लखनऊ (ब्यूरो)। ऑर्गन या बॉडी डोनेट करना बेहद पवित्र, हिम्मत और गर्व का विषय है। किसी गंभीर मरीज को जब डोनेशन के जरिए ट्रांसप्लांट के लिए ऑर्गन मिलता है तो उसे नया जीवन मिलने जैसा होता है। हालांकि, समाज में फैली तमाम भ्रांतियां लोगों को ऐसा करने से रोकती हैं। इसी को देखते हुए कई संस्थाएं लोगों को ऑर्गन डोनेशन के प्रति न केवल जागरूक करने का काम कर रही हैं, बल्कि ऑर्गन डोनेट करवाने से लेकर ट्रांसप्लांट तक में मदद कर रही हैं, ताकि अधिक से अधिक मरीजों को जीवनदान मिल सके।

सरकारी और निजी संस्थान जुड़े

संजय गांधी पीजीआई में स्टेट ऑर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गेनाइजेशन (सोटो) की स्थापना हुई थी। जिसके तहत ब्रेन डेड मरीजों के ऑर्गन का ट्रांसप्लांट जरूरतमंद गंभीर मरीजों में किया जाएगा। इससे प्रदेश के 26 सरकारी और निजी संस्थानों को जोड़ा गया है। जो ब्रेन डेड मरीजों का डेटा शेयर करने के साथ उनके परिजनों की काउंसलिंग से लेकर ऑर्गन डोनेट करवाने का काम करेंगी। ताकि समय रहते ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे मरीजों का ट्रांसप्लांट किया जा सके।

1600 से अधिक ऑर्गन डोनेशन

इसके अलावा समय-समय पर जागरूकता अभियान और कैंपेन चलाया जाता है। हाल ही में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के महत्व को लेकर एक शर्ट फिल्म भी बनाई गई। संस्था के गठन के बाद अबतक 1600 से अधिक ऑर्गन डोनेशन हो चुका है। जो धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है। लोगों में अभी भी ऑर्गन डोनेशन को लेकर शंका रहती है, जिसमें धार्मिक मान्यता आदि भी शामिल है। हालांकि, इसके बावजूद परिजनों को समझाने का प्रयास किया जाता है, ताकि किडनी, लिवर, हार्ट, लंग आदि डोनेट किया जा सके। अधिकतर लोग किडनी, लिवर और कॉर्निया ही डोनेट करते हैं। लोगों को समझाना ही सबसे बड़ा काम होता है। लोगों को समझना चाहिए कि एक ब्रेन डेड 8 से 9 लोगों की जिंदगी बचा सकता है।

ऑर्गन ट्रांसप्लांट एक बहुत कॉम्प्लिकेटेड प्रोसेस होता है, जिसमें सर्जन के साथ-साथ कई विभागों की टीम का भी काम होता है। लोगों को अधिक से अधिक संख्या में ऑर्गन डोनेट करने के लिए आगे आना चाहिए।

-डॉ। हर्षवर्धन राठौर, नोडल इंचार्ज, सोटो

अबतक 500 ऑर्गन डोनेट करवा चुके हैं

फिलहाल बस्ती में तैनात सीनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ। धमेंद्र कुमार सक्सेना बताते हैं कि ऑर्गन डोनेशन हमारे देश में बहुत कम होता है। इसको लेकर तमाम भ्रांतियां लोगों में व्याप्त हैं, जिसके कारण लोग ऑर्गन डोनेट करने से कतराते है। इस समस्या को देखते हुए 2009 में स्पर्श वेलफेयर सोसाइटी की स्थापना हुई और 2010 से हम लोग संस्थान के तहत लोगों को ऑर्गन डोनेशन के लिए अवेयर करने का काम कर रहे हैं। खासतौर पर ब्रेन डेथ को लेकर ऑर्गन डोनेशन का काम कर रहे हैं। इस दौरान देखा गया कि लोग जागरूक तो हुए और ऑर्गन डोनेशन के लिए शपथ और हामी भी भरी, पर जब ऑर्गन डोनेशन का समय आया तो मुकर गये। पर हम लोगों ने हार नहीं मानी और लगातार काम करते रहे।

