लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल के स्रोत तो लगे हुए हैैं, लेकिन उनकी कंडीशन बेहतर न होने की वजह से लोगों को पैसे से पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है। सबसे अधिक बुरी स्थिति तो बाजार एरिया में देखने को मिलती है। यहां सबमर्सिबल तो लगे हुए हैैं लेकिन दुकानों में डायरेक्टर पेयजल का कोई कनेक्शन नहीं है, जिसकी वजह से व्यापारी और ग्राहक दोनों परेशान होते हैं। डीजे आईनेक्स्ट टीम ने कई प्वाइंट्स का रियलिटी चेक किया, जो तस्वीर सामने आई वो कुछ इस प्रकार रही
यहां तो हैैंडपंप सूखा मिला
शहर के प्रमुख चौराहों में से एक मुंशी पुलिया चौराहे के पास दो बड़े शॉपिंग कॉम्प्लैक्स स्थित हैैं। यहां पर 500 से अधिक दुकानें हैैं। हर दुकान में दो से तीन कर्मचारी काम करते हैैं। यहां पर सार्वजनिक पेयजल स्रोत की बात की जाए तो एक हैैंडपंप लगा है, जो पूरी तरह से खराब है। ऐसे में व्यापारियों को रोज पानी का गैलन खरीदना पड़ता है, जिसकी कीमत 25 से 30 रुपये होती है और उसमें 20 लीटर पानी आता है।
पानी खरीदना मजबूरी
शहर की प्रमुख बाजारों में से एक भूतनाथ मार्केट में भी पेयजल के इंतजाम पर सवाल उठते हैैं। यहां पर दो सबमर्सिबल तो लगे हुए हैैं, लेकिन इसका कोई भी फायदा व्यापारियों को नहीं मिलता है। व्यापारियों का कहना है कि एक सबमर्सिबल के पास तो दुकानें लगती हैैं, जिसकी वजह से वहां पर गंदगी फैली रहती है। मुंशी पुलिया की तरह यहां भी व्यापारियों को पानी के गैलन खरीदने पड़ते हैैं। गर्मी में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है।
मेडिकल रोड स्थित हनुमंत धाम
शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक हनुमंत धाम के पास सबमर्सिबल लगा हुआ है, जिससे दो से तीन नल कनेक्टेड हैैं। यहां पानी तो साफ आता है लेकिन जहां पर लोग पानी भरते हैैं, उसके आसपास गंदगी के ढेर देखे जा सकते हैैं। दूसरा कोई ऑप्शन न होने की वजह से लोगों को न चाहते हुए भी गंदगी के ढेरों के बीच बैठकर पानी भरने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जिससे उनकी सेहत पर विपरीत असर पड़ सकता है।
केजीएमयू अस्पताल
यहां पर तीमारदारों की प्यास बुझाने के लिए पेयजल के इंतजाम तो मिले लेकिन कई नल टूटे हुए दिखे। एक नल तो बिल्कुल टेढ़ा था। हालांकि उसमें साफ पानी आ रहा था। केजीएमयू में रोजाना हजारों मरीज आते हैैं, जिससे साफ है कि यहां पर पेयजल के स्त्रोत को बढ़ाए जाने की जरूरत है। जिससे दूर दराज से आने वाले तीमारदारों को अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की बोतल या पानी के पाउच न खरीदना पड़े। वहीं सिविल में पेयजल के इंतजाम ठीक देखने को मिले।
योजनाएं तो बनती हैैं, लेकिन नतीजा सिफर
सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल की ठोस व्यवस्था किए जाने को लेकर योजना तो बनती है लेकिन कुछ दिनों के बाद योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह जाती है। जिसकी वजह से पब्लिक को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नगर निगम या जलकल को इस दिशा में ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
बोले लोग
मार्केट में सबमर्सिबल तो लगे हैैं लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिलता है। हम व्यापारियों को पानी के गैलन मंगवाने पड़ते हैैं। सार्वजनिक स्थानों पर पेयजल की ठोस व्यवस्था होनी चाहिए।
देवेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, भूतनाथ व्यापार मंडल
कॉम्प्लैक्स के आसपास कहीं भी पेयजल के इंतजाम नहीं है। एक हैैंडपंप पहले का लगा हुआ है, जो लंबे समय से खराब है। इसकी वजह से व्यापारियों को पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
राजेश सोनी, व्यापारी
मार्केट एरिया में पेयजल की ठोस व्यवस्था न होने की वजह से खासी परेशानी होती है। गर्मी के दिनों में तो स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है। इस समस्या को दूर किया जाना चाहिए।
निशांत दुबे, व्यापारी