लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ में डग्गामार बसों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यूपी के कई शहरों के अलावा दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और बिहार के लिए राजधानी से बसों का संचालन किया जा रहा है। इन बसों के संचालन से परिवहन विभाग को रोजाना लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है। यह हाल तब है जब डग्गामार बसों का संचालन रोकने के लिए खुद परिवहन एक्शन मोड में है। सिटी के कई इलाकों से ऐसी बसों का संचालन दिनदहाड़े किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों की सांठ-गांठ की बदौलत यह धंधा तेजी से फलफूल रहा है।

इन रूट्स पर धड़ल्ले से चल रही डग्गामार बसें
-अवध तिराहा
-लोकबंधु हॉस्पिटल के पीछे
-आलमबाग बस स्टेशन से कुछ दूरी पर टेढ़ी पुलिया
-परिवर्तन चौक स्थित शनि मंदिर
-चौक में नीबू पार्क के पास
-हजरतगंज स्थित नदिया किनारे और पालीटेक्निक चौराहा

डग्गामार बसों के साथ छोटे व्हीकल भी चल रहे
डग्गामारी बसों का बड़ा अड्डा केकेसी पेट्रोल पंप के पास है। यहां से रायबरेली रूट पर डग्गामार बसों का संचालन किया जाता है। इस जगह से छोटी और बड़ी मिलाकर करीब 15 बसों का संचालन किया जा रहा है। इन बसों का टारगेट सुबह के समय ट्रेनों से चारबाग पहुंचने वाली यात्री होते हैं। केकेसी से मोहनलालगंज, बछरावां, अतरौली, कनकहा, रायबरेली तक बसों का संचालन होता है। केकेसी से रोजाना 20 जीपों का संचालन भी इस रूट पर किया जाता है।

बरेली व दिल्ली रूट पर दौड़ रही बसें
सीतापुर रूट पर जाने वाली अवैध बसों का संचालन लाल पुल के पास से किया जाता है। इसके अलावा इंजीनियरिंग कॉलेज ओवर ब्रिज के नीचे से भी डग्गामार बस संचालित हो रही है। यहां पर रोजाना 20 बसों का संचालन किया जाता है। इस समय यहां से रोजाना 8 बसों का संचालन अकेले दिल्ली तक किया जा रहा है। सिधौली, इटौंजा, सीतापुर, बरेली होते हुए बसें दिल्ली तक जाती हैं।

डग्गामार वॉल्वो का भी किया जा रहा संचालन
कानपुर रोड पर अवैध बसों का संचालन पिकैडली के पास से किया जाता है। यहां से वॉल्वो बसों तक का संचालन अवैध रूप से हो रहा है। आस-पास के लोगों ने बताया कि यहां से लंबी दूरी की बसों का संचालन अधिक होता है। यहां से दिल्ली, बरेली, वाराणसी, कानपुर के लिए अवैध बसें संचालित की जाती हैं। रोजाना एक दर्जन से अधिक गाड़ियां इस रूट पर भेजी जाती हैं।

मटियारी से पूर्वांचल के लिए लाइन में लगी डग्गामार
पहले पूर्वांचल के लिए डग्गामार बसों का संचालक पॉलीटेक्निक चौराहे से किया जाता था, लेकिन सख्ती बढ़ने पर अब ये कमता और मटियारी तिराहे से संचालित हो रही हैं, जबकि चंद कदमों पर ही रोडवेज का अवध बस डिपो है। रोड पर ही पुलिस के सामने सवारियों को भरने का खेल खुलेआम होता है। गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, बाराबंकी, अयोध्या के लिए इस रूट पर 20 से ज्यादा डग्गामार बसें चल रही हैं।

कैसे चलता है डग्गामार बसों का नेक्सेस
डग्गामार बसों का नेक्सेस दो तरह से चलता है। पहला, लंबी दूरी वाली जगहों पर जाने के लिए यह अस्थाई ऑफिस बनाकर और दलालों के माध्यम से ऑनलाइन बुकिंग करते हैं। इसके बाद बस के छुटने से आधा घंटे पहले सवारियों को उस जगह पहुंचने के लिए कहते हैं, जहां बस रोड किनारे लगी होती है। पिकैडली और अवध चौराहे के आस-पास हाईवे पर बसों के खड़ा करते है और ई-रिक्शा के जरिए सवारियों को वहां तक पहुंचाते हैं।

सेटिंग के बिना नहीं है संभव
दूसरा नेक्सेस है कम दूरी वाले जगहों के लिए डग्गामार बसों का। इसमें गोंडा, बस्ती, कानपुर, बाराबंकी, अयोध्या, सीतापुर, हरदोई रूट शामिल है। ये छोटी डग्गामार बसें होती हैं और उनके प्वाइंट फिक्स हैं। वहां स्थानीय पुलिस के अलावा आरटीओ की मिलीभगत से यह नेक्सेस चलता है। हादसे होने या दबाव पड़ने पर दो चार बसों पर दिखाने के लिए कार्रवाई की जाती है और फिर सेटिंग से दोबारा संचालन शुरू हो जाता है।

रोजाना हो रहा लाखों का नुकसान
परिवहन निगम के अफसरों का कहना है कि अवैध बसों के संचालन को रोकने के लिए अभियान चलाया जाता है। जिसमें बसों समेत छोटी गाड़ियां पकड़ी भी जा रही हैं। परिवहन निगम की कार्रवाई के बाद भी हर दिन शहर में सात दर्जन से अधिक अवैध गाड़ियों का संचालन हो रहा है। परिवहन विभाग को लगभग रोजाना पांच लाख रुपए की चपत लग रही है। बताया कि अवैध बसों के संचालन को रोकने के लिए आए दिन आरटीओ के अधिकारियों को पत्र लिखा जाता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है।

