्पेलिंग, ऑक्युपेशनल व वोकेशनल थेरेपी आदि की सुविधा मिल सकेगी। अभी केवल ट्रामा मरीजों के लिए एपेक्स ट्रामा सेंटर में रिहैबिलिटेशन की सुविधा मुहैया कराई जा रही है। पर अब नया विभाग शुरू होने से सभी सुविधाएं एक ही जगह हासिल हो सकेंगी, जिससे मरीजों को बड़ा फायदा मिलेगा।

संस्थान में आर्थो और रिहैबिलिटेशन विभाग खुलने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। इससे सभी सुविधाएं एक ही जगह मिल सकेंगी। दोनों विभाग में 30-30 बेड होंगे। जल्द ही विभाग को शुरू किया जाएगा।

-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, पीजीआई