लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ मेट्रो के फर्स्ट कॉरीडोर के मुकाबले ईस्ट-वेस्ट कॉरीडोर में स्टेशंस की रंगत बदली हुई नजर आएगी। अभी जो प्लान बन रहा है, उससे साफ है कि कई स्टेशंस में मिनी मॉल जैसी सुविधा दी जा सकती है। जहां मेट्रो पैसेंजर्स ही नहीं बल्कि आउट साइडर्स भी शॉपिंग कर सकेंगे। इसके साथ ही मुख्य फोकस अंडरपास कनेक्टिविटी पर किया जा रहा है, ताकि लोगों को पार्किंग स्थल से अधिक पैदल न चलना पड़े।
11.165 किमी होगी लंबाई
चारबाग से बसंत कुंज तक प्रस्तावित ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर की लंबाई 11.165 किमी होगी, जिसमें एलिवेटेड लंबाई 4.286 किलोमीटर होगी जबकि भूमिगत लंबाई 6.879 किलोमीटर होगी। इस कॉरिडोर में कुल स्टेशनों की संख्या 12 होगी, जिसमें सात भूमिगत और पांच एलिवेटेड स्टेशन होंगेे।
इस प्रकार हैं स्टेशंस
-चारबाग (अंडरग्राउंड)
-गौतम बुद्ध नगर (अंडरग्राउंड)
-अमीनाबाद (अंडरग्राउंड)
-पांडेयगंज (अंडरग्राउंड)
-सिटी रेलवे स्टेशन (अंडरग्राउंड)
-मेडिकल चौराहा (अंडरग्राउंड)
-चौक (अंडरग्राउंड)
-ठाकुरगंज (एलिवेटेड)
-बालागंज (एलिवेटेड)
-सरफराजगंज (एलिवेटेड)
-मूसाबाग (एलिवेटेड)
-बसंत कुंज (एलिवेटेड)
बिजनेस हब बनाने की तैयारी
मेट्रो की ओर से जो प्लानिंग की जा रही है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि ज्यादातर अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशंस को बिजनेस हब के रूप में डेवलप किया जाएगा। यहां पर शॉप फैसिलिटी के साथ-साथ यहां की डिजाइनिंग भी आकर्षक होगी। इसके साथ ही, यहां फूड जोन भी डेवलप किए जाने की तैयारी है। एलिवेटेड स्टेशंस में भी कई तरह की सुविधाएं डेवलप की जाएंगी।
पब्लिक फुटफॉल बेहतर रहेगा
मेट्रो का अब जो कॉरीडोर शुरू होने जा रहा है, उसमें पैसेंजर्स फुटफॉल के अधिक होने की संभावना है। यह कॉरीडोर पुराने लखनऊ को कनेक्ट कर रहा है, जहां मार्केट्स के साथ-साथ केजीएमयू जैसा बड़ा मेडिकल संस्थान भी है। पैसेंजर्स फुटफॉल की संभावित बेहतर संख्या को देखते हुए ही स्टेशंस में हाईटेक फैसिलिटी डेवलप की जाएंगी।
पार्किंग से कनेक्ट होंगे स्टेशंस
अभी पहले कॉरीडोर में कई स्टेशंस में प्रॉपर पार्किंग की सुविधा नहीं है। इस वजह से कई बार पैसेंजर्स परेशान होते हैैं। सेकंड कॉरीडोर में यह समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। इतना ही नहीं, प्लानिंग में यह भी साफ है कि स्टेशंस की पार्किंग से सीधे अंडरपास कनेक्टिविटी की जाएगी, जिससे पैसेंजर्स को बेहतर सुविधा मिल सके।
ऐतिहासिक झलक दिखेगी
स्टेशंस की ड्राइंग-डिजाइन अभी फाइनल नहीं हुई है लेकिन इतना साफ है कि फर्स्ट कॉरीडोर की तरह ही सेकंड कॉरीडोर के स्टेशंस में भी लखनऊ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक झलक देखने को मिलेगी। इसके साथ ही बच्चों के लिए भी ओपन स्पेस डेवलप किया जा सकता है। सभी स्टेशंस में सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम रहेंगे।
सर्वे के बाद अंतिम निर्णय
अभी सेकंड कॉरीडोर को तकनीकी स्वीकृति मिली है। फाइनेंशियल स्वीकृति मिलने के बाद केंद्रीय कैबिनेट के पास प्रोजेक्ट जाएगा। वहां से स्वीकृति मिलते ही यहां पर टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी और सर्वे इत्यादि का कार्य शुरू होगा। सर्वे कंपलीट होने के बाद ही सही तस्वीर सामने आ सकेगी।