लखनऊ (ब्यूरो)। घरों से निकलने वाले वेस्ट में सबसे खतरनाक मेडिकल और पॉलीथिन वेस्ट होता है। अगर इनका प्रॉपर निस्तारण न किया जाए तो ये कैंसर, स्किन रिलेटेड प्रॉब्लम्स खड़ी करने के साथ ही हवा और पानी को भी जहरीला बना देते हैैं, जिसका सीधा असर मानव जीवन पर पड़ता है। इतना ही नहीं, पॉलीथिन वेस्ट की वजह से बेजुबानों की जिंदगी भी खतरे में पड़ती है। नगर निगम की ओर से मेडिकल और पॉलीथिन वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था तो कराई जाती है, लेकिन घरों से मिक्स वेस्ट मिलने की वजह से उसका प्रॉपर निस्तारण नहीं हो पाता।
हर घर से निकलता दोनों तरह का वेस्ट
राजधानी में लगभग छह लाख घर हैं। पॉलीथिन वेस्ट की बात की जाए तो लगभग 95 फीसदी घरों से पॉलीथिन वेस्ट निकलता है, 40 फीसदी घरों से मेडिकल वेस्ट भी मिलता है। भवन स्वामी सूखे वेस्ट को पॉलीथिन में भरकर डस्टबिन में डाल देते हैैं या फिर रोड साइड फेंक देते हैैं। कई बार तो पॉलीथिन में गीला वेस्ट भी होता है, ऐसा करना बेहद खतरनाक है। कुछ इसी तरह ज्यादातर भवन स्वामियों की ओर से मेडिकल वेस्ट का भी निस्तारण किया जाता है। घरों से निकलने वाली एक्सपायर्ड दवाएं, सिरप, इंजेक्शन इत्यादि को पॉलीथिन में लपेटकर फेंक दिया जाता है। कई बार पशु पॉलीथिन में भरकर फेंके गए वेस्ट का ही सेवन कर लेते हैैं और उनकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।
पॉलीथिन से होते हैं कई नुकसान
जलनिकासी में रुकावट-अक्सर पॉलीथिन की वजह से नाले-नालियों चोक हो जाती हैं। जलनिकासी पर असर पड़ने से गंदगी फैलती है और इलाके में डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा सामने आता है।
भूगर्भ जल पर असर-अगर किसी स्थान पर भारी मात्रा में पॉलीथिन वेस्ट फैला हुआ है तो उस स्थान पर भूर्गभ जल दूषित हो जाता है। पॉलीथिन को बनाने में न्यूरोटॉक्सिक, बिस्फेनॉल-ए इत्यादि कैमिकल का यूज होता है। जब पॉलीथिन पर बारिश का पानी गिरता है तो कैमिकल रिसकर जिसे लीचेट कहा जाता है, भूगर्भ जल में मिलता है, जिसकी वजह से भूगर्भ जल जहरीला हो जाता है।
बीमारियां फैलती हैं-अगर गर्म खाने या चाय को प्लास्टिक बैग में रखा जाता है तो प्लास्टिक में शामिल जहरीले रसायन खाने या चाय में घुल जाते हैैं, जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी की वजह बन सकते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति के पाचन तंत्र पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
हवा होती है जहरीली-अगर किसी स्थान पर प्लास्टिक वेस्ट को जलाया जाता है तो उससे उठने वाले कैमिकल युक्त धुएं से संबंधित एरिया की एयर क्वालिटी पर भी असर देखने को मिलता है।
पशुओं के लिए जानलेवा-जब कोई पशु पॉलीथिन का सेवन कर लेता है तो पॉलीथिन उसके पेट में जाकर फंस जाती है। जिसकी वजह से उसकी जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।
इस तरह समझें
