लखनऊ (ब्यूरो)। अकबरनगर के बाद अब कुकरैल नदी के किनारे बसे रहीमनगर, पंतनगर, खुर्रमनगर, इंद्रप्रस्थ नगर भी एलडीए के निशाने पर हैैं। एलडीए, जिला प्रशासन, सिंचाई विभाग, नगर निगम की ओर से अब इन इलाकों में सर्वे शुरू करा दिया गया है और अवैध निर्माणों पर लाल निशान लगाने का काम शुरू कर दिया गया है। जिन लोगों के मकानों पर लाल निशान लगे हैैं, अब उनके साथ-साथ एरिया में रहने वाले अन्य लोग भी दहशत में हैैं।

50 मीटर का दायरा बनाया गया

एलडीए व अन्य विभागों द्वारा संयुक्त रूप से रहीमनगर, खुर्रमनगर व अन्य इलाकों में जो सर्वे शुरू कराया गया है, उसके आधार में कुकरैल नदी से 30 से 50 मीटर के दायरे में निर्मित निर्माणों को शामिल किया गया है। ये सभी एरिया घनी आबादी वाले हैैं और यहां हजारों मकानों से लेकर अपार्टमेंट्स बने हुए हैैं। इसके साथ ही यहां पर कॉमर्शियल निर्माण भी हैैं।

भारी फोर्स के साथ पहुंची टीम

संयुक्त विभागों की टीम सोमवार को भारी पुलिस फोर्स के साथ रहीम नगर व अन्य इलाकों में पहुंची और कुकरैल के नक्शे के आधार पर अवैध निर्माणों को चिन्हित करने का काम शुरू किया। जो मकान अवैध दिखे, उनकी दीवारों पर क्रॉस का लाल निशान लगा दिया गया है। हालांकि, सर्वे के दौरान लोगों की ओर से रजिस्ट्री संबंधी कागजात भी दिखाए गए। चूंकि ज्यादातर मकानों का नक्शा पास नहीं है, इस वजह से ध्वस्तीकरण की जद में ऐसे मकान आ जाएंगे।

छतों पर डटे रहे लोग

जैसे ही टीमों की ओर से सर्वे शुरू कराया गया, लोग घरों की छतों से लेकर रोड पर नजर आने लगे। हर कोई दहशत में नजर आ रहा था। सबको यही डर सता रहा था कि उनके घर पर लाल निशान न लगे। जिन मकानों पर लाल निशान लगते जा रहे थे, उन भवन स्वामियों की टेंशन भी सातवें आसमान पर पहुंच गई थी। उनकी आंखों में ध्वस्तीकरण संबंधी कार्रवाई का खौफ साफ नजर आ रहा था।

अगले महीने से एक्शन

एलडीए की ओर से अगले महीने से अवैध निर्माण तोड़ने का काम शुरू किया जा सकता है। अभी पहले कई बिंदुओं पर सर्वे को कंपलीट किया जाएगा फिर कंपाइल रिपोर्ट तैयार होगी। इसके बाद अकबरनगर की तर्ज पर वृहद स्तर पर ध्वस्तीकरण अभियान चलाया जाएगा और अवैध निर्माण तोड़े जाएंगे।

अकबरनगर में हर तरफ मलबा ही मलबा

हाल में ही एलडीए की ओर से कुकरैल नदी के किनारे अवैध रूप से बसे अकबरनगर में व्यापक ध्वस्तीकरण अभियान चलाया गया था। यहां पर एलडीए की ओर से 1500 से अधिक अवैध निर्माण तोड़े गए थे। अब स्थिति यह है कि यहां पर सिर्फ मलबा ही मलबा नजर आ रहा है। मलबे को हटाने के लिए एलडीए की ओर से टेंडर निकाला जा चुका है। एलडीए प्रशासन की माने तो एक महीने के अंदर पूरा मलबा हटा दिया जाएगा। इसके बाद कुकरैल के दोनों तरफ पौधरोपण किया जाएगा और छोटे-छोटे पॉकेट में पार्क डेवलप किए जाएंगे।