लखनऊ (ब्यूरो)। Sanskriti Rai murder case Lucknow: बलिया में एक बेहद सामान्य परिवार में जन्मी संस्कृति अपने परिवार का नाम रोशन करने और अपने सपनों को सच करने 400 किमी दूर लखनऊ आई थी। पढ़ने-लिखने में अव्वल संस्कृति ने पॉलीटेक्निक में दाखिला लिया था। पर उसके सपनों को पड़ोसी जिले से राजधानी में आकर अपराध करने वालों ने चकनाचूर कर दिया था। पैसों की लालच और बदनियती के चलते हंसती खेलती संस्कृति को दर्दनाक मौत दे दी, जिससे पूरे शहर में सनसनी फैला दी थी। लोगों ने संस्कृति को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन किया और रोड पर भी उतरे। पुलिस पर दबाव बढ़ा और घटना के 20 दिन बाद पुलिस ने मर्डर केस का खुलासे का दावा किया। हालांकि, इस खुलासे में कई पहलू ऐसे थे जिस पर सवाल भी खड़े हुए। पुलिस ने आरोपियों के जेल भेज दिया, पर पुलिस जांच में लचर पैरवी और मजबूत एविडेंस के अभाव में 20 महीने बाद ही आरोपियों को जमानत मिल गई थी।

घर वाले इंतजार करते रहे, मिली मौत की खबर

बलिया के भगवानपुर निवासी वकील उमेश कुमार राय की बेटी संस्कृति राय (17) महिला पॉलीटेक्निक में सेकेंड ईयर की छात्रा थी। वह इंदिरा नगर सेक्टर 9 में किराए के मकान में रहकर पढ़ाई कर रही थी। सेंटर में छुट्टी होने के चलते वह अपने घर बलिया जाने की तैयारी कर रही थी। संस्कृति के साथ उसकी एक सहेली भी पढ़ाई करती थी और उसे भी उसी ट्रेन से बलिया जाना था। दोनों दोस्तों ने तय किया कि 21 जून को रात 9 बजे बादशाह नगर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर वे घर जाएंगी। संस्कृति बादशाह नगर रेलवे स्टेशन जाने के लिए हाथ में ट्राली बैग लेकर पैदल निकली थी। मुंशीपुलिया से उसे ऑटो पकड़ कर स्टेशन जाना था। रात करीब 8 बजे संस्कृति के मोबाइल पर उसकी मां की कॉल आई और रास्ते में उसने बात करते हुए बताया कि वह घर से स्टेशन जाने के लिए निकल गई है, सुबह घर पहुंच जाएगी।

पुलिस सक्रिय होती तो बच सकती थी जान

गाजीपुर पुलिस ने संस्कृति के मौसा की तहरीर पर गुमशुदगी तो दर्ज कर ली लेकिन उसके बाद सक्रियता नहीं दिखाई। नार्मल केस रजिस्टर्ड कर पुलिस ने परिवार वालों को सलाह दी कि बेटी की तलाश करें, यहां तक तत्काल उसके मोबाइल नंबर को भी सर्विलांस में नहीं लगाया गया। रात भर परिवार के लोग परेशान रहे और पुलिस ने संस्कृति को तलाशने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। संस्कृति रात 8 बजे तक मोबाइल पर बात करती रही और उसकी गुमशुदगी रात 10 बजे दर्ज कराई गई, इन दो घंटों के दौरान अगर पुलिस एक्टिव हो जाती तो शायद संस्कृति आज जिंदा होती।

15 किमी दूर मिला था शव

मड़ियांव थाना क्षेत्र के धैला पुल के पास 22 जून को सुबह एक युवती की लाश देखी गई। पुलिस को करीब सुबह 10 बजे इसकी सूचना मिली। वायरलेस सेट पर जिले में किसी युवती के गुमशुदगी होने की सूचना चली। जिस पर गाजीपुर पुलिस ने संस्कृति के परिवार से संपर्क कर उन्हें शिनाख्त करने के लिए भेजा। परिवार वालों ने शव की शिनाख्त बेटी संस्कृति के रूप में की। परिवार के साथ-साथ पुलिस भी परेशान थी कि संस्कृति की आखिरी लोकेशन मुंशी पुलिया पर थी और उसे चार किमी दूर बादशाह नगर रेलवे स्टेशन जाना था तो उसका शव 15 किमी दूर कैसे मिला? वह वहां कैसी पहुंची? शव के पास उसका सामान भी नहीं था, आखिर मोबाइल फोन व सामान कहां गायब था? ऐसे तमाम सवाल थे, जिनका जवाब पुलिस का खोजना था।

