लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई में करीब 13 साल लंबे अंतराल के बाद दूसरी एमआरआई मशीन आ गई है। यह मशीन संस्थान के रेडियो डायग्नोसिस विभाग में लगाई गई है, जिसका ट्रायल शुरू हो गया है। बुधवार को इसका उद्घाटन किया जाएगा। जिसके बाद आम मरीजों की जांच शुरू हो जाएगी और दो से तीन माह की चल रही वेटिंग कम होगी। मरीजों की जल्द जांच से उनको बेहतर इलाज मिल सकेगा।

रोजाना करीब 30 ही जांचें

पीजीआई में रोजाना करीब 5 हजार से अधिक मरीज आते हैं, जिनमें 100 से अधिक मरीजों को एमआरआई जांच लिखी जाती है। संस्थान में करीब 13 वर्ष पहले एक एमआरआई मशीन लगी थी। इसमें रोजाना करीब 30 जांचें हो पाती हैं। वहीं, पुरानी मशीन होने से यह आए दिन खराब हो जाती है। जिसकी वजह से मरीजों की समस्या और बढ़ जाती है और मरीजों को दो से तीन माह बाद तक की डेट दी जा रही है। इसके चलते कई मरीज निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में महंगी एमआरआई जांच कराने को मजबूर हैं।

मरीजों को मिलेगा फायदा

पीजीआई निदेशक पद्मश्री प्रो। आरके धीमन ने बताया कि रेडियोडायग्नोसिस विभाग में संस्थान की नई एमआरआई मशीन लग गई है। मशीन का उद्घाटन बुधवार को किया जाएगा। इसके अलावा, इमरजेंसी मेडिसिन रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर (ईएमआरटीसी) में पीपीपी मॉडल पर एमआरआई लगायी जाएगी, जिससे मरीजों का लोड कम होने से जल्द अधिक जांचें हो सकेंगी।

नई एमआरआई मशीन विभाग को हैंडओवर करके मरीजों की जांचें शुरू हो जाएंगी। मरीजों को इससे बड़ी राहत मिलेगी।

-पद्मश्री प्रो। आरके धीमन, निदेशक, पीजीआई