लखनऊ (ब्यूरो)। अक्सर लोगों को छोटी-छोटी शारीरिक समस्याएं होने पर मेडिकल स्टोर्स से बिना डॉक्टर की सलाह लिए दवाएं खरीदकर उनका सेवन करते देखा जाता है। बिना प्रिस्क्रिप्शन के दवा लेने को ओवर द काउंटर (ओटीसी) कहा जाता है। इस आदत के चलते लोगों में इन दवाओं का असर होना कम या लगभग खत्म तक हो रहा है। कई मामले तो ऑर्गन फेलियर जितनी सीरियस स्टेज तक पहुंच जाते हैं। लखनऊ के केजीएमयू, लोहिया समेत अन्य अस्पतालों में ऐसे मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, लोगों को बिना डॉक्टर की सलाह के खुद से कोई दवा नहीं लेनी चाहिए।

इसलिए ओटीसी पर ज्यादा जोर

भारतीय जनसंख्या में ओटीसी दवाओं के विनियामक, सुरक्षा और आर्थिक विचार की रिपोर्ट के अनुसार, ओटीसी का चलन भारत में निम्न और मध्यम वर्ग में 8.3 पर्सेंट से लेकर 92 पर्सेंट के बीच है। ओटीसी का मतलब ऐसी दवाओं से है जिनको बिना प्रिस्क्रिप्शन खरीदा जा सकता है। जिसे सामान्य सर्दी, सिरदर्द, मस्कुलोस्केलेटल दर्द और एलर्जी शामिल है। दरअसल, किसी बीमारी खासतौर पर सर्दी-खांसी, जुकाम, बुखार या स्किन संबंधी कोई बीमारी के लिए लोग डॉक्टर के यहां जाने से बचते है क्योंकि डॉक्टर के पास समय और पैसा लगता है। लंबी लाइन से बचने के लिए लोग सीधा मेडिकल स्टोर से समस्या बताकर दवा ले आते हैं। पेन किलर, एंटीबायटिक्स और स्टेरायड्स सबसे आसानी से मिल जाती हैं। ऐसे में कई बार साइड इफेक्ट के चलते मर्ज गंभीर हो जाता है, जिसके बाद मरीज को लेकर डॉक्टर के पास पहुंचते हैं। बॉडी आर्गन डैमेज होने से कई बार ट्रांसप्लांट तक की नौबत आ जाती है।

बिना कारण जाने दवा लेने से बचें

केजीएमयू में माइक्रोबायलॉजिस्ट प्रो। शीतल वर्मा ने बताया कि भारत में ओटीसी का चालन बेहद कॉमन है। खासतौर पर वायरल में लोग पैरासिटामॉल ले लेते हैं, जोकि ठीक है, पर साथ में एंटीबायटिक भी ले लेते हैं, जिसका कोई खास फायदा तो नहीं होता है, पर उसका साइड इफेक्ट जरूर हो सकता है। इसके अलावा, सिरदर्द या बदन दर्द होने पर उसका कारण समझे बगैर एनरजेसिक यानि पेन रिलीवर खा लेते हैं। इससे तत्काल राहत तो मिलती है, लेकिन दर्द अंदर-अंदर ही बढ़ने लगता है। इसलिए बिना डॉक्टर को दिखाए ऐसी दवा लेने से बचना चाहिए। इतना ही नहीं, कई स्किन रिलेटेड क्रीम में एंटीफंगल व एंटीबायटिक के साथ स्टेरायड मिला होता है। इसे बिना प्रिस्क्रिप्शन के लेने से समस्या गंभीर तक हो सकती है। इसके अलावा, कफ सिरप भी काफी लिया जाता है, जो और भी खतरनाक होता है। खांसी तो इंफेक्शन, टीबी, बुखार या किसी अन्य कारण के भी हो सकती है। डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा लेनी चाहिए।

ओटीसी दवाओं के साइड इफेक्ट्स

फार्मासिस्ट फेडरेशन के सुनील यादव ने बताया कि ओटीसी दवाइयों के कई साइड इफेक्ट्स हैं

-ओटीसी दवा अन्य दवाओं के साथ लेने से उसका असर कम हो सकता है या साइड इफेक्ट हो सकता है।

-ओटीसी दवाएं मरीज द्वारा खाये जाने वाले भोजन और पेय पदार्थों के साथ रिएक्शन कर सकती हैं, जिससे मतली, सीने में जलन और सिरदर्द जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

-अगर आपको पेट, किडनी या हार्ट आदि की समस्या है और किसी अन्य मर्ज जैसे खांसी, बुखार आदि के लिए ओटीसी पेन किलर, एंटीबायटिक या फिर स्टेरायड लेते हैं तो इससे काफी नुकसान हो सकता है।

प्रेग्नेंसी में रहें ज्यादा सावधान

क्वीन मेरी में सीनियर ऑब्स एंड गायनी डॉ। रेखा सचान बताती हैं कि ऐसी बहुत सी दवाएं हैं जिन्हें प्रेग्नेंसी के दौरान लेने से बचना चाहिए। कई दवाएं एलर्जी पैदा कर सकती हैं। कोई भी दवा बिना अपने डॉक्टर के कंसल्ट किए न लें वरना गर्भवती और गर्भस्थ शिशु, दोनों को खतरा हो सकता है।

बच्चों को न दें ओटीसी दवाएं

सीनियर पीडियाट्रिशियन डॉ। शशांक सिंह बताते हैं कि ओपीडी में कई बार पैरेंट्स आते हैं, जो बताते हैं कि बच्चे को मेडिकल स्टोर से लेकर दवा दी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ है। उनको समझाया जाता है कि बच्चों को दवा देते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। बच्चों को दवा की डोज उनके लक्षण, उम्र व वजन आदि को देखकर दी जाती है। ऐसा नहीं करने से बच्चों में समस्या गंभीर हो जाती है।

वायरल में एंटिबायटिक, कफ सिरप, पेन किलर आदि दवाएं खुद से नहीं लेनी चाहिए। इन दवाओं को लेकर बॉडी में रेजिस्टेंस लगातार बढ़ता जा रहा है।

-डॉ। शीतल वर्मा, केजीएमयू

ओटीसी दवा लेने से कई साइड इफेक्ट्स हैं, क्योंकि कई बार दवा खान-पान के साथ रिएक्ट कर जाती है। ऐसे में खुद से दवा लेने से बचना चाहिए।

-सुनील यादव, फार्मासिस्ट फेडरेशन