लखनऊ (ब्यूरो)। अचल नारायण शुक्ल ने बताया कि वह यूपीपीसीएल से रिटायर्ड हैं। उनके पास स्विफ्ट डिजायर (यूपी 32 केडब्ल्यू 1632) है। बीते 21 मार्च को उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि लखनऊ-कानपुर नवाबगंज के टोल प्लाजा पर फास्टैग से 90 रुपये कटे हैं। हैरानी की बात है कि इस गाड़ी का नंबर मैसेज में (यूपी 32 केडब्ल्यू 1623) आया है। इसके बाद उन्होंने फौरन इसकी शिकायत एनएचएआई के टोल फ्री नंबर पर की। उन्होंने बताया कि कस्टमर केयर ने उनकी पूरी बात सुनी और कहा कि अगले तीन दिन में प्राब्लम सॉल्व हो जाएगी। तीन दिन बाद कॉल की तो 3 अप्रैल का समय मांगा और फिर कॉल की तो दस दिन का समय और मांगा। इतने दिन गुजरने के बाद भी उनकी प्राब्लम सॉल्व नहीं हो सकी है।

आ रही हैं तकनीकी दिक्कतें
बता दें कि इस तरह के मामले पहले भी कई बार सामने आ चुके हैं। इस पर अधिकारियों का कहना था कि फास्टैग कैमरों व सेंसर पर काम करता है। टोल प्लाजा पर फास्टैग को पहचानने के लिए स्कैनिंग सेंसर और कैमरे लगे हैं, ये गाड़ी का नंबर और फास्टैग को मैच करने के बाद खाते से पैसा काटते हैं। कई बार सर्वर प्रॉब्लम से वाहन के रजिस्ट्रेशन नंबर ठीक से स्कैन न होने पर उससे मिलते-जुलते नंबरों के खाते से पैसा काट लिया जाता है। कई वाहनों पर डिजाइनर नंबर प्लेट लगी होती है, जिससे यह दिक्कत आती है।