लखनऊ (ब्यूरो)। अकसर देखा जाता है कि लोग हल्की-फुल्की हेल्थ प्रॉब्लम होने पर डॉक्टर को दिखाने के बजाए मेडिकल स्टोर से ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवा लेकर खा लेते हैं। सर्दी, खांसी, जुकाम, बुखार, बदन दर्द आदि में एंटीबायोटिक, पेन किलर या स्टेरायड मिली दवाएं तक बिना प्रिस्क्रिप्शन के ले लेते हैं। जिसके कारण न केवल मर्ज बढ़ता है बल्कि बॉडी में ड्रग रेजिस्टेंस भी बढ़ता है। मेडिकल संस्थानों में ड्रग रेजिस्टेंस के केस 10 फीसदी तक बढ़ चुके हैं, जिसके कारण उनका ट्रीटमेंट तक बदलना पड़ता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लोगों को ओटीसी दवाएं लेना बंद करना चाहिए वरना आने वाले समय में स्थिति खतरनाक हो सकती है।

तीन लेवल तक बढ़ रहा ड्रग रेजिस्टेंस

दवाओं का असर लोगों में अलग-अलग होता है। कई बार मरीज में ड्रग रेजिस्टेंस देखने को मिलता है, जो लगातार कोई एक दवा खाने या गलत दवा का लगातार सेवन करने से होता है। पहला मल्टीपल ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) में कई ड्रग्स से रेजिस्टेंट हो जाता है। दूसरा, एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट (एक्सडीआर) होता है। इसमें एमडीआर मरीजों में दवा प्रतिरोध उत्पन्न हो जाता है। तीसरा, पैन ड्रग रेजिस्टेंट (पीडीआर) यानि जिसमें बैक्टीरिया सभी तरह की एंटी माइक्रोबियल के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं। ऐसे मरीजों में हिट एंड ट्रायल के तहत ट्रीटमेंट किया जाता है। जिसमें मरीज की जान तक बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।

दवा का असर कम या बिल्कुल नहीं होता

केजीएमयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ। शीतल वर्मा बताती हैं कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस वह परिस्थिति है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ म्यूटेट हो जाते हैं और दवाओं पर प्रतिक्रिया नहीं करते हैं। जिस कारण इंफेक्शन का इलाज अत्यंत कठिन हो जाता है। ऐसे में बीमारी के फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटी पैरासाइटिक दवाओं की अधूरी खुराक, खराब रखरखाव और दुरुपयोग गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देता है। क्योंकि इससे शरीर में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और मरीजों के लिए यह अत्यंत घातक हो सकता है।

रिजर्व ग्रुप की दवा देने से बचना चाहिए

डॉ। शीतल वर्मा आगे बताती हैं कि मेडिकल स्टोर्स से रिजर्व ग्रुप की एंटीबायोटिक्स भी आसानी से दे दी जाती हैं, जबकि ये दवाएं अन्य दवाओं के असर न करने के बाद ही इस्तेमाल करनी चाहिए ताकि इनका असर बना रहे। पर कार्बापेनेम्स, कोलिस्टिन, टाइगेसाइक्लिन, लाइनजोलिड, डेप्टोमाइसिन और सेफ्टाजिडिम जैसी दवाएं भी आसानी से दे दी जा रही हैं, जबकि इनपर रोक लगनी चाहिए।

नहीं देनी चाहिए ये दवाएं

कार्बापेनेम्स

कोलिस्टिन

टाइगेसाइक्लिन

लाइनजोलिड

डेप्टोमाइसिन

सेफ्टाजिडिम

एक तरह की दवा खाने से बचें

केजीएमयू के मेडिसिन विभाग के डॉ। डी हिमांशु ने बताया कि मरीजों में ड्रग रेजिस्टेंस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ओपीडी में तो कम, लेकिन जो आईसीयू में भर्ती होते हैं, उनमें यह ज्यादा देखने को मिलता है। ऐसे करीब 70-80 पर्सेंट मरीज होते हैं। वहीं, पीडीआर के एक-दो केस साल में देखने को मिल जाते हैं। दरअसल, इसकी बड़ी वजह हॉस्पिटल इंफेक्शन के अलावा लोगों का एक ही तरह कि एंटीबायोटिक लगातार खाना भी है। खासतौर पर जो नई और स्ट्रांग एंटीबायोटिक हैं, वे बेअसर हो रही हैं। पर यह भी देखने को मिल रहा है कि जो पुरानी एंटीबायोटिक हैं, जिनका अब ज्यादा यूज नहीं हो रहा है, वे फिर से असर दिखा रही हैं, जिसमें कॉट्रीमोक्सेजोल, फॉस्फोमाइसिन, टेट्रासाइक्लिन ग्रुप और नाइट्रोफ्यूरेशन आदि दवाएं शामिल हैं, इसलिए लोगों को लगातार एक ही तरह की एंटिबायोटिक खाने से बचना चाहिए। पर सबसे जरूरी है कि बिना डॉक्टर प्रिस्क्रिप्शन के खुद से कोई दवा नहीं लेनी चाहिए।

फार्मासिस्ट कर सकते हैं अवेयर

फार्मासिस्ट फेडरेशन यूपी के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि बहुत ही कम लोगों को एंटीबायोटिक के दुष्प्रभाव की जानकारी होती है। भविष्य में कहीं ऐसा न हो कि एंटीबायोटिक के प्रतिरोध के कारण सामान्य बीमारियों का भी इलाज करना मुश्किल हो जाए। जनता को जागरूक करने में फार्मासिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। फार्मासिस्ट जहां भी हैं, वे रोगी खोजी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

एक तरह की एंटीबायोटिक लगातार खाने से उसका असर कम हो जाता है। खासतौर पर नई व स्ट्रांग एंटीबायोटिक बेअसर हो रही हैं। कुछ पुरानी और कम यूज होने वाली दवाओं का असर देखने को मिल रहा है।

-डॉ। डी हिमांशु, केजीएमयू

बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवा खाने से ड्रग रेजिस्टेंस लगातार बढ़ रहा है। खासतौर पर लोग एंटीबायोटिक बिना वजह ज्यादा खाते हैं। इससे बचना चाहिए।

-डॉ। शीतल वर्मा, केजीएमयू

फार्मासिस्ट लोगों को ड्रग के प्रति अवेयर कर सकते हैं, क्योंकि बेवजह दवा खाने से इंफेक्शन सही न होने का खतरा बढ़ जाता है।

-सुनील यादव, फार्मासिस्ट फेडरेशन