लखनऊ (ब्यूरो)। इंस्पेक्टर गोमतीनगर केशव कुमार तिवारी के मुताबिक स्मारक समिति में बतौर लेखाकार तैनात संजय सिंह ने कर्मचारियों के वेतन से हर महीने कटने वाले पीएफ के करीब 276 करोड़ रुपये की अलग-अलग एफडी कराकर हड़पने की साजिश रची। इस मामले में संजय ने शैलेंद्र सिंह उर्फ शैलू, संदीप पी, रविकांत उर्फ मुकेश पांडेय, दीपक यादवा, आकाश कार्तिकेय और कृष्णमोहन श्रीवास्तव उर्फ निक्कू के साथ मिलकर योजना तैयार की। जिसके तहत रकम को हजरतगंज के पीएनबी की शाखा से बैंक ऑफ बड़ौदा के रोशनाबाद शाखा में 48 करोड़ रुपये जमा कराये। इसके बाद इस खाते से कई बार में राइट पे कंपनी नोएडा के खाते में 35 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिये।

मोटे ब्याज का खेल

मोटे ब्याज के चलते रकम ट्रांसफर कर्मचारियों के पीएफ के 276 करोड़ की रकम को बैैंक ऑफ बदौड़ा मेें एफडी कराके उसने मिलने वाले ब्याज का खेल चल रहा था। एक एफडी दो करोड़ रुपये से एक रुपये कम की कराई गई थी जिससे ब्याज की मोटी रकम मिल सके। हालांकि और ज्यादा ब्याज की रकम के खेल के चलते ही पीएफ की रकम से 35 करोड़ रुपये नोएडा के राइट पे कंपनी को ट्रांसफर की गई थी।

35 करोड़ किए गए ट्रांसफर

इंस्पेटक्टर गोमतीनगर केशव कुमार तिवारी के मुताबिक राइट पे कंपनी मूलरूप से देवरिया के मईल स्थित ईशारो निवासी सतीश चंद्र पांडेय की है। इस कंपनी को सतीश ने खोला था। जिसमें उनकी पत्नी शुरुआती दौर में निदेशक थी। लेकिन बाद में उनके स्थान पर मंगलेश को निदेशक बना दिया। कंपनी के खाते में संदीप पी और मंगलेश ने स्मारक समिति के पीएफ फंड के 35 करोड़ रुपये ट्रांसफर करा दिये थे।

लॉकडाउन के चलते लटकी थी पेमेंट

कंपनी की तरफ से ब्याज के रुपये में हर माह पेमेंट आ रही थी, लेकिन लॉक डाउन के दौरान सब कुछ बंद होने पर पूरा मामला बिगड़ गया। जब मामला बिगड़ने लगा तो कंपनी ने धीरे-धीरे कर 25 करोड़ रुपये वापस कर दिये और 10 करोड़ रुपये हड़प लिये। पुलिस ने इस कंपनी के मालिक सतीश चंद्र पांडेय को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने उनके पास से एक लग्जरी एसयूवी, तीन चेकबुक, चार कैंसिल चेक बैंक ऑफ बड़ौदा, दो चेक बैंक ऑफ बड़ौदा, तीन लेटर पैड, एक काली डायरी, तीन मुहर, डेबिड कार्ड व मोबाइल बरामद किया है।