लखनऊ (ब्यूरो)। मकर संक्रांति पुण्यकाल इस वर्ष पौष शुक्ल चतुर्थी तिथि सुबह 9:29 तक रहेगी। इसके बाद पंचमी तिथि सोमवार को पूरे दिन भोग करेगी। 15 जनवरी दिन सोमवार को शतभिषा नक्षत्र व अमृत नामक योग है। वहीं, 15 जनवरी सोमवार को सुबह 8:42 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति, जिसे लोग आम भाषा मे खिचड़ी भी कहते हैं, पुण्यकाल 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा। यह जानकारी ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय ने दी।

दान व जप का विशेष महत्व

मेषादि 12 राशियों में सूर्य के परिवर्तन काल को संक्रांति कहा जाता है। किसी भी संक्रांति के समय स्नान, दान, जप, यज्ञ का विशेष महत्व है। पृथ्वी के मकर राशि में प्रवेश को मकर संक्रांति कहते हैं। सूर्य का मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा कि ओर जाना। उत्तरायण तथा कर्क रेखा से दक्षिणी रेखा की ओर जाना दक्षिणायन कहते हैं। उत्तरायण में दिन बड़े हो जाते हैं, प्रकाश बढ़ जाता है और रातें दिन की अपेक्षा छोटी होने लगती हैं। शास्त्रों के अनुसार, उत्तरायण की अवधि देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन की रात्रि है। वैदिक काल में उत्तरायण को देवयान तथा दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता है।

आलोक का अवसर

मकर संक्रांति के दिन यज्ञ में दिए गए द्रव्य को ग्रहण करने के लिए देवता पृथ्वी पर अवतरित होते हैं। इसी मार्ग से पुण्यात्मायें शरीर छोड़कर स्वर्गादि लोकों में प्रवेश करतीं हैं, इसलिए यह आलोक का अवसर माना जाता है। धर्मशास्त्रों के कथनानुसार इस दिन पुण्य, दान, जप तथा धार्मिक अनुष्ठानों का अत्यंत महत्व है। इस अवसर पर किया गया दान पुनर्जन्म होने पर सौ गुना होकर प्राप्त होता है।

तिल का विशेष महत्व

इस पर्व पर तिल का विशेष महत्व है। तिल खाना तथा तिल बांटना इस पर्व की प्रधानता है। शीत के निवारण के लिए तिल, तेल तथा तूल का महत्व है। तिल मिश्रित जल से स्नान, तिल-उबटन, तिल-हवन, तिल-भोजन तथा तिलदान सभी कार्य पापनाशक है। इसलिए इस दिन तिल, गुड़ तथा चीनी मिले लड्डू खाने और दान देने का विशेष महत्व है। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन खिचड़ी खाने और खिचड़ी-तिल के दान का विशेष महत्व है। इस अवसर पर गंगा सागर में बहुत बड़ा मेला लगता है। मकर संक्रांति का पर्व श्रद्धा पूर्वक मनाने से सामाजिक एकता और अनंत पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

राशियों पर पड़ेगा यह असर

ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय बताते हैं कि मकर राशि पर सूर्य का प्रवेश सोमवार को सुबह 8:42 पर हो रहा है। उस समय कुंभ लग्न भोग करेगी। कुंभ राशि वालों के लिए यह संक्रांति अत्यंत लाभकारी होगी।

- मकर व कुंभ राशि वालों के रुके हुए कार्य त्वरित होने लगेंगे।

- मेष व वृश्चिक राशि के लोगों को भूमि का सुख प्राप्त हो सकता है।

- वृष व तुला राशि के लोगो को वाहन व भवन का योग।

- मिथुन व कन्या राशि के लोगो के लिए धन लाभ।

- कर्क राशि के लोगों के लिए व्यापार में लाभ व रुके हुए कार्य होंगे।

- सिंह राशि के लोगों के लिए वाहन सुख की प्राप्ति व राजनैतिक लाभ।

- धनु व मीन राशि के लोगों के लिए पद व प्रतिष्ठा की प्राप्ति।

मकर संक्रांति पर हुई मां गोमती की आरती

श्रीमनकामेश्वर मठ-मंदिर के तत्वावधान में मकर संक्रांति के अवसर पर रविवार को मां गोमती की महाआरती की गई। डालीगंज, गोमती तट स्थित मंदिर के सामने उपवन घाट 11 वेदियों से श्रीमहंत देव्यागिरी महाराज की अगुवाई में आरती हुई। इस अवसर पर अंगवस्त्र ओढ़ाकर किन्नरों का सम्मान किया गया। आरती के बाद भक्तों को खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया गया।

दीपों से सजाया गया तट

आरती से पहले घाट मंदिर की प्रमुख कार्यकर्ता उपमा पांडेय के नेतृत्व में दीपों की रंगोली से घाट सजाया गया। वहां पर ओम और स्वास्तिक शुभ चिन्हों की आकृतियों को दीपों को सजाया गया। वेदी को भी दीपों और फूलों की रंगोली से सजाया गया। साध्वी गौरजा गिरी ने मंत्रों के उच्चारण से आरती से विधिवत पूजा कराई। उसके बाद घंटे और शंख ध्वनि के बीच गोमती माता की आरती की गई। इस अवसर पर काफी संख्या में भक्त आरती में शामिल हुए। आरती के बाद श्रीमहंत ने कहा कि मकर संक्रांति बड़ा पुनीत पर्व है। इस दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाते है। इस दिन स्पान और दान की बडी महिमा बताई गई है।