लखनऊ (ब्यूरो)। एंडोक्राइन डिपार्टमेंट के हेड डॉ। सुशील गुप्ता ने बताया नार्थ इंडिया में अपनी तरह की पहली इस पहल से ट्रांसजेंडर समुदाय की चिकित्सा सेवाओं और देखभाल की सुविधा मिलेगी। जिसका नोडल एंडोक्रिनोलॉजी विभाग को बनाया गया है। यहां व्यक्ति जेंडर चेंज करा सकेंगे। अभी संस्थान में हर साल 8 से 10 लोग जेंडर चेंज कराने आते हैं। जिसे जेंडर डिस्फेरिया कहा जाता है। पहले यह सुविधा एक जगह पर नहीं मिलती थी। जिससे मरीज परेशान होता था। इस क्लीनिक के खुलने के बाद इनकी संख्या में इजाफा हो सकता है। यह क्लीनिक हर शुक्रवार दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक चलेगा। क्लीनिक में 6 बेड की सुविधा भी रहेगी। प्राइवेट की तुलना में यहां खर्च भी एक तिहाई आएगा।
यह सुविधाएं मिलेंगी
डॉ। सुशील गुप्ता ने बताया कि क्लीनिक में हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, रिडक्शन मैमोप्लास्टी जैसी सर्जिकल प्रक्रियाएं, जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी, परामर्श, मनोरोग सहायता और त्वचा विज्ञान सेवाएं शामिल हैं। जिसमें, प्लास्टिक सर्जरी और बर्न विभाग के हेड प्रो राजीव अग्रवाल, यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग हेड प्रो। एमएस अंसारी, मनोरोग विभाग के डॉ। रोमिल सैनी, स्किन साइंस व यौन रोग विभाग के डॉ। अजित कुमार और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की हेड प्रो। रुंगमेई एसके मराक की भी मदद मिलेगी।
यह होते हैं ट्रांसजेंडर
ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिसकी लिंग पहचान जन्म के समय उसे दी गई लिंग पहचान से भिन्न होती है। भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय का सदियों पुराना इतिहास है। 2011 की जनगणना में पाया गया कि लगभग 5 लाख व्यक्ति ट्रांसजेंडर हैं। इस समुदाय को परंपरागत रूप से हाशिए पर रखा गया है। हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के प्रयासों से बड़े पैमाने पर सामाजिक दृष्टिकोण और कानूनी मान्यता में सकारात्मक बदलाव देखे गए हैं। इस दौरान चीफ गेस्ट देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं सलाहकार, ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड, निदेशक प्रो। आरके धीमन, सीएमएस प्रो। संजय धीराज मौजूद रहे्
इसे भी जानें
- हर साल 8-10 लोग जेंडर चेंज कराने आ रहे
- 6 बेड का वार्ड की सुविधा
- काउंसलिंग से लेकर जेंडर चेंज और हार्मोनल थेरेपी की सुविधा
- निजी के मुकाबले एक-तिहाई आएगा सर्जरी का खर्च
क्लीनिक शुरू होने से ट्रांसजेंडर को कही और नहीं भटकना पड़ेगा। यह अपने आप में पहली डेडिकेटेड क्लीनिक है। उनको सभी सुविधाएं एक ही जगह मिलेंगी।
- प्रो आरके धीमन, निदेशक, पीजीआई