लखनऊ (ब्यूरो)। आखिरकार कैबिनेट की बैठक में निर्णय लिए जाने के बाद मेट्रो के फेज 1 बी ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर को लगभग क्लीयरेंस मिल गई है। इस कॉरिडोर में चारबाग से बसंतकुंज तक 12 स्टेशंस का निर्माण कराया जाएगा। इसके बन जाने के बाद चारबाग से लेकर बसंतकुंज तक पहुंचना बेहद आसान हो जाएगा और ट्रैफिक की प्रॉब्लम भी काफी हद तक समाप्त हो जाएगी। फर्स्ट कॉरिडोर की तरह ही सेकंड कॉरिडोर में बनने वाले स्टेशंस भी अपनी खूबसूरती से लोगों को आकर्षित करेंगे।
बढ़ गया है अब बजट
चारबाग से बसंतकुंज तक ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर की कुल मार्ग लंबाई 11.165 किलोमीटर के आसपास रहेगी। जिसमें एलिवेटेड लंबाई 4.286 किलोमीटर होगी जबकि भूमिगत लंबाई 6.879 किलोमीटर होगी। इस कॉरिडोर में कुल स्टेशनों की संख्या 12 होगी, जिसमें सात भूमिगत और पांच एलिवेटेड स्टेशन होंगे। इस प्रस्तावित कॉरिडोर के पूरा होने का अनुमानित समय 5 साल है। इस परियोजना पर कुल 5,801करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
ये रहेंगे स्टेशंस
-चारबाग (भूमिगत)
-गौतमबुद्ध नगर (भूमिगत)
-अमीनाबाद (भूमिगत)
-पांडेयगंज (भूमिगत)
-सिटी रेलवे स्टेशन (भूमिगत)
-मेडिकल चौराहा (भूमिगत)
-नवाजगंज (भूमिगत)
-ठाकुरगंज (एलिवेटेड)
-बालागंज (एलिवेटेड)
-सरफराजगंज (एलिवेटेड)
-मूसाबाग (एलिवेटेड)
-बसंतकुंज (एलिवेटेड)
इन एरियाज को मिलेगा लाभ
इस कॉरिडोर के शुरू होने से इसका सीधा लाभ पुराने लखनऊ के इलाकों को मिलेगा। अभी पुराने लखनऊ की तरफ जाने वाले रूट्स पर दिन भर जाम की स्थिति बनी रहती है। पार्किंग की व्यवस्था न होने से हालात और भी ज्यादा खराब हो जाते हैैं। जब मेट्रो की सुविधा मिलेगी तो साफ है कि जाम की समस्या भी काफी हद तक सुलझ जाएगी। इसके साथ ही दूसरे शहरों से पुराने लखनऊ में स्थित थोक मार्केट्स में आने वाले व्यापारियों को भी खासा लाभ मिलेगा और इसका असर कारोबार ग्रोथ पर भी पड़ेगा।
जंक्शन के रूप में काम करेगा
चारबाग मेट्रो स्टेशन लखनऊ के दोनों कॉरिडोर यानी नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर और ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के जंक्शन के रूप में काम करेगा। इस कॉरिडोर का डिपो बसंतकुंज में बनाया जाएगा। डीपीआर को 750 डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के साथ भी अपग्रेड किया गया है, जिसका अनुपालन कानपुर और आगरा मेट्रो परियोजना में किया जा रहा है। जिसका पालन मुख्य रूप से लखनऊ मेट्रो परियोजना में पतंगों में धातु के तार के परिणामस्वरूप होने वाली गंभीर ओएचई फ्लैशिंग समस्या के कारण किया जा रहा है।
केंद्र के पास जाएगा प्रोजेक्ट
राज्य सरकार की ओर से ग्रीन सिग्नल दिए जाने के बाद अब ये प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के पास जाएगा। वहां से क्लीयरेंस मिलते ही कंपनी के चयन के लिए टेंडर निकाला जाएगा। टेंडर प्रक्रिया के बाद कंपनी की ओर से नए रूट पर सर्वे कराया जाएगा और देखा जाएगा कि कहां कहां सीवर लाइन हैैं या बिजली लाइन। इसके बाद उस रिपोर्ट के आधार पर मेट्रो रूट को क्लियर किया जाएगा फिर निर्माण शुरू होगा।