लखनऊ (ब्यूरो)। समय पर मरीज को उपचार मिले तो उसकी जान बचाई जा सकती है। अगर स्ट्रोक के मरीज को 3.5-4.5 ऑवर के भीतर ले आया जाए तो उसे बचाया जा सकता है। ट्रामा ही नहीं अगर मरीज को गोल्डन ऑवर में इलाज मिले खासतौर पर सेप्सिस में एक घंटे में ही एंटीबायटिक मिले तो उसकी जान बचाई जा सकती है। यह जानकारी शनिवार को केजीएमयू इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर आयोजित दो दिवसीय नैमीकॉन कॉन्फ्रेंस के शुभारंभ के दौरान विभागाध्यक्ष प्रो। हैदर अब्बास ने दी।
जल्द शुरू होगी रोबोटिक सर्जरी
चीफ गेस्ट डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि नई तकनीक व आधुनिक इलाज को केजीएमयू में लागू किया जा रहा है। इसके लिए बजट की कमी नहीं होने दी जाएगी। केजीएमयू के विस्तार के लिए सरकार ने भूमि फ्री में मुहैया कराई है। भविष्य में भी केजीएमयू की योजनाएं बजट की कमी के कारण नहीं रुकेंगी। यहां जल्द रोबोटिक सर्जरी भी शुरू होगी। उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कहा कि किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट नियमित रूप से किए जाएं।
विभाग मिलकर करें काम
डिप्टी सीएम ने कहा कि लारी कॉर्डियोलॉजी, मानसिक रोग विभाग, वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग व डेंटल विंग समेत कई अन्य विभाग मुख्य परिसर की सड़क की दूसरी ओर हैं। ऐसे में स्ट्रेचर व व्हील चेयर से मरीजों को शिफ्ट करने में अड़चन आती है। इसे ठीक करने के लिए सभी विभाग मिलकर काम करें।
एआई को लेकर शुरू होगा कोर्स
प्रोग्राम के उपाध्यक्ष प्रो। मीनू बाजपेयी ने बताया कि नेशनल कोड ऑफ एग्जामिनेशन के तहत कई नए कोर्स शुरू होने जा रहे हैं। जिसमें खासतौर पर डिप्लोमा इन एआई मेडिकल साइंसेज शामिल है। ट्रामा सेंटर के सीएमएस डॉ। प्रेमराज ने कहाकि रोड एक्सीडेंट में घायल लोगों को पानी नहीं पिलाना चाहिए, उन्हें करवट के बल लिटा दें। मुंह की साफ कपड़े से सफाई करें ताकि लार, खून या गंदगी सांस नली में न फंसे। इस दौरान वीसी डॉ। सोनिया नित्यानंद, डीन डॉ। अमिता जैन, प्रति कुलपति डॉ। अपजीत कौर आदि मौजूद रहीं।