लखनऊ (ब्यूरो)। इस रिसर्च से सामने आया कि दवा के इस्तेमाल से चूहों पर अल्जाइमर का प्रभाव कम हो गया और आगे चलकर वो ठीक भी हो गए। अब इस दवा के ह्यूमन ट्रॉयल की बात हो रही है। यह रिसर्च जर्नल बायोमेडिसिन में प्रकाशित की गई है।

याददाश्त में आती है कमी
फार्माकॉलजी विभाग के डॉ। राजेंद्र नाथ ने यह शोध किया है। उन्होंने बताया अल्जाइमर की वजह से मस्तिष्क सही ढंग से काम नहीं कर पाता है। यह बीमारी याददाश्त, सोचने और व्यवहार संबंधी समस्याएं पैदा करता है। अभी तक इसकी कोई दवा खोजी नहीं जा सकी है। ऐसे में अभी जो दवाएं दी जा रही हैं वो बीमारी को ठीक नहीं करती हैं वे केवल बीमारी के बढऩे की रफ्तार को कम करती हैं।

चूहों पर किया गया ट्रॉयल
डॉ। राजेंद्र नाथ ने बताया कि इस समस्या को देखते हुए हमने हल्दी में पाये जाने करक्यूमिन व कोएंजाइम क्यू 10 की मदद से दवा तैयार करने का काम किया है। इस दवा का शुरुआती ट्रॉयल चूहों पर किया गया है। इसके लिए सबसे पहले 42 चूहों में अल्जाइमर को विकसित किया गया। जिसके लिए इन चूहों को एक दवा सात दिन तक दी गई। जिसके बाद जांच में चूहों को अल्जाइमर से ग्रसित पाया गया। इसके बाद चूहों को अगले 21 दिनों तक नई दवा नियमित तौर पर दी गई। 29वें दिन जब चूहों की बिहैवियर टेस्टिंग की गई तो देखने में आया कि दवा के असर से चूहों में बीमारी का स्तर कम हो गया। यह आशाजनक और उत्साहित करने वाला था।

अब ह्यूमन ट्रॉयल की तैयारी
डॉ। राजेंद्र नाथ ने बताया कि यह ट्रॉयल चूहों पर सफलता पूर्वक किया जा चुका है। अब इसका मनुष्य पर ट्रॉयल करना होगा। इसके लिए कई स्तर पर अप्रूवल की जरूरत पड़ती है। इसके लिए काम शुरू किया जा चुका है। मरीजों को दवा देने के साथ उसका असर भी देखना होगा। मनुष्यों पर अगर यह ट्रॉयल सफल हो जाता है तो यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। इससे अल्जाइमर के मरीजों को काफी फायदा मिलेगा, क्योंकि अभी तक इस बीमारी की कोई सटीक दवा उपलब्ध नहीं है।

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
- याददाश्त का कम होना
- चीजें कहीं रखकर भूल जाना
- राह चलते भटकना या खो जाना
- सामान्य चीजें भी भूल जाना
- चीजों को पहचानने में समस्या
- बोलने, पढऩे या लिखने में समस्या
- व्यवहार में बदलाव आना