लखनऊ (ब्यूरो)। हसनगंज के बाबूगंज इलाके में 27 फरवरी 2015 को एक सनसनीखेज वारदात हुई थी, जो आज तक पुलिस के लिए पहेली बनी हुई है। दिनदहाड़े पल्सर बाइक सवार दो बदमाशों ने एक एटीएम में पैसे डालने आई कैश वैन के तीन कर्मचारियों पर फायरिंग कर मौत के घाट उतार दिया और 52 लाख रुपये लूट कर फरार हो गए थे। लुटेरों की तलाश के लिए 16 पुलिस की टीमें बनीं। इस लूट कांड को आतंकियों से भी जोड़ा गया। हालांकि आज भी इस लूट कांड की फाइल धूल खा रही है।

रोड पर तड़प रहे थे गार्ड
बाबूगंज बाजार में रोज की तरह 27 फरवरी 2015 को भी काफी भीड़ थी। अचानक यहां गोलियों की आवाजों से दहशत फैल गई। देखते ही देखते पूरे एरिया में सन्नाटा छा गया। रोड के किनारे एटीएम बूथ के बाहर 3 लोग खून से लथपथ पड़े थे और उनके बगल में 500 और एक हजार के नोट बिखरे पड़े थे। हसनगंज पुलिस ने मौके पर पहुंचते ही घायलों को अस्पताल भेजा, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। इस वारदात को अंजाम दिया था पल्सर सवार बाइक सवारों ने। सीसीटीवी में इनकी तस्वीर भी कैद हो गई थी।

52 लाख रुपए लूटे गए थे
27 फरवरी 2015 को कैश वैन के कस्टोडियन उदय और अनिल सिंह कैश लेकर एटीएम में लोड करने के लिए हजरतगंज से निकले। वे बाबूगंज स्थित एक निजी बैंक के एटीएम के बाहर पहुंचे। दोनों कस्टोडियन बॉक्स लेकर अंदर गए, जबकि दो गार्ड अवनीश शुक्ला और अरुण कुमार एटीएम के बाहर खड़े थे। तभी पल्सर बाइक सवार दो बदमाश आए और अवनीश, अरुण और अनिल सिंह पर गोलियां चला दीं और 52.50 लाख रुपये भरे बॉक्स को लूटकर फरार हो गए। गार्ड आलोक मिश्रा की तहरीर पर केस दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू की। इस मामले में पुलिस ने प्रदेश के टॉप 20 अपराधियों के गैंग के सदस्यों से भी पूछताछ की, लेकिन बदमाशों की पहचान नहीं हो सकी।

आतंकियों से जोड़े गये तार
इस वारदात के खुलासे में लगीं पुलिस की 16 टीमों को निराशा ही हासिल हो रही थी। इसी बीच तेलांगना के नालगोड़ा पुलिस ने 4 अप्रैल 2015 को सिमी आतंकी एजाजुद्दीन और असलम को मुठभेड़ में मार गिराया। तेलांगना पुलिस का बयान आया कि इन्हीं दोनों ने लखनऊ के बाबूगंज में ट्रिपल मर्डर और एटीएम कैश लूटकांड को अंजाम दिया था। यह जानकारी मिलते ही राजधानी पुलिस ने मामले की जांच इस दिशा में मोड़ दी। हालांकि पुलिस की किरकिरी तब हुई तक वारदात के दिन इन आतंकियों की लोकेशन लखनऊ में ही नहीं मिली। बाद में पता चला कि यूपी पुलिस के एक अधिकारी ने नालगोड़ा पुलिस से मिलकर कर इस मामले के फर्जी खुलासे की योजना बनाई थी।

कई प्रदेशों के गैैंगों को किया ट्रेस
इस मामले के खुलासे के लिए राजधानी पुलिस ने प्रदेश संग तमिलनाडु, तेलांगना, बंगाल, हरियाणा व राजस्थान के गैंगों को ट्रेस किया लेकिन किसी का इस वारदात से कनेक्शन नहीं जुड़ा। वहीं पुलिस ने आजमगढ़ के एक गिरोह पर हाथ डालने की कोशिश की, लेकिन कुछ अधिकारियों ने इस गैंग के पीछे भागने को समय की बर्बादी बता दिया। जिस पर क्राइम ब्रांच और अधिकारी में विवाद हो गया। बात जब मुख्यालय तक पहुंची तो तफ्तीश में जुटे पुलिसकर्मियों ने इस गैंग का पीछा छोड़ दिया।

मुनीर से भी जोड़ा गया था तार
इसी दौरान एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की हत्या में पुलिस ने अपराधी मुनीर और उसके दोस्त अदनान को गिरफ्तार किया। जांच में सामने आया कि 25 नवंबर 2015 को मुनीर ने गोमतीनगर में जज के गनर प्रमोद को गोली मारकर सर्विस पिस्टल लूटी थी। वहीं 19 नवंबर 2015 की रात रेनेसॉ होटल के एक्जक्यूटिव मैनेजर नमन वर्मा की हत्या कर पल्सर बाइक लूटी थी। तंजील की हत्या में इसी बाइक का यूज किया गया था। हालांकि मुनीर ने बाबूगंज मामले में अपनी भूमिका से इंकार कर दिया। ऐसे में 2 अप्रैल 2017 को पुलिस ने थक हार कर फाइनल रिपोर्ट लगाकर केस ही बंद कर दिया। 2019 में केस दोबारा रि-ओपन किया गया। तत्कालीन एसएसपी कलानिधि नैथानी ने नए सिरे से जांच शुरू कराई। इस बार भी पुलिस की हाथ खाली ही रहे और इस केस को फाइनल रिपोर्ट लगाकर बंद कर दिया गया।