क्या हुआ था 21 जून 2018 की रात

पुलिस ने अपने खुलासे में बताया कि चार लोगों ने मिल कर लड़की की हत्या की। उनका इरादा लड़की से रेप का भी था, लेकिन संस्कृति को मरा हुआ समझ कर वे उसे छोड़ कर चले गए। दरअसल, 21 जून की रात संस्कृति बादशाहनगर रेलवे स्टेशन के लिए निकली थी। वह ट्रेन के लिए लेट हो रही थी। मुंशीपुलिया चौराहे के पास उसे एक ऑटो मिला। उसमें दो लड़के पीछे बैठे थे, जबकि ड्राइवर के साथ भी एक लड़का बैठा था। लड़की ऑटो में सवार हो गई। उसे ट्रेन पकड़ कर बलिया जाना था। रात के 8 बज कर 37 मिनट का एक सीसीटीवी फुटेज पुलिस को मिला था। जिसमें एक तिराहे के पास लड़की के साथ तीन लड़के खड़े हैं। इसी फुटेज के आधार पर पुलिस अपराधियों तक पहुंची थी।

मरा समझ कर रोड किनारे फेंक गए

लड़की को ऑटो वाले काफी देर तक इधर-उधर घुमाते रहे। फिर पुलिस को आईआईएम चौराहे का भी फुटेज मिला है। इसी जगह पर राजेश, राकेश, रामजंस उर्फ लंबू और उनके चौथे साथी ने लड़की को जबरन ऑटो से उतारा। पहले चारों लड़कों ने उसका बैग और मोबाइल छीन लिया। लड़की ने विरोध किया तो उसके सर को बार-बार रेलिंग पर मारा। लड़की बेसुध होकर गिर पड़ी। बदमाशों ने समझा शायद वह मर गई है। इसके बाद उसे उठा कर रोड पर फेंकदिया।

केस वर्कआउट का पुलिस ने किया था दावा

संस्कृति राय मर्डर केस का वर्कआउट करने वाले तत्कालीन आईजी सुजीत पांडेय, एसएसपी कलानिधि, एएसपी ट्रांस गोमती हरेंद्र कुमार और गाजीपुर इंस्पेक्टर सुजीत राय के साथ क्राइम टीम ने दावा किया था कि आरोपियों की तलाश में 15 किमी के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए थे। 275 ऑटो ड्राइवर और 372 ओला कैब के साथ साथ 20 हजार मोबाइल नंबर को ट्रेस किए। नंबरों के एनालिसिस के माध्यम से हर बार इन दोनों के नंबर संदेह में आए। कार्रवाई में सीतापुर जिले से राजेश रैदास को गिरफ्तार किया। आरोपी राजेश, संस्कृति का रेप करना चाहता था पर रेप की कोशिश में नाकाम होने के बाद उसने संस्कृति राय की हत्या कर दी।

एविडेंस जमा करने में पुलिस से कहां-कहां हुई चूक

घटना का पुलिस ने 20 दिन में वर्कआउट करने का दावा किया था लेकिन पुलिस न तो जिस आटो में वारदात हुई थी उसको बरामद कर सकी और न ही छात्रा संस्कृति का मोबाइल फोन और बैग ही बरामद हुआ। इसके अलावा अरेस्टिंग के बाद पुलिस ने दावा किया था कि तीनों आरोपियों की कोर्ट से परमिशन मिलने के बाद ब्रेन मैपिंग टेस्ट कराया जाएगा। हालांकि, इस कार्रवाई में भी पुलिस लचर साबित हुई थी। इसके अलावा पुलिस के वर्कआउट में चार आरोपियों के शामिल होने की बात कही गई थी लेकिन पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, जबकि रामजंस उर्फ लंबू को एसटीएफ ने कानपुर से गिरफ्तार किया था। चौथा आरोपी कौन था और क्या उसकी गिरफ्तारी हुई थी, इस सवाल का भी जबाव पुलिस से नहीं मिल सका।