-राजधानी में एक लाख से अधिक मकानों से टैक्स नहीं वसूल सका नगर निगम
-प्रभावित हो रहे विकास कार्य, निगम पर 200 करोड़ की देनदारी
नंबर गेम
5.13 लाख से अधिक मकान निगम सीमा में
80 फीसदी से हो रही हाउस टैक्स वसूली
1 लाख अधिक मकानों से नहीं हो रही वसूली
200 करोड़ की देनदारी है नगर निगम पर
हाउस टैक्स
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ईयर टारगेट अचीव
2014-15 150 130.14 2015-16 200 150.01 करेंट 250 60 अब तक
(एमाउंट करोड़ रुपये में)
LUCKNOW (20 Oct) : राजधानी में नगर निगम का भी अजब हाल है, संसाधन की उसके पास भरमार है, फिर विकास के मोर्चे पर वह पूरी तरह से लाचार है। आल यह कि विकास कार्यो के लिए पैसे की कमी का अक्सर रोना रोने वाला निगम एक लाख से अधिक घरों से हॉउस टैक्स की वसूली तक नहीं कर पा रहा। वह भी जब निगम फिलहाल 200 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज में डूबा है।
फंड है नहीं कैसे हो विकास
शहर में सड़क, सीवरेज और पार्क के सौन्दर्यीकरण के लिए सैकड़ों फरियादी आते हैं, लेकिन नगर निगम के आला अफसर फंड की कमी का हवाला दे, लोगों को लौटा देता है। जबकि नगर निगम सीमा में हाउस टैक्स वसूली से लाख मकान छूटे हैं। इन मकानों में नगर निगम के आला अफसर हॉउस टैक्स के बिल तक पहुंचा नहीं पाते हैं। जबकि बिल पहुंचाने के लिए अफसरों ने विशेष व्यवस्था की थी, जिसके लिए डाक विभाग की मदद भी ली गयी थी। सामान्य डाक के माध्यम से पत्र बकायादारों के लिए भेजा जाता था, लेकिन उदासीनता और प्लानिंग के अभाव में सारी योजना ध्वस्त हो गयी। निगम के आंकड़े के अनुसार नगर निगम परिसीमा में 5.13 लाख मकान हाउस टैक्स की जद में आते हैं, लेकिन इनमें से मात्र 80 फीसदी घरों से ही हाउस टैक्स वसूली की जा रही है, जबकि शेष मकानों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। ऐसा तब है जब नगर निगम स्वयं 200 करोड़ की देनदारी के बोझ से दबा हुआ है, जिसमें पूर्व सड़क निर्माणों, लाइटिंग, सबमर्सिबल आदि का पेमेंट करना शामिल है।
न हुआ सिटी में सर्वे
वसूली बढ़ाने के लिए नगर निगम प्रशासन ने सर्वे कराया था, जिसमें जियोग्राफिकल सेटेलाइट और मैनुअल दोनों शामिल हैं। मैनुअल सर्वे में बीते वर्ष 110 कर्मियों को बिल भेजने के लिए लगाया गया था। बिल बांटने के दौरान कर्मियों को 3 रुपए प्रति बिल भुगतान का भी वादा किया। इसमें कर्मियों को मोबाइल नंबर और एड्रेस का आंकड़ा जुटाना था। जोनल अधिकारी के अनुसार, नये मकानों में 30 हजार नये मकान को टैक्स के दायरे में लाया गया था, वहीं रेगुलर मॉनिटरिंग न करने से प्लानिंग परवान नहीं चढ़ सकी।
विकास कार्यो पर पड़ रहा असर
छूटे घरों में 10 से 15 प्रतिशत घर आवासीय नहीं हैं, जिससे कामर्शियल टैक्स वसूला जाता है। कामर्शियल टैक्स आवासीय से दोगुना है। ऐसे में एक लाख छूटे मकानों में कामर्शियल भवनों को शामिल करने पर 20-25 करोड़ की वसूली की जा सकती हैं, जिससे नगर निगम की आर्थिक स्थित काफी मजबूत हो सकती है। संभावित धनराशि से सड़क, नाली, स्ट्रीट लाइट, पार्को का सौंदर्यीकरण, सबमर्सिबल सहित अन्य कार्य कराए जा सकते हैं।
दो वर्षो में 70 करोड़ कम वसूले
बीते दो वर्र्षो से हॉउस टैक्स का लक्ष्य नगर निगम प्रशासन वसूलने में सफल नहीं हो सका। नगर निगम आंकड़े के अनुसार 2014-15 का वसूली लक्ष्य 150 करोड़ था, जिसमें 130.14 करोड़ वसूला। 2015-16 में वसूली का लक्ष्य 200 करोड़ था, जिसमें 150.01 करोड़ की ही वसूली कर सके। वर्तमान में 250 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष मात्र 60 करोड़ की वसूली की जा सकी है। ऐसे में नगर निगम लगातार दो वर्षो से 70 करोड़ की वसूली से पीछे चल रहा है।
हॉउस टैक्स वसूलने का कार्य लगातार किया जा रहा है। लेकिन तेजी से नये मकानों की संख्या बढ़ रही है। इन्हें भी जल्द ही हाउस टैक्स से जोड़ने का कार्य किया जाएगा।
- उदय राज सिंह, नगर आयुक्त नगर निगम