आगरा लखनऊ एक्सप्रेस का सफर सबसे ज्यादा जानलेवा
उन्नाव में एक्सप्रेस वे के पास हुए दिल दहला देने वाले एक्सीडेंट में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 30 लोग घायल हो गए। बिहार से दिल्ली जा रही डग्गामार बस में करीब 57 लोग सवार थे। शुरुआती जांच के बाद पुलिस का कहना है कि एक्सीडेंट ओवरटेक करने के चलते हुआ। सवारियों से भरी डग्गामार बस दूध के टैैंकर से जा टकराई। पुलिस ने बस में मिले कागजों में दर्ज पते की जांच की तो वह फर्जी निकला। बस का परमिट व बीमा तक नहीं था। डग्गामार बसों के चलते आए दिन हादसे हो रहे है और बेगुनाह अपनी जान गवां रहे है।

डग्गामार वाहनों के चलते जा रहीं जानें
उत्तर प्रदेश के एक्सप्रेस वे सबसे अधिक जानलेवा हैं। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में देश भर में एक्सप्रेस वे पर हुए रोड एक्सीडेंट में कुल 1780 लोगों की मौत हुई, जिसमें सबसे अधिक यूपी में 1310 लोगों की जान गई। बार-बार लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर हो रहे हादसों के बावजूद कोई सटीक नीति न बनने की वजह से बुधवार को एक और हादसा हुआ और 18 बेगुनाह लोग मारे गए। अब तक जितने भी हादसे हुए हैं उनमें ज्यादातर डग्गामार बसें ही रही हैं।

46 फीसदी लोगों की रोड एक्सीडेंट में मौत
देश भर में ट्रैफिक एक्सीडेंट में वर्ष 2022 में 1,97,347 लोगों की मौत गई थी। इसमें रेल दुर्घटना, रेलवे क्रॉसिंग और रोड एक्सीडेंट शामिल हैं। हालांकि, सबसे अधिक सड़क हादसे में 1,71,100 लोगों की मौत हुई है, जो कुल मौतों का 46 फीसदी है। बुधवार को एक बार फिर उन्नाव में हुए सड़क हादसे ने उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक हाहाकार मचा दिया। बिहार से दिल्ली जा रही डबल डेकर बस हादसे पहली बार नहीं था जब लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर इतना भयंकर हादसा हुआ हो। उत्तर प्रदेश में नेशनल हाईवे, स्टेट हाईवे हो या फिर एक्सप्रेस वे देश भरके अन्य राज्यों की अपेक्षा यहां सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं, जिसकी गवाही खुद एनसीआरबी के आंकड़े कहते हैं।

सबसे अधिक बस पर सवार लोगों की मौत
बुधवार को बिना फिटनेस की चल रही बस उन्नाव स्थित आगरा लखनऊ एक्सप्रेस वे पर हादसे का शिकार हुई, जिसमें 18 लोगों की मौत हो गई। यह पहला मामला नहीं था जब बस में बैठे लोगों की ऐसे सड़क हादसे में जान गई हो। एनसीआरबी के अनुसार, उवर्ष 2022 में कुल 5211 लोगों की बस हादसे में जान गई थी, इसमें सबसे अधिक 1744 लोग यूपी के सड़क हादसे में मारे गए। हालांकि, सड़क हादसे में सबसे अधिक बाइक सवार लोगों की ही मौत हुई है। देश में कुल 77,876 बाइक सवार सड़क हादसों में मारे गए। इसमें तमिलनाडु में 11,140 और यूपी में 8305 लोगों ने जान गंवाई। यूपी में ही सबसे अधिक 4337 कार व 4337 ट्रक में सवार लोगों की सड़क हादसे में जान गई थी।

एक्सप्रेस वे सबसे अधिक जानलेवा
लखनऊ को दिल्ली से जोड़ने वाले आगरा एक्सप्रेस वे, जितना लोगों को सुगम यात्रा का एहसास दिलाता है उतना ही सड़क हादसों के बाद लोगों को रुलाता भी है। लखनऊ का आगरा एक्सप्रेस वे ही नहीं देश के किसी भी राज्य में मौजूद एक्सप्रेस वे लोगों को एक जिले या राज्य से दूसरे जिले और राज्य तक पहुंचाने में एक अहम भूमिका निभाने के साथ ही लापरवाही से गाड़ी चलाने वालों को काल के गाल में भी पहुंचाता है। हालांकि, इसमें भी सबसे ऊपर उत्तर प्रदेश ही है।

यूपी में 73 फीसदी मौतें
देश भर के एक्सप्रेस वे में हुए हादसों में कुल 1780 लोगों की मौत हुई है, इसमें सबसे अधिक यूपी में 1310 लोगों की मौत हुई जो एक्सप्रेस वे में सड़क हादसे में हुई कुल मौतों का 73 फीसदी है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, देश भर में सबसे अधिक नेशनल हाईवे में हुए हादसों में मौत हुई है। नेशनल हाईवे में 59,673 लोगों की मौत हुई, इसमें सबसे अधिक यूपी में 8236 और तमिलनाडु में 5978 लोगों की जान गई। वहीं, स्टेट हाईवे में 42003 लोगों की सड़क हादसे में मौत हुई। इसमें पहले नंबर पर तमिलनाडु में 6364 और दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश में 6070 लोगों की जान गई थी।