लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां शहर में ज्यादातर लोग खुले में या फिर रोड साइड वेस्ट फेंकते नजर आ जाते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे लोग भी हैैं, जो न सिर्फ स्वच्छता के प्रति जागरूक हैैं, बल्कि 'वेस्ट टू वंडर' की तरफ अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैैं। हम आज ऐसी ही महिलाओं के बारे में बात करेंगे, जिन्होंने घर से निकले वेस्ट को फेंकने के बजाए उसका यूज खाद के रूप में करने का निर्णय लिया। अपनी कड़ी मेहनत और लगन से उन्होंने होम कंपोस्टिंग को अपनाया और हरियाली बिखेरी। इतना ही नहीं, वे दूसरों को भी होम कंपोस्टिंग से जोड़ने के लिए उन्हें जागरूक कर रही हैैं।
केस 1
मार्केट से बेहतर खाद घर पर तैयार
लक्ष्मणपुरी में रहने वाली दीपाली श्रीवास्तव का कहना है कि मेेरे घर में एक बड़ा लॉन बना हुआ है, जहां मैं सीजनल प्लांट्स लगाती हूं। जैसे कि सर्दियों का मौसम आ रहा है तो हमारे यहां बोगनविलिया लग चुका है। इन पौधों के लिए खाद भी मैं घर से निकलने वाले वेस्ट से तैयार करती हूं, जिसमें छिलकों, चाय की पत्ती, जूठन वगैरह शामिल होती हैं। मैं अपने एक्सपीरियंस से कह सकती हूं कि मार्केट में मिलने वाली खाद से बेहतर रिजल्ट आपको घर पर तैयार की गई खाद से मिल जाएंगे।
मिल जाती हैं ऑर्गेनिक सब्जियां
दीपाली आगे कहती हैं कि मैंने अपने घर में किचन गार्डन भी बना रखा है जिसमें लौकी, तरोई, कद्दू, चुकंदर, ब्रोकली, मक्का वगैरह लगा हुआ है। मुझे हमेशा से गार्डनिंग करना और हरियाली के आसपास रहना पसंद रहा है। घर में सब्जियां उगाने का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि ये ऑर्गेनिक होती हैं इसलिए सेहत पर इनका बुरा असर नहीं पड़ता। इनमें पेस्टिसाइड का यूज नहीं किया जाता है। अपनी आंखों के सामने पौधों को बड़ा होता देख वैसा ही फील होता है जैसा बच्चों को बड़ा होता देख लगता है।
केस 2
लिक्विड खाद बना रहीं
इंदिरा नगर बी ब्लॉक निवासी सोनिका श्रीवास्तव का घर पूरे मोहल्ले में बिल्कुल अलग नजर आता है। उनके घर की छत पर लहराते पेड़ पौधे उनकी मेहनत का परिणाम हैं। वह लंबे समय से होम कंपोस्टिंग कर रही हैैं और इसके माध्यम से लिक्विड खाद बना रही हैैं, वो भी बिना किसी का सहयोग लिए। उन्होंने अपने घर की छत पर खाद बनाने के लिए पूरा सेटअप बना रखा है। वह पहले तो घर से निकलने वाले वेस्ट को अलग-अलग करती हैैं और फिर गीले वेस्ट को एक ड्रम में डाल देती हैं। इसके बाद वेस्ट से खाद बनाने का प्रोसेस अपनाती हैैं। जो लिक्विड खाद बनती है, उसका यूज वह अपने घर में हरियाली बिखेरने में करती हैैं।
दूसरों की भी मदद
खास बात यह है कि वह दूसरों को भी होम कंपोस्टिंग की जानकारी देती हैैं ताकि अधिक से अधिक लोग अपने घर से निकलने वाले वेस्ट से खाद बना सकें। अगर कोई उनसे खाद लेने आ जाता है तो वह निशुल्क उसे खाद भी दे देती हैैं। सोनिका से प्रेरणा लेकर मोहल्ले के कई लोगों ने अब घर पर ही धीरे-धीरे खाद बनाने का काम शुरू कर दिया है।
केस 3
लोगों को गिफ्ट करती हैं खाद और पौधे
लालबाग निवासी सुजाता पॉल ने अपना एक्सपीरियंस शेयर करते हुए कहा कि मुझे बचपन से ही गार्डनिंग का बहुत शौक रहा है। पहले हमारे घर में काफी खुला एरिया हुआ करता था, जहां मैं तरह-तरह के पेड़-पौधे लगाया करती थी। उन पौधों के लिए खाद भी मैं घर से निकले कचरे से तैयार करती थी। आज शहरों में जगह कम हो गई है, पर मेरे दो मंजिल के मकान में बहुत सारे पौधे लगे हुए हैं, जिनके लिए मैं खाद खुद बनाती हूं। इतना ही नहीं, मैं अब तक लोगों को हजारों पौधे गिफ्ट भी कर चुकी हूं। जिन लोगों को जरूरत होती है, उनको मैं खाद भी गिफ्ट करती हूं।
मेडिसिनल प्लांट्स लगाती हैं घर में
सुजाता आगे बताते हुए कहती हैं कि हमारे घर में कूड़े को फेंका नहीं जाता है बल्कि उसे रीसाइकिल करके यूज करने या फिर होम कंपोस्टिंग के लिए यूज किया जाता है। मेरे कोशिश रहती है कि मैं खूबसूरत फूलों वाले पौधों के अलावा मेडिसिनल प्लांट्स भी लगाऊं, जो सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। इनका इस्तेमाल बीमारियां ठीक करने के लिए भी किया जाता है। मैं सभी से कहना चाहती हूं कि वे अपने घर में बच्चों को भी ऐसी आदत डालें। ऐसा करके ही हम अपने शहर और पर्यावरण को साफ रख पाएंगे।