-केंद्र की छूट के बावजूद प्रदेश में असमंजस
दूसरे राज्यों के नीट स्वीकारने से बढ़ रहा दबाव
LUCKNOW: सरकारी मेडिकल कालेजों में प्रवेश के लिए राज्यों द्वारा अपनी प्रवेश परीक्षा कराने या नीट में शामिल होने की छूट है। फिर भी यूपी में अभी सीपीएमटी कराएं या नीट इस पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यूपी के आस पास के राज्य भी नीट के साथ जाने का फैसला कर चुके हैं लेकिन यूपी के स्टूडेंट परेशान हैं।
निरस्त हो चुकी है सीपीएमटी
उत्तर प्रदेश के सभी मेडिकल व डेंटल कालेजों में एमबीबीएस व बीडीएस कक्षाओं में प्रवेश के लिए 17 मई को प्रस्तावित सीपीएमटी निरस्त की जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंटरेंस टेस्ट (नीट) की अनिवार्यता के बाद यह फैसला हुआ था। इस बीच केंद्र सरकार ने सरकारी कालेजों के लिए नीट या अपनी प्रवेश परीक्षा में से एक चुनने का विकल्प दे दिया है। इसके बाद चिकित्सा शिक्षा महकमे की मुख्य सचिव के साथ बैठक हुई और नीट के पक्ष में तर्क देते हुए 25 मई को प्रस्ताव मुख्यमंत्री के पास भेज दिया गया था। चार दिन बाद भी मुख्यमंत्री कार्यालय से इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है.सीपीएमटी बनाम नीट पर फैसला न हो पाने से प्रदेश के छात्र-छात्राओं में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश के सरकारी मेडिकल व डेंटल कालेजों में प्रवेश पाने के लिए डेढ़ लाख छात्र-छात्राओं ने सीपीएमटी का फार्म भरा था। वे सभी छात्र-छात्राएं परेशान हैं। सीपीएमटी निरस्त करते समय उसका फॉर्म भरने वाले छात्र-छात्राओं को शुल्क वापसी का फैसला भी हुआ था। सीपीएमटी का आयोजन करने वाले डॉ.राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद ने शासन से इस बाबत धनराशि मांगने के लिए पत्र भी लिख दिया था। इस बीच सीपीएमटी और नीट में मामला फंसने के कारण वह प्रक्रिया भी रोक दी गयी।