लखनऊ (ब्यूरो)। सेकेंड हैंड कार बाजार का मार्केट तेजी से बढ़ता जा रहा है, पर अभी इसको लेकर कोई स्थाई नियम लागू नहीं है। ऐसे में, नये नियमों को लागू करने तैयारी की जा रही है। नए नियमों के बन जाने से जहां कार बेचने वालों को बड़ी राहत मिलेगी, वहीं खरीदने वालों को भी आरटीओ कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे। कार बाजार को पुरानी कार बेचने पर कार मालिक का सीरियल नंबर नहीं बदलेगा। कार बाजार सिर्फ खरीदने और बेचने के एक मात्र विकल्प के रूप में कार्य करेगा। इसको लेकर परिवहन विभाग द्वारा नियम बनाकर शासन में मंजूरी के लिए भेजा गया है। शासन से मंजूरी मिलते ही इसे लागू कर दिया जाएगा।
ओनर पर अभी ये हैं खतरे
अभी कार बाजार में कार बेचने के बाद मालिक को यह डर लगा रहता है कि उसकी कार से कोई दुर्घटना या कोई आपराधिक घटना न घट जाये। क्योंकि जब तक कार किसी और के नाम ट्रांसफर नहीं होगी, तब तक कार उसके नाम रहेगी और कुछ भी होने पर जिम्मेदारी कार मालिक की होगी। दूसरी बात, जब कार बाजार का मालिक कार किसी और के नाम बेचता है तो पुराने मालिक को आरटीओ कार्यालय जाना पड़ता है। यदि कार बाजार का मालिक कार खुद अपने नाम करता है, तो वहां से कार खरीदने वाला मालिक थर्ड ओनर होता है। इससे वाहन की री-सेल वैल्यू प्रभावित होती है। इसके अलावा, डील के बाद डीलर गाड़ी को केवल टेस्ट राइड के ही लिए निकाल सकेंगे ताकि हादसों पर लगाम लगाई जा सके।
जिम्मेदारी होगी खत्म
वहीं, नई नियमावली लागू होने से यदि वाहन मालिक कार बाजार को कार सौंप देता है, तो उसके बाद उसकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। हर घटना की जिम्मेदारी कार बाजार के मालिक की होगी। इसी तरह से कार का ओनर भी नहीं बदलेगा। कार बाजार दो लोगों के बीच कार खरीदने और बेचने का काम जरूर करेगा, लेकिन उससे मालिकाना हक नहीं बदलेगा। पुराने कार मालिक के बाद कार सीधे नए कार मालिक के नाम ट्रांसफर हो जाएगी। पहली बार कार बिक रही है तो खरीदने वाला ही दूसरा मालिक बनेगा। ऐसे में बेचने और खरीदने वाले दोनों लोगों को फायदा मिलेगा।
सेकेंड हैंड डीलर्स को लेकर नियमावली का प्रपोजल बनाकर शासन को भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही लागू कर दिया जाएगा।
-चंद्र भूषण सिंह, आयुक्त, परिवहन