नगर निगम द्वारा पशुओं को बचाने के लिए कान्हा उपवन में उनका ऑपरेशन कराया जाता है, जिसका आंकड़ा बेहद चौंकाने वाला है
10 पशुओं की ऑपरेशन होते हैैं हर महीने
30 से 35 किलो पॉलीथिन निकलती है पेट से
50 फीसदी पशु ही बच पाते हैं ऑपरेशन के बाद
मेडिकल वेस्ट भी बेहद खतरनाक
अगर कहीं मेडिकल वेस्ट का ढेर पड़ा हुआ है और आप उसके संपर्क में आते हैैं तो आप भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैैं। यह पहले से ही प्राविधान है कि मेडिकल वेस्ट का बिल्कुल अलग और सुरक्षित तरीके से निस्तारण किया जाना चाहिए। नगर निगम की ओर से मेडिकल वेस्ट निस्तारण की अलग से व्यवस्था की गई है, लेकिन घरों से जो मेडिकल वेस्ट सूखा या गीला कूड़ा के साथ दिया जाता है, उससे निगम कर्मियों की सेहत खतरे में रहती है।
संक्रमण-अगर किसी स्थान पर खून से सनी रूई या इंजेक्शन इत्यादि पड़ा हुआ है और आप उसके संपर्क में आ जाते हैैं तो आप एड्स या अन्य गंभीर संक्रमण की चपेट में आ सकते हैैं।
हवा होती है जहरीली-अगर मेडिकल वेस्ट को जला दिया जाता है तो उससे निकलने वाली रासायनिक गैसों के प्रभाव से हवा जहरीली हो जाती है। जिसकी वजह से आपको सांस से जुड़ी तकलीफ हो सकती है।
इस तरह निकलता है वेस्ट
95 फीसदी घरों से निकलता है प्लास्टिक वेस्ट
40 फीसदी घरों से मेडिकल वेस्ट भी आता है सामने
सोशल मीडिया पर आए कमेंट्स
1-सभी को अपने घर में दो डस्टबिन जरूर रखने चाहिए। जिससे एक में गीला वेस्ट डाला जा सके और दूसरे में सूखा वेस्ट।
आकाश, तेलीबाग
2-नगर निगम की ओर से भवन स्वामियों को जागरूक किए जाने की जरूरत है। जब तक भवन स्वामी जागरूक नहीं होंगे, तब तक सूखा और गीला वेस्ट एक साथ ही दिया जाएगा।
शुभम, गोमतीनगर
3-हमारे इलाके में अक्सर लोग घरों व दुकानों से निकलने वाले कूड़े में आग लगा देते हैं। इस तरह कूड़े को ठिकाने लगाना उन्हें आसान लगता है। पर इससे पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।
अविनाश, सरोजनीनगर
4-पॉलीथिन में घर की जूठन भरकर उसे सड़क किनारे फेंकने पर आवारा जानवर खाने की गंध के चलते पूरी पॉलीथिन ही खा लेते हैं, जिससे उनकी जान तक पर बन आती है।
पूजा, आशियाना
5-पुराने लखनऊ में जलनिकासी एक बड़ी समस्या है। ज्यादातर नालियां पॉलीथिन फंसने से चोक रहती हैं, फिर वहां मच्छर पनपते हैं और डेंगू-मलेरिया जैसी बीमारियां फैलती हैं।
पंकज, चौक
6-नगर निगम ने किसी भी तरह के वेस्ट को जलाने पर रोक लगाई हुई है। इसके बावजूद लोग वेस्ट जलाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैैं। ऐसे लोगों पर सख्त एक्शन होना चाहिए।
पंकज, अलीगंज
मेडिकल और पॉलीथिन वेस्ट का उचित निस्तारण किया जाना बेहद जरूरी है। दोनों तरह के वेस्ट से पब्लिक की हेल्थ और एनवॉयरमेंट पर नकारात्मक असर पड़ता है। इससे कैंसर, स्किन समेत कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैैं।
डॉ। राजेश श्रीवास्तव, सीएमएस, सिविल अस्पताल