लखनऊ (ब्यूरो)। भारत में लगातार बढ़तीं हार्ट अटैक की घटनाओं को देखते हुए कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने लिपिड प्रोफाइल को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की हैं। जहां लो-डेंसिटी लिपोप्रोटीन (एलडीएल) 100 और हाई रिस्क वालों में एलडीएल 55 से कम होना चाहिए। हाई कोलेस्ट्राल लेवल में हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा होता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, चूंकि युवाओं में हार्ट संबंधित समस्याएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं, ऐसे में यह गाइडलाइन बेहद महत्वपूर्ण है।

हार्ट रिलेटड समस्याएं कम होंगी

संजय गांधी पीजीआई में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। सतेंद्र तिवारी ने बताया कि लोगों में बैड कोलेस्ट्राल यानि एलडीएल लेवल जितना कम होगा, उनके लिए उतना ही अच्छा होगा और भविष्य में हार्ट रिलेटेड समस्याएं भी कम होंगी। इसी को देखते हुए एलडीएल को 130 से घटाकर 100 के नीचे किया गया है। अगर किसी को हार्ट रिलेटेड ब्लॉकेज जैसी समस्या है तो उसमें एलडीएल 50 से कम हो तो अच्छा होता है। भारतीयों में यह लेवल कम होता है, लेकिन और कम होने की जरूरत है। अब स्टेटिन की जगह इंजेक्शन, जो हर छह माह में एक बार देना होता है, उससे एलडीएल 50 से नीचे आ जाता है।

युवाओं में तेजी से बढ़ रही समस्या

डॉ। सतेंद्र तिवारी के मुताबिक, एलडीएल की समस्या युवाओं में भी तेजी से बढ़ रही है। ओपीडी की बात की जाये जो अगर 100 युवा आ रहे हैं तो उसमें 30-35 पर्सेंट युवाओं में एलडीएल बढ़ा हुआ होता है। इसके साथ अगर लाइपोप्रोटिन-के भी बढ़ा हो तो हार्ट अटैक के चांसेज 10-15 पर्सेंट बढ़ जाता है। ऐसे में डायट में बदलाव बेहद जरूरी है। लोगों को तला-भुना, मसालेदार, स्मोकिंग-अल्कोहल आदि से दूर रहना चाहिए।

जल्द दवा शुरू करनी पड़ सकती है

केजीएमयू के लारी कार्डियोलॉजी के डॉ। अक्षय प्रधान ने बताया कि लिपिड एसोसिएशन ऑफ इंडिया के बाद अब कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया ने भी माना है कि एलडीएल लेवल 100 के नीचे होना चाहिए। इस बदलाव से ट्रीटमेंट में भी बदलाव देखने को मिलेगा। कई केस स्टडी में भी पाया गया है कि लेवल 100 के नीचे ही होना चाहिए। वहीं, नई गाइडलाइन के अनुसार, अब जिनका लिपिड प्रोफाइल 100 के ऊपर है तो उनको भी दवा खानी पड़ेगी। इसके अलावा, डायट में बदलाव और एक्सरसाइज से लेवल में सुधार नहीं हुआ तो आगे चलकर हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाएगा। बॉडी में हाई कोलेस्ट्राल जितने दिन रहेगा हार्ट अटैक का खतरा उतना अधिक बढ़ जाएगा। ओपीडी की बात की जाए तो 15-20 पर्सेंट यंग मरीज आ रहे हैं, जो 40 की उम्र से नीचे वाले होते हैं।

लाइफस्टाइल में बदलाव बेहद जरूरी

लोहिया संस्थान में कोर्डियोलॉजिस्ट डॉ। सुदर्शन के विजय ने बताया कि यंग एज में भी एलडीएल 130-140 के आसपास मिलता था, जो पहले नार्मल माना जाता था, पर नई गाइडलाइन के तहत अब इससे कम में भी दवा को शुरू करनी होगी। इसके अलावा, अगर किसी को शुगर, बीपी या कोई अन्य बीमारी है तो यह लेवल और कम होना चाहिए। ओपीडी में 30-40 पर्सेंट मरीज 30-40 उम्र के बीच वाले होते हैं। पहले जहां दवा एलडीएल 130 के ऊपर होने पर ही शुरू करते थे, वहीं अब उसे 100 के ऊपर होने पर करना पड़ेगी। हालांकि, मेरा मानना है कि शुरुआत के 3-4 महीने लाइफस्टाइल मॉडिफिकेशन यानि डायट में बदलाव, योगा, एक्सरसाइज आदि से लेवल को कम करने की कोशिश करना चाहिए। अगर इसके बावजूद लेवल 140 के ऊपर बना हुआ हो, तब दवाइयां शुरू करनी चाहिए। वहीं, जिनको हार्ट अटैक पड़ चुका हो उनमें यह लेवल 60 की जगह अब 50 के नीचे लाना चाहिए।

बैड कोलेस्ट्राल बॉडी में जितना कम हो उतना ही अच्छा होता है। यंगस्टर्स में एलडीएल लेवल काफी हाई मिल रहा है। इसे कम करना बेहद जरूरी है।

-डॉ। सतेंद्र तिवारी, संजय गांधी पीजीआई

एलडीएल हम लोग पहले से ही कम करने की सलाह देते आ रहे हैं। यह जितना अधिक रहेगा, आर्ट अटैक का खतरा उतना अधिक बढ़ जाएगा। ऐसे में बदलाव बेहद जरूरी है।

-डॉ। अक्षय प्रधान, केजीएमयू

पहले लाइफस्टाइल में बदलाव लाना चाहिए। ऐसा न होने पर ही दवाएं शुरू करना चाहिए। यंगस्टर्स को स्मोकिंग, अल्कोहल आदि से दूर रहना चाहिए।

-डॉ। सुदर्शन के विजय