- खेल विभाग ने हॉस्टल के लिए लागू किए कड़े नियम

- स्पो‌र्ट्स हॉस्टल में अब तीन महीने में होगा स्किल टेस्ट

- तीन साल में नेशनल ना खेलने वाले होंगे बाहर

LUCKNOW: हॉस्टल में रहने वाले खिलाडि़यों को अब हर तीन माह में स्किल टेस्ट देना होगा। हॉस्टल में रहकर खाने-पानी और प्रैक्टिस की नि:शुल्क सुविधा पाने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी और रिजल्ट देना होगा। आरामतलबी और रिजल्ट ना देने पाने वाले खिलाडि़यों को खेल विभाग हॉस्टल से बाहर कर देगा।

नि:शुल्क होती हैं सभी सुविधाएं

खेल विभाग की देखरेख में प्रदेश के विभिन्न जिलों में विभिन्न खेलों के हॉस्टल संचालित किए जाते हैं। इन हॉस्टल्स में खिलाडि़यों के रहने, खाने-पीने और ट्रेनिंग की नि:शुल्क सुविधा दी जाती है। हॉस्टल में रहकर ही खिलाडि़यों की पढ़ाई की व्यवस्था भी किसी सरकारी स्कूल से की जाती है। सुबह-शाम इन खिलाडि़यों के लिए प्रशिक्षण कैम्प ऑर्गनाइज करता है। सिर्फ इतना ही नहीं कई टूर्नामेंट में इन खिलाडि़यों के आने-जाने का खर्च भी खेल विभाग उठाता है।

अब नहीं कर सकेंगे Time pass

हॉस्टल में रहने वाले कई खिलाड़ी तो मेहनत करते हैं, लेकिन कुछ यहां रहकर टाइमपास करना शुरू कर देते हैं। उन्हें खेल से कोई मतलब नहीं होता है। ऐसे खिलाडि़यों पर लगाम लगाने और ट्रेनिंग व्यवस्था को सुधारने के लिए खेल विभाग ने कड़े निमय बना दिए हैं जो लागू भी कर दिए गए हैं। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि हॉस्टल में दाखिला लेने वाले यात्री को चार साल में नेशनल खेलने के समय सीमा को कम कर तीन साल कर दिया गया है। तीन साल में नेशनल ना खेलने पर उसे बाहर कर दिया जाएगा। वहीं अब खिलाडि़यों के खेल का मूल्यांकन सिर्फ साल में एक बार नहीं होगा। हर तीसरे महीने खिलाडि़यों को स्किल टेस्ट देना होगा।

जो खिलाड़ी अब तीन साल के अंदर नेशनल लेवल तक का सफर तय करेंगे, सिर्फ वे ही हॉस्टल में रह सकेंगे। इसके साथ ही अब हॉस्टल में दाखिला लेने वालों को तीन साल में नेशनल खेलना होगा। इसके साथ अब खिलाडि़यों के खेल का मूल्यांकन भी हर तीन महीने में होगा। जो खिलाड़ी बेहतद रिजल्ट दे पाएंगे, सिर्फ वे ही हॉस्टल में रह पाएंगे।

- डॉ। आरपी सिंह

निदेशक, खेल

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