लखनऊ (ब्यूरो)। ईद मिलादुन नबी के मौके पर गुरुवार को शहरमें ऐतिहासिक जुलूस मदहे सहाबा का जुलूस पूरी शान ओ शौकत से निकाला गया। इस जुलूस में लाखों की तादाद में अकीदतमद शामिल हुए। यह ऐतिहासिक जुलूस सुबह 9 बजे से अमीनाबाद पार्क से शुरू होकर मौलवीगंज, रकाबगंज, नक्खास, बिल्लौचपुरा, हैदरगंज होता हुआ ईदगाह ऐशबाग पहुंचा। जुलूस की अगुआई दारूल मुबल्लिगीन के प्रधानाचार्य मौलाना अब्दुल अलीम फारूकी, इमाम ईदगाहमौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली, मौलाना अब्दुल अजीम फारूकी, मौलाना मुहम्मद मुश्ताक, मुहम्मद अहमद खां अदीब ने की। जुलूस में दो अंजुमनों ने हिस्सा भी लिया। तमाम अंजुमने कलमा ए तौहीद लिखे रंग बिरंगे झंडे लिए रसूले पाक की शान में अपने अपने तराने पढ़ते हुएजुलूस के साथ साथ चल रहे थे। रास्ते में मुसलमानों के साथ साथ हिन्दू भाईयों ने भी सबीले लगाकर शहर की गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा रखते हुए लोगों का स्वागत किया।
बहुत मुबारक दिन है
जुलूस के ईदगाह पहुंचने पर नमाज हुई। जुलूस का स्वागत इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के कार्यकताओं और दारूल उलूम फरंगी महल के शिक्षकों ने किया। इस मौके पर एक जलसा सीरतुन्नबी सल्ल और प्याम ए अमन हुआ। जलसे की शुरुआत कारी कमरूद्दीन ने की। ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि आज का दिन बहुत मुबारक दिन है। इस दिन खुदा ने आखिरी नबी हजरत मुहम्मद साहब को इस दुनिया में तमाम इंसानों की रहनुमाई के लिए भेजा। जरूरत इस बात की है कि मुसलमान पैगम्बर ए इस्लाम के इंसानियत, अमन और भाईचारे के पैगाम को घर घर तक पहुंचाने की कोशिश करें। इससे मुसलमानों के लिए जो गलत बातें हो रही हैं उसे दूर किया जा सके। मौलाना सुफयान निजामी ने कहा कि मुसलमान अच्छी से अच्छी तालीम हासिल करें। तालीम ही इस्लाम को समझने का बेहतर जरिया हो सकती है। उन्होंने जुलूस के बारे में बताते हुए कहा कि साल 1999 से यह जुलूस सुन्नी, शिया और जिला प्रशासन के बीच समझौते के तहत निकाला जाता है।
ये रहे मौजूद
जुलूस के मौके पर ज्वाइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस उपेंद्र कुमार अग्रवाल, डीसीपी रईस अख्तर, एडीसीपी चिरंजीव सिन्हा को शॉल देकर सम्मानित किया गया। उपेंद्र कुमार अग्रवाल ने तमाम उलेमाओं का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने अवाम और पुलिस के एक साथ काम करने पर जोर दिया। उनके अलावा इस दौरान मजलिस ए तहफ्फुस ए नामूसे सहाबा, ऑल इंडिया सुन्नी बोर्ड के कार्यकर्ता भी मौजूद रहे।