लखनऊ (ब्यूरो)। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना अब आसान नहीं होगा। परमानेंट लाइसेंस के लिए ड्राइविंग टेस्ट से पहले एक और टेस्ट से गुजरना होगा। जिसे पास करने के बाद ही ड्राइविंग टेस्ट दे सकेंगे। परिवहन विभाग यह टेस्ट व्यवस्था राजधानी समेत प्रदेश के 20 जिलों के आरटीओ ऑफिस में लागू करने की तैयारी कर रहा है। अधिकारियों के मुताबिक यह कवायद बेहतर और कुशल चालकों को लाइसेंस देने की दिशा में की जा रही है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत लखनऊ में पहले इसकी शुरुआत होगी।

आसान नहीं होगा डीएल बनवाना

पुरानी व्यवस्था के तहत लर्निंग लाइसेंस बनने के एक माह बाद या छह माह में परमानेंट डीएल बनवाना होता है। जिसके लिए पहले ड्राइविंग टेस्ट होता है। इसमें कई बार जुगाड़ की मदद से लोग टेस्ट पास कर लाइसेंस हासिल कर लेते थे। अकुशल चालकों द्वारा हादसे हो रहे हैं। इसे देखते हुए नई व्यवस्था के तहत अभ्यर्थी को पहले एक और ट्रेनिंग टेस्ट से गुजरना होगा। इसे लेकर अलग-अलग माड्यूल तैयार किए गए हैं।

सीएसआर फंड के तहत काम

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सरकार की ओर से इंवेस्ट यूपी एजेंसी द्वारा आरटीओ कार्यालय में डीएल के लिए एक नया और यूनीक ट्रेनिंग टेस्ट कान्सेप्ट लाया गया है। जिसके तहत सीएसआर फंड से आरटीओ कार्यालय में एक सेंटर बनाया जाएगा। जहां उपकरण और कर्मचारी तैनात होंगे।

वीडियो के आधार पर होंगे सवाल-जवाब

टेस्टिंग सेंटर पर आवश्यकता के अनुसार टैबलेट लगाए जाएंगे। जिसपर परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस की निर्धारित डेट पर टेस्ट के लिए आने वाले अभ्यार्थियों को पहले टेस्ट पास करना होगा। इसके लिए अभ्यर्थी को ट्रेनिंग देने की व्यवस्था होगी। अभ्यर्थी को स्क्रीन पर कुशल चालक के लिए क्या-क्या जरूरत और गुण होने चाहिए इससे संबंधित वीडियो दिखाएं जाएंगे। इसके बाद इसी से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे। पास होने के बाद उन्हें टेस्टिंग ट्रैक पर वाहन चलाकर दिखाने का ग्रीन सिग्नल दिया जाएगा। ट्रेनिंग टेस्ट में अशिक्षित लोगों का भी पूरा ख्याल रखा जाएगा। उनके लिए ऐसे विजुअल तैयार कराए जाएंगे जिससे वह उन्हें देखकर समझ सकें।