लखनऊ (ब्यूरो)। शारदीय नवरात्र के छठे दिन मंगलवार को मां भगवती के कात्यायनी स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई। इस दौरान कुंवारी कन्याओं द्वारा व्रत रखने के साथ विशेष पूजा हुई। वहीं, सुहागिनों ने भी मां से अखंड सौभाग्य की कामना की। वहीं दूसरी ओर, कई दुर्गा कमेटियों द्वारा पूरे विधि विधान के साथ मां की स्थापना की गई, जबकि अधिकतर पंडालों में बुधवार सुबह शस्त्र सज्जा पूजन के साथ विधिवत स्थापना होगी।

घरों में हुई आराधना

मां के भक्तों ने घर पर व्रत के साथ आराधना की। जहां व्रति महिलाओं द्वारा मां के मंगलगीत गाये गये। इस दौरान भक्तों ने मां को तरह-तरह के पकवान बनाकर भोग लगाया और प्रसाद को परिजनों में वितरित किया। कुंवारी कन्याओं ने व्रत रख इच्छित वर मांगा। सुहागिनों ने अखंड सौभाग्य की कामना की।

अर्धनारीश्वर स्वरूप की पूजा

चौक के चौपटिया स्थित संदोहन देवी मंदिर में मां का अर्धनारीश्वर स्वरूप में भव्य श्रृंगार किया गया। मां नंदी पर सवार हुईं। देर रात तक भक्तों ने मां के दर्शन किए। ठाकुरगंज स्थित मां पूर्वी देवी मंदिर में मां का बैगनी-गुलाबी रंग के वस्त्रों से भव्य श्रृंगार कर मां कात्यायनी स्वरूप का पूजन किया गया। इस दौरान मंदिर को गेंदे के फूलों, हरि बेल पत्रों से सजाया गया। मां को नारियल, केला, इलायची, पेड़ा, दूध बर्फी व पंच प्रकार के फूलों का भोग लगाया गया, जिसे बाद में भक्तों में वितरित किया गया। इसके अलावा छोटी-बड़ी कालीजी मंदिर, दुर्गाजी मंदिर, चिंतपूर्णी मंदिर आदि मंदिरों में मां का श्रृंगार और पूजन किया गया।

मां की हुई स्थापना

नवरात्र के साथ दुर्गा कमेटियों द्वारा तैयारियां पूरी हो चुकी है। अधिकतर पंडालों में मां की प्रतिमा रखी जा चुकी है, पर विधिवत स्थापना और शस्त्र सज्जा के बाद ही दर्शन होंगे। कई जगहों पर मंगलवार रात ही स्थापना कर दी गई। बंगाली क्लब व एंग्लो स्कूल समेत कई जगहों पर मूर्ति स्थापना मंगलवार देर शाम पूजन की साथ हुई। हालांकि, अधिकतर कमेटियां बुधवार से पूजन-आराधना की बात कह रही हैं।

मां कालरात्रि की ऐसे करें पूजा

मां कालरात्रि का ध्यान करके उनका षोडशोपचार व पंचोपचार पूजन कर नैवेद्य लगाकर मां काली की आरती करें। विशेष रूप से रात्रि के प्रथम प्रहर में रात्रि सूक्त के नौ पाठ जरूर करें। इनकी उपासना करने वाले को भूत, प्रेत व शत्रु आदि नहीं सताते हैं और साधक भय से मुक्त रहता है। देवी का यह रूप ऋद्धि-सिद्धि प्रदान करने वाला है। पूजा के दौरान 'या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:Ó मंत्र का जाप करना चाहिए। दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं।