लखनऊ (ब्यूरो)। शहीदपथ और सुल्तानपुर रोड क्रासिंग पर ट्रैफिक पुलिस के सामने ही वाहन रांग साइड से निकालते हैं। ऐसे लोगों पर सख्ती करनी होगी, तभी ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार होगा। यह कहना है विजय कुमार सिन्हा का। ऐसे ही बहुत से सुझाव दैनिक जागरण आईनेक्स्ट को अपने अभियान 'मसला-ए-जिंदगी' के दौरान मिले हैं।
लोगों ने रखी अपनी राय
हर साल 11 जनवरी से 17 जनवरी तक नेशनल रोड सेफ्टी वीक मनाया जाता है। इस दौरान ट्रैफिक पुलिस से लेकर परिवहन विभाग तक अभियान चलाकर शहर में ट्रैफिक व्यवस्था सुगम बनाने को लेकर काम करता है। डीजे आईनेक्स्ट ने अपने अभियान में शहर की ट्रैफिक व्यवस्था की पोल खोलते हुए खबरें प्रकाशित की थीं। जिसमें लोगों को बताया गया था कि शहर में किन-किन कारणों से ट्रैफिक व्यवस्था चरमराई है। सात दिन तक चले अभियान से सैकड़ों लोग जुड़े और मैसेज के माध्यम से हमें बताया कि किस तरह से राजधानी की ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार हो सकता है।
पब्लिक ने दिए सुझाव
जगह-जगह ट्रैफिक लाइट प्वाइंट बंद रहती है और जहां चलती है वहां अक्सर लोग रेड लाइट जंप कर जाते हैं। ऐसे लोग अपने साथ-साथ दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डालते हैं। पुलिस को चाहिए कि इन जगहों पर व्यवस्था को ठीक से सुचारू करें, ताकि कोई सिग्नल न तोड़े।
निखिल श्रीवास्तव
शहीदपथ और सुल्तानपुर रोड क्रासिंग पर ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, फिर भी ज्यादातर वाहन रांग साइड से निकलते हैं। ठीक ऐसे ही हालात कई अन्य जगहों पर भी हैं। पुलिस को ऐसी जगहों को चिन्हित कर बेरीकेटिंग या फिर वाहनों का चालान करना होगा।
विजय सिन्हा
अतिक्रमण के चलते आधी रोड ब्लाक हो जाती हैं। आलमबाग, चारबाग और अमीनाबाद में कुछ इसी तरह के हालात हैं। इससे यहां हमेशा जाम लगता है। पुलिस को चाहिए कि नगर निगम के साथ मिलकर कुद ऐसा प्लान करें कि रोड पर दुकानें न लगें।
आशुतोष मिश्रा
ई-रिक्शा को लेकर प्लान को कई बार बनाए गए लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया। पुलिस ई-रिक्शा और डग्गामार बसों की मनमानी पर लगाम लगाए। ये जहां मन आता है, वहां सवारियों के चक्कर में वाहन रोक देते हैं। जिससे एक्सीडेंट होने का डर भी बना रहता है।
अमर सिंह
अधिकतर जगहों पर पुलिस का फोकस सिर्फ चालान काटने में होता है। एक तरीके से यह ठीक भी है, लेकिन दूसरा पहलु यह भी है जब लोगोंं के अंदर ट्रैफिक के प्रति अवेयरनेस ही नहीं होगी तो ट्रैफिक में कैसे सुधार होगा। पुलिस लोगों को ट्रैफिक नियमों को लेकर अवेयरनेस भी करे।
अंकित श्रीवास्तव
जैसे पुलिस आम लोगों के वाहनों का चालान करती है, ठीक उसी तरह उसे सरकारी गाडिय़ों पर भी फोकस करना चाहिए। सरकारी वाहन भी ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हैं। हालांकि ऐसे वाहनों पर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है।
गौरव
मटियारी और पॉलीटेक्निक चौराहे की बुरी हालत है। ट्रैफिक हर ओर से चलता है। मटियारी ब्रिज से ही जाम लग जाता है। टेंपो और बस हटती नहीं हैं, लोगों को निकलने में बहुत दिक्कत होती है। इस जगह पर जाम से निपटने का प्लान तैयार किया जाए।
डॉ। निशांत कनोडिया
हजरतगंज, कैसरबाग, चारबाग, अवध, पॉलीटेक्निक समेत अन्य कई ऐसे प्रमुख चौराहे हैं, जहां पर लोगों को अक्सर जाम में फंसना पड़ता है। पुलिस को इस तरह के प्रमुख चौराहों को चिन्हित कर एक खास रणनीति तैयार करनी होगी।
नितिन कुमार
हमारा मानना है कि जितने भी एक्सीडेंट होते हैं, उसमें से 75 परसेंट सामने वाली गाड़ी की हेडलाइट की वजह से होते हंै। इस पर पुलिस और संबंधित अधिकारियों को विचार करना चाहिए। वाहन की लाइटों को आधा काला कर देना चाहिए।
शुभम शर्मा
शहर के सबसे वीआईपी एरिया हजरतगंज से मैं हमेशा गुजरता हूं सुबह हो या फिर शाम हमेशा जाम में फंसना पड़ता है। यहां पर पुलिस वाले भी दिखते हैं, लेकिन जाम की समस्या कम नहंीं होती है। पुलिस को यहां के लिए खास रणनीति बनाने की जरूरत है।
अखिलेश मिश्रा
ट्रैफिक मिस मैनेजमेंट से बिगड़े हालात
नेशनल रोड सेफ्टी वीक को देखते हुए डीजे आईनेक्स्ट की ओर से शहर में ट्रैफिक व्यवस्थाओं को लेकर ऑप्शन पोल भी किया गया। जिसमें पूछा गया था कि लखनऊ में आए दिन होने वाले रोड एक्सीडेंट की वजह आप किसे मानते हैं? इस सवाल का बड़ी संख्या में न सिर्फ लोगों ने जवाब दिया बल्कि अपनी राय भी व्यक्त की। आइए जानते हैं, क्या है लोगों की राय
किसमें कितनी वोटिंग
-38 परसेंट ट्रैफिक मिस मैनेजमेंट
-32 परसेंट ट्रैफिक सेंस में अभाव
-21 परसेंट रोड्स पर अतिक्रमण
-09 परसेंट ट्रैफिक सिपाहियों की कमी