ऑर्गन डोनेशन करवाये

उन्होंने आगे बताया कि बाद में हम लोगों ने यह डिसाइड किया कि अब ऑर्गन डोनेशन के समय केवल शपथ ही नहीं बल्कि डोनेशन भी हो, इसको लेकर काम करना है। धीरे-धीरे हमारा प्रयास सफल होने लगा। हम लोग अबतक 300 से अधिक जागरूकता प्रोग्राम कर चुके हैं। हमारी कोशिश रहती है कि हर माह दो प्रोग्राम तो किए ही जा सकें। साथ ही प्रदेश के सभी जनपदों में अवेयरनेस का काम कर चुके है। हमारी संस्थान के सहयोग के साथ अबतक 500 से अधिक ऑर्गन डोनेशन करवाये जा चुके हैं। इस काम में मेरी वाइफ डॉ। रोहिनी शर्मा भी जुड़ी हैं। इसी दौरान देखने में आया कि कई परिवार ऐसे भी थे जिनके पास डोनर तो है, लेकिन ट्रांसप्लांट कराने के लिए फंड नहीं है। इसी को देखते हुए 2023 से हम लोगों ने अगले 10 वर्ष में करीब एक लाख ट्रांसप्लांट में मदद करने का बीड़ा उठाया है।

हम अबतक दो लोगों को ट्रांसप्लांट में मदद कर चुके है, जिसमें एक लिवर और एक किडनी ट्रांसप्लांट शामिल है। लोगों को भी समझना चाहिए कि ऑर्गन ट्रांसप्लांट आज के समय में बेहद जरूरी है।

-डॉ। धमेंद्र कुमार सक्सेना, हेड, स्पर्श वेलफेयर सोसाइटी

कॉर्निया व बॉडी डोनेशन को लेकर कर रहे काम

करीब सात वर्ष पहले सेकेंड इनिंग सीनियर सिटीजन क्लब की स्थापना हुई थी। जिसमें विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी विभागों के रिटायर्ड लोग शामिल हैं। पहले इसके तहत योग और फिटनेस को लेकर जागरूकता का काम किया गया, लेकिन समय के साथ यह भी निश्चय किया गया कि लोगों को ऑर्गन डोनेशन और बॉडी डोनेशन के लिए भी अवेयर किया जाना चाहिए।

200 से अधिक लोगों ने ली कॉर्निया डोनेशन की शपथ

यह संस्था कई निजी हॉस्पिटल से जुड़ी हुई है और स्वास्थ्य जागरूकता को लेकर लगातार काम कर रही है। अबतक 200 से अधिक लोग कॉर्निया डोनेशन की शपथ ले चुके हैं, जिसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इसमें सदस्यों के घर-परिवार के लोग भी लगातार जुड़ रहे हैं। वहीं, कई सदस्यों की मृत्यु के बाद उनका कॉर्निया डोनेट भी किया जा चुका है, जिससे कई जरूरतमंद मरीजों को रोशनी मिली है। इसके साथ ही 45 से अधिक लोगों ने बॉडी डोनेशन का भी शपथ लिया है। क्योंकि मेडिकल की पढ़ाई के लिए बॉडी की जरूरत भी होती है। ताकि मेडिकल छात्र आसानी से मानव एनाटमी को समझ सके।

हम लोगों का प्रयास है कि किडनी और लिवर डोनेशन की दिशा में भी काम करें। इसके अलावा, हम अबतक 50 यूनिट ब्लड भी डोनेट कर चुके हैं। हमारा प्रयास है कि अधिक से अधिक लोगों को इस पहल के साथ जोड़ा जा सके।

-अतुल दूबे, संरक्षक, सेकेंड इनिंग सीनियर सिटीजन